नई सरकार की पहल: फूड पार्क बनेंगे समृद्धि का आधार  कोण्डागांव, बस्तर और सुकमा में फुड पार्क का शिलान्यास धान से एथेनाॅल को दिया जा रहा प्रोत्साहन

नई सरकार की पहल: फूड पार्क बनेंगे समृद्धि का आधार  कोण्डागांव, बस्तर और सुकमा में फुड पार्क का शिलान्यास धान से एथेनाॅल को दिया जा रहा प्रोत्साहन
     रापपुर 05 फरवरी 2020/ छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास का माॅडल देश के लिए नजीर बन गया है। हाल मे ही प्रस्तुत किए गये केन्द्रीय बजट में भी इसकी झलक देखने को मिल रही है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के केन्द्रीय बजट में मछली पालन और चारागाह विकास को मनरेगा से जोड़ने की घोषणा की गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने खेती किसानी की प्रगति के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी योजना को कृषि से जोड़ने की समय-समय पर मांग की है। उन्होंने कहा है कि मनरेगा के माध्यम से गौठानों और चारागाहों का विकास किया जाना चाहिए। जिससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा और पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था हो सकेगी। प्रदेश में 4000 गौठानों के विकास का लक्ष्य है। इनमें से 2000 गौठानों का निर्माण किया जा चुका है। गौठानों में लगभग 10 एकड़ के रकबे में चारागाह विकसित किये जा रहे है। बजट में मनरेगा से चारागाह विकास को जोड़ने के प्रावधान से छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना को बड़ी मदद मिलने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ में लगभग 80 प्रतिशत आबादी कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों पर ही जीवन यापन करती है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सिंचाई सुविधा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यहां की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को देखते हुए नई सरकार ने कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। राज्य में किसानों की आमदनी बढ़ाने और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए आगामी 5 वर्षों में दो सौ फूड पार्क की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। कोण्डागांव जिले के ग्राम कोकड़ी में 5 करोड़ रूपए की लागत से सहकारी क्षेत्र में मक्का प्रोसेसिंग यूनिट और जिला मुख्यालय सुकमा और बस्तर जिले के धुरागांव में फूड पार्क का शिलान्यास किया गया हैं। सार्वजनिक वितरण प्रणाली और केन्द्रीय पूल में चावल देने के पश्चात शेष बचे धान से एथेनाॅल उत्पादन बनाने का निर्णय भी राज्य सरकार ने लिया है। एथेनाॅल उत्पादन के लिए संयंत्र स्थापना हेतु टेण्डर भी जारी किया जा चुका है। इससे स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होगें और बहुमूल्य विदेशी मुद्रा में भी बचत होगी।
छत्तीसगढ़ राज्य की जलवायु धान के लिए उपयुक्त होने के कारण यहां धान का विपुल उत्पादन होता है। इस वर्ष 2019-20 में 50 लाख 84049 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि हैं। जिसमें 27 लाख 51 हजार 688 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल लगाई जाती है। चालू वर्ष में समर्थन मूल्य में लगभग 85 लाख मीटरिक टन धान खरीदी की जा रही है। सरकार ने धान की कीमत प्रति क्विंटल 2500 रू. किसानों को देने के लिए मंत्री स्तरीय कमेटी भी बनाई है। पिछले सीजन में धान की कीमत 2500 रू. देने से राज्य की अर्थव्यवस्था देशव्यापी मंदी से अछूती रही। धान की भरपूर कीमत मिलने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी। इससे राज्य के हर सेक्टर में उछाल देखा गया। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई निर्णय लिये है। अतिरिक्त धान को एथेलाॅल बना कर पेट्रोलियम के साथ उपयोग करने की संभावनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ सहकारी सोसायटी (संशोधन) अध्यादेश, लाया गया है। इसके तहत एथेनाॅल बनाने के लिए सहकारी संस्थाएं निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का लाभ ले सकेगें। ‘‘कोई भी सोसायटी, किसी भी सरकार के उपक्रम, सहकारी सोसायटी या राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किसी उपक्रम या निजी उपक्रम के साथ, किसी विशेष कारोबार के लिए जिसमें औद्योगिक विनिधान, वित्तीय सहायता या विपणन और प्रबंधन विशेषज्ञता शामिल हैं, सहयोग कर सकेगी।
राज्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सुराजी गांव योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत नरवा कार्यक्रम में नदी नालों के पुर्नजीवन का काम हाथ में लिया गया है। इस कार्यक्रम से जहां सतही जल का संचयन होगा, भू-जल स्तर में वृद्धि होगी वहीं मिट्टी की नमी लंबे समय तक बरकरार रहेगी। सतही जल प्रबंधन से किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। वहीं उद्योगो को भी जल आपूर्ति की जा सकेगी। इससे राज्य में द्वि-फसली क्षेत्र की वृद्धि होगी। उद्यानिकी और वाणिज्यिक फसलों की ओर किसान अग्रसर होंगे। नरवा कार्यक्रम में ऐसे एक हजार से अधिक नदी नालों का चयन किया गया है।
        वर्तमान में राज्य की वास्तविक सिंचाई क्षमता 10.38 लाख हेक्टेयर है, जो कि कुल कृषि योग्य भूमि का 18 प्रतिशत है। राज्य में सिंचाई परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के लिए मंत्रीपरिषद द्वारा सिंचाई विकास निगम गठित करने का निर्णय लिया गया है। सिंचाई के बढ़ने से राज्य में कृषि का उत्पादन बढ़ेगा इससे गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसी प्रकार कृषि और वनोपज पर आधारित लघु उद्योगों के लिए भी स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य में उद्यानिकी और वाणिज्यिक फसलों के साथ-साथ वनोपज पर आधारित उत्पादों के वेल्यू एडीशन और मार्केटिंग के क्षेत्र में नये स्टार्ट-अप शुरू किए जा रहे हैं।

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *