हकीकत से बेखबर मोदी सरकार लुटता मजदूर किसान गिरता निर्यात चौपट होता व्यापार : मोहन मरकाम
बजट पेश करने के पहले मोदी सरकार 2014 और 2019 के घोषणा पत्र के वादों को पढ़ लें
किसान की आय कब दुगुनी होगी? स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें आखिर कब लागू होगी?
रायपुर/31 जनवरी 2020। केन्द्रीय बजट प्रस्तुत किये जाने की पूर्व संध्या पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर तंज कसते हुये कहा है कि हकीकत से बेखबर है मोदी सरकार। लुटता मजदूर किसान है, गिरता निर्यात है, चौपट व्यापार है। प्रशासनिक दिवालियापन के चलते मोदी सरकार की सोच व दृष्टि शून्य है। देश की प्रगति को मोदी सरकार में मंदी का ग्रहण लग गया है।
मोदी सरकार को अगले साल तक किसान की आय दुगुनी कर दिखाना है। मोदी सरकार में शिक्षा, किसान और नौजवानों की लगातार उपेक्षा हो रही है। किसान की आय दुगुनी करने के लिये सिर्फ 2 साल बचे हैं। अगले साल ही इनको किसान की आय दुगुनी करके दिखाना है। नोटबंदी, जीएसटी और मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण पहली बार घरेलू मांग कम होने की वजह से आर्थिक स्थिति बिगड़ी है। मंदी आयी है। शिक्षा महंगी हुई है। शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ती जा रही है। स्कॉलरशिप में लगातार कटौती की जा रही है। अनुसूचित जाति के लोगो की अनदेखी की जा रही है। वादा था 2 करोड़ रोजगार देने का, 10 करोड़ नौकरियां मिलनी थी 5 साल में। हो गया उल्टा। 5 साल में 3.64 करोड़ बेरोजगार हुये। लगी लगायी नौकरियाँ जाने लगी है। केन्द्र के विभागों में लगभग 7 लाख पद रिक्त पड़े हुये हैं पर मोदी सरकार को केवल 15-20 पूंजीपतियों की चिंता है। मोदी सरकार में महिला वित्त मंत्री होने के बावजूद ही महिला सशक्तिकरण भी कोरा झूठ बनकर रह गया है।
मद | बजट में आबंटित राशि | खर्च की गई राशि | बाकी/Unspent |
पोस्ट मेट्रिक | 2927 करोड़ | 1731 करोड़ | 41 प्रतिशत |
प्री-मेट्रिक | 355 करोड़ | 183 करोड़ | 49 प्रतिशत |
महिला सशक्तिकरण | 1330 करोड़ | 205 करोड़ | 84.60 प्रतिशत |
बेटी बचाओ | 280 करोड़ | 44 करोड़ | 84.30 प्रतिशत |
अनुसूचित जाति, जनजाति की उपेक्षा का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिये 2927 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जिसमें से केवल 1731 करोड़ खर्च किये गये। 41 प्रतिशत खर्च ही नहीं किये गये। इसी प्रकार प्रीमैट्रिक छात्रवृत्ति के लिये बजट का 49 प्रतिशत राशि खर्च ही नहीं की गयी। हास्टल के लिये 108 करोड़ में से केवल 8 करोड़ खर्च किया गया। 92.6 प्रतिशत राशि खर्च ही नहीं की गयी। फ्री कोचिंग के लिये बजट में आंबटित राशि का 77 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया। मोदी सरकार का महिला सशक्ति का नारा कोरा झूठ है। निर्भया योजना और विधवाओं के लिये घर की योजना के लिये बजट में आबंटित राशि का एक रूपया भी खर्च नहीं हुआ है। कामकाजी महिलाओं के लिये हास्टल के लिये स्वीकृत राशि का भी 88 प्रतिशत खर्च नहीं किये गये। महिला सशक्तिकरण के लिये आंबटित 1330 करोड़ रूपये में से केवल 205 करोड़, बेटी बचाओं के लिये 280 में से केवल 44 करोड़ अर्थात लगभग 85 प्रतिशत राशि खर्च हीं नहीं किये गये।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशें आखिर कब लागू होगी? बेहतर होता कि बजट पेश करने के पहले मोदी सरकार 2014 और 2019 के घोषणा पत्र जरूर पढ़ लें। मोदी सरकार को अगले साल तक किसान की आय दुगुनी कर दिखाना है। देश में मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते खेती, किसान, फुड प्रोसेसिंग, गांव, पंचायतीराज, समाज कल्याण, छात्र युवा, महिला, शिक्षा और स्वास्थ्य, अल्पसंख्यक सभी बदहाल है। कृषि में 49 प्रतिशत, किसान निधी में 57.6 प्रतिशत, फुड प्रोसेसिंग में 43 प्रतिशत, पंचायती राज में 49 प्रतिशत, बजट की राशि खर्च ही नहीं की गयी। लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा तो दूर एमएसपी तय करने में श्रम का लागत मूल्य ही नहीं जोड़ा गया। खेती बजट का खर्च नहीं, फसल बीमा का मुआवजा नहीं निजी बीमा कंपनियों से मिलकर किसानों को बीमा के नाप लूटा गया। 6-8 करोड़ किसानों को किसान सम्मान निधी नहीं, 75 प्रतिशत किसानों को राशि नियमित नहीं दी जा रही है। खाद, कीटनाशक खेती उपकरणों पर जीएसटी की मार जीडीपी 7.5 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत, इन्फ्लेशन 3.5 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत, चांवल निर्यात गिरावट 20 लाख टन, निर्यात गिरावट 6390 करोड़। मोदी सरकार की किसानों को लेकर नीति और नीयत दोनों संदिग्ध है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि देश को आयकर मुक्त करने का वादा करने वाली भाजपा और मोदी सरकार विगत 6 वर्षो से आयकर की सीमा भी क्यों नहीं बढ़ा पायी? देश आर्थिक बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया गया है। अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिये बजट में आंबटित कुल 3289 करोड़ में से केवल 868 करोड़ खर्च किये गये। 73.6 प्रतिशत राशि खर्च ही नहीं की गयी।