भाजपा पहले अपने गरेबांन में झांक कर देखे : गिरीश देवांगन
रायपुर/18 फरवरी 2020। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के बयान पर पलटवार करते हुये प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के जिलों से समस्यायें आ रही उनकी निराकरण के लिये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के निर्देश पर सरकार को पत्र लिखा गया है। भाजपा की रमन सिंह सरकार ने तो 50 लाख टन धान ही प्रति वर्ष खरीदा है। 80 लाख टन से अधिक धान खरीदने वाली 2500 रू. समर्थन मूल्य में खरीदने वाली कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ भाजपा नेता किस मुंह से बोल रहे है? छत्तीसगढ़ के गांवों के लोग भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को बखूबी समझ चुके है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन ने कहा है कि किसानों से छलावा तो भाजपा का चरित्र है। भाजपा सरकार में धमतरी में किसानों पर किया गया बर्बर लाठीचार्ज अभी तक छत्तीसगढ़ के लोग नहीं भूले है। भाजपा सरकार में ही अभनपुर के किसान की अश्रुगैस का गोला फटने से मौत की घटना सबका अभी तक याद है। अभनपुर में पुलिस की अश्रुगैस लाठी से किसान केजूराम बारले की मौत हो गयी। आरंग के रीवा गांव का किसान गोकुल साहू सहित सैकड़ों किसान खेतों को पानी नहीं मिलने के कारण और कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर चुके है। सैकड़ों किसानों ने भाजपा के 15 साल के शासनकाल में आत्महत्या की है। भाजपा अपने किसान विरोधी रवैये का फल भुगत ही रही है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने 2013 के घोषणा पत्र में कहा था कि 2100 रू. समर्थन मूल्य देंगे, 300 रू. बोनस देंगे। 2100 रू. धान का दाम भाजपा सरकार में कभी नहीं मिला। 300 रू. बोनस 5 साल नहीं दिया। भाजपा ने कहा था एक-एक दाना धान खरीदेंगे, नहीं खरीदा। भाजपा ने कहा था 5 हार्सपावर पंपों को मुफ्त बिजली देंगे, नहीं दी। भाजपा ने कहा था कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशे लागू करेंगे, किसानों को फसल की लागत पर डेढ़ गुना जोड़कर दाम देंगे, नहीं दिया। भाजपा ने कहा था 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करेंगे, अभी तक किसानों की आय बढ़ाने के लिये कुछ भी नहीं किया। भाजपा ने तो हमेशा किसानों के साथ धोखाधड़ी ही की है। भाजपा किसान हितैषी बनने का स्वांग रच रही है और किसानों के लिये मगरमच्छ के आंसू बहा रही है। भाजपा के इस किसान विरोधी चरित्र को छत्तीसगढ़ के किसान बखूबी जानते, समझते है।