धर्म से धर्म को ही लड़ाना साम्प्रदायिक ताकतों का डीएनए है : शैलश नितिन त्रिवेदी
रायपुर/ 11 जनवरी 2020। मोदी सरकार द्वारा सीएए कानून देश भर में लागू करने की अधिसूचना पर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है। केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी द्वारा सीएए को नागरिकता देने वाला कानून बताये जाने पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि जनता सीएए, एनआरसी और एनपीआर के मकड़जाल का बखूबी समझ रही है और इसीलिये पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है। डॉ. बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा बनाये गये संविधान में धर्म के आधार पर कोई भी भेदभाव नहीं करने की बात स्पष्ट है। मोदी सरकार के काले नागरिकता कानून का संविधान विरोधी होने के कारण ही इसका व्यापक विरोध हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव 2018 में 47 लाख एक हजार पांच सौ सैतीस वोट प्राप्त किये। 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा ने मिस्ड काल से ही 57 लाख सदस्य बने थे। लेकिन भाजपा नेताओं की पुरजोर कोशिशों के बावजूद सीएए के समर्थन में छत्तीसगढ़ से सिर्फ 5 लाख मिस्ड काल हो पायी। छत्तीसगढ़ में तो भाजपा के 52 लाख कार्यकताओं ने सीएए के समर्थन में मिस्ड्काल नहीं किया और 42 लाख भाजपा के मतदाताओं ने सीएए का समर्थन में मिस्ड काल नहीं किये। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि छत्तीसगढ़ के मतदाताओं के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ता भी सीएए के पक्ष में नहीं है। इसी कारण पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी भाजपा सीएए के पक्ष में समर्थन जुटा पाने में विफल रही।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारत में रहले वाले सभी धर्मो को मानने वाले लोग भारत के नागरिक और सभी धर्मो के मानने वालों को भारत के संविधान में समान अधिकार प्राप्त है। निश्चित एप ही भारत ने हमेशा शरणार्थियों को शरण दी है और उनका संरक्षण किया है। इस बारे में महात्मा गांधी पंडित नेहरू, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी सहित सभी कांग्रेस नेताओं के स्पष्ट विचार रहे है। लेकिन भाजपा द्वारा नागरिकता कानून को धर्म से धर्म को लड़ाने के लिये इस्तेमाल करना गलत और आपत्तिजनक है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि आजादी की लड़ाई में तिरंगे झंडे तले हिंदू और मुसलमान मिलकर लड़े थे। जब हिंदुओं और मुसलमानों को आपस में लड़ाने में अंग्रेज लगे थे और हिंदुमहासभा और मुस्लिमलीग इसमें अंग्रेजों के मददगार थे। जो मुसलमान विभाजन चाहते थे और अंग्रेजों के साथ थे, वो चले गये पाकिस्तान। भारत में वही मुसलमान रहे जिन्होने भारत को अपना देश माना था। जो अंग्रेजों के खिलाफ हिन्दू भाईयों के कंधे से कंधा मिलाकर लड़े थ। उस समय अंग्रेजों की जीहूजुरी करने वाले आज राष्ट्रवादी बनकर नागरिकता कानून के नाम पर धर्म से धर्म को लड़ायें यह देश को स्वीकार नहीं है। भाजपा काला नागरिकता कानून लागू कर अंग्रेजों के समय चली आ रही साम्प्रदायिक ताकतों की परिपाठी जारी रखते हुये फिर से धर्म से धर्म को लड़ाने में लगी है। दरअसल धर्म से धर्म को लड़ाना ही साम्प्रदायिक ताकतों के डीएनए में है।