प्रवासियों के रहने और सुरक्षा के इंतजाम में प्रदेश सरकार की उदासीनता और मंशा दुर्भाग्यजनक : अनुराग

प्रवासियों के रहने और सुरक्षा के इंतजाम में प्रदेश सरकार की उदासीनता और मंशा दुर्भाग्यजनक : अनुराग

रायपुर। भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता अनुराग अग्रवाल ने विभिन्न राज्यों से छत्तीसगढ़ होकर अपने गृह राज्यों की ओर जा रहे मजदूरों से राज्य शासन द्वारा किये जा रहे अमानवीय व्यवहार पर दुःख व्यक्त किया है। अनुराग ने प्रवासियों के रहने और सुरक्षा के इंतजाम में प्रदेश सरकार की उदासीनता और मंशा को दुर्भाग्यजनक बताया है।

अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना के खिलाफ जंग में अपनी डींगे तो खूब हाँक रही है लेकिन जमीनी सच यह है कि वह और उसकी प्रशासनिक मशीनरी इस मोर्चे पर न केवल लापरवाही कर रही है, बल्कि अमानवीयता की हदें तक लांघ रही है।

भाजयुमो नेता अग्रवाल ने बताया कि गोंदिया से चलकर 10 बच्चे विशाखापट्टनम जा रहे थे। उन्हें रायपुरा चौक में अनुराग और उनके साथी नवीन ने भोजन कराकर आश्रय स्थल की ओर रवाना किया। लेकिन लगभग डेढ़ घंटे बाद 8:00 बजे नवीन के मोबाइल पर उन बच्चों का फोन आया। बच्चों को प्रशासन ने लावारिस की तरह जिले की सीमा पर अवस्थित ढाबे के पास छोड़ दिया था यह कहते हुए कि उन्हें जहां जाना हो चले जाएँ।

ढाबे वाले ने बताया कि बच्चे मंदिर हसौद के आगे ग्राम उमरिया मयूर स्कूल के सामने शेरे पंजाब ढाबा से बोल रहे हैं। बच्चों को हिंदी और इंग्लिश ठीक से नहीं आती और वे सिर्फ तेलुगू ढंग से बोल व समझ पा रहे हैं। बच्चों ने उन्हें बताया कि पुलिस वालों ने उन्हें यहां छोड़ दिया है और आगे किसी ट्रक से विशाखापटनम जाने की सलाह दे दी है।

अग्रवाल अपने साथी नवीन के साथ तुरंत रायपुर से वहां पहुंचे और समाज कल्याण की बस बुलवाकर उन्होंने बच्चों को पुनः आश्रय स्थल लाभांडी में एंट्री करा कर रात लगभग 9:30 बजे पहुँचाया। इस वाकये का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने बताया कि यह कोई अकेला उदाहरण नहीं है। वस्तुतः शासन बाहर से आने वाले मजदूरों को यहां आश्रय स्थल में रखने की व्यवस्था नहीं कर पा रही और इसी तरह अपना पल्ला झाड़ने में लगी हुई है।

लॉकडाउन में फँसे लोगों को तत्काल पर्याप्त सुरक्षा और सहायता मुहैया कराने की मांग

भाजयुमो नेता अग्रवाल ने ऐसे वाकयों अफसोस जताते हुए प्रदेश सरकार से लॉकडाउन में फँसे लोगों को तत्काल पर्याप्त सुरक्षा और सहायता मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार की गैर-जिम्मेदारी का ऐसा ही एक जीवंत उदाहरण झारखंड का मजदूर है जिसे राजनंदगांव से सूरजपुर शिफ्ट किया गया था। और अब सरकार की इस अनदेखी का नतीजा छत्तीसगढ़वासियों को भुगतना पड़ सकता है क्योंकि अगर उन प्रवासी मजदूरों में कोई भी संक्रमित हुआ और रास्ते में पड़ने वाले कई समाजसेवी संस्थाओं एवं नागरिकों को संक्रमित कर देगा।

अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की पहचान समूचे देश में शालीनता और सद्भावना के लिए रही है। ऐसे में संकट की इस घड़ी में सरकार की विफलता और उदासीनता से न केवल यह लड़ाई कमजोर पड़ रही है बल्कि प्रदेश की छवि भी कांग्रेस सरकार खराब कर रही है। उन्होंने सरकार से ज़रा उदार और मानवीय होने का आग्रह किया है।

The News India 24

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