शासन की नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना की मदद से छत्तीसगढ़ की नारीशक्ति अपनी लगन और मेहनत से आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर
रायपुर/ दिनांक 19 फरवरी 2020। छत्तीसगढ़ की नारीशक्ति अपनी लगन और मेहनत से आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से अग्रसर हैं। शासन की नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना इसमें मददगार बनी है। रायगढ़ जिले के विकासखण्ड बरमकेला के मॉडल गौठान हिर्री में ग्राम्य महिला समूह द्वारा गमला निर्माण के साथ ही वर्मी कम्पोस्ट एवं जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। वहीं गौठान के घेराव के लिए 1100 नग गुणवत्तायुक्त आरसीसी पोल गौठान में ढलाई कर तैयार किया गया है। समूह की महिलाओं ने गमला मशीन खरीदकर गमला निर्माण किया है जिसका स्थानीय बाजार में विक्रय किया जा रहा है । समूह की महिलाओं द्वारा 20 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर किसानों को बिक्री की जा रही है, जिससे समूह की महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है।
रायगढ़ जिले के ही पुसौर विकासखण्ड के ग्राम तरडा में गौठान परिसर में प्रतिमा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 1.50 एकड़ में बाड़ी विकास कार्य किया जा रहा है। समूह की 13 सदस्यों द्वारा इस बंजर भूमि में बाड़ी विकास का कार्य कर आलू, प्याज, टमाटर, बरबटी, लौकी एवं अन्य सब्जियों की खेती की गई है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है।
पुसौर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत पुसल्दा में गौठान महिला समूह द्वारा दो एकड़ में आलू की खेती की गई है। बंजर भूमि में क्यारी तैयार कर जोताई एवं पानी की व्यवस्था कर आलू की खेती करने का बीड़ा समूह की 12 महिला सदस्यों ने उठाया और इसमें सफलता हासिल की। समूह खेती के साथ-साथ 5 नाडेप टैंक में गोबर खाद भी जमा किया जा रहा है, जिससे गौठान में जैविक खाद भी तैयार हो रहा है। ग्राम पण्डरीपानी के आश्रित ग्राम फूलबंधिया में महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 3 एकड़ में चारागाह विकास किया गया है। चारागाह में नेपियर घास लगाया गया है, गौठान में आने वाले पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के अतिरिक्त बचे हरा चारा को किसान को विक्रय किया जाता है। इसी तरह रायगढ़ जिले के कोसमनारा, कोसीर एवं अन्य गौठानो में बाड़ी एवं चारागाह विकास के माध्यम से छत्तीसगढ़ की नारी शक्ति स्वावलंबन की ओर अग्रसर है।