दंतेवाड़ा-चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव, नगरीय निकाय चुनावों की ही तरह पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में कांग्रेस ने किया जीत का दावा
रायपुर/30 दिसंबर 2019। आज से पंचायत चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया आरंभ हो रही है। दंतेवाड़ा और चित्रकोट विधानसभा उपचुनाव और नगरीय निकाय चुनावों की ही तरह पंचायत चुनावों में भी कांग्रेस की एकतरफा जीत का दावा करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के मजदूर किसान इस बात को बखूबी समझते हैं कि उन्हें 2500 रुपये धान का दाम देने का काम कांग्रेस की सरकार भूपेश बघेल की सरकार ने अपने संसाधनों से किया है। किसानों की 11000 करोड़ की कर्ज माफी भी छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने भूपेश बघेल सरकार ने अपने संसाधनों से की है। भाजपा ने तो अपने शासनकाल में 5 साल तक 300 रू. बोनस देंगे बोलकर नहीं दिया 2100 रुपए धान का समर्थन मूल्य नहीं दिया। भाजपा की केंद्र सरकार ने शर्त लगाई है कि किसानों को 2500 रू. नहीं बल्कि मोदी सरकार का समर्थन मूल्य 1815 रू. दिया जाए। भाजपा के किसान विरोधी चरित्र को छत्तीसगढ़ के किसान बखूबी जानते हैं समझते है। एक भी भाजपा नेता ने, भाजपा सांसद, विधायक, पंचायत प्रतिनिधि ने किसान मजदूरों के हित में आवाज नहीं उठाई। किसान विरोधी पार्टी भाजपा के नेताओं के वास्तविक चरित्र को छत्तीसगढ़ की ग्रामीण जनता बखूबी समझ रही है, जान रही है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि वित्त आयोग की राशि से भाजपा नेता, मोदी और शाह के प्रवास में भाजपा की सरकार ने रमन सिंह की सरकार ने भीड़ जुटाने के लिए गांव के विकास का पैसा खर्च किया। जिओ के टावर के लिए एक निजी कंपनी के टावर के लिए भी पंचायतों की 600 करोड़ राशि भाजपा सरकार ने दे दी थी जो कांग्रेस के विरोध के बाद वापस करनी पड़ी। रमन सिंह की सरकार ने लगातार गांव वालों के हितों के खिलाफ काम किया। सरकारी कोष से पंचायतों में मूलभूत विकास कार्यो के लिये आने वाली राशि बिना सरपंच सचिव के हस्ताक्षरों के निकाल कर हड़पने की साजिश भाजपा सरकार में ही रची गयी थी। इसे छत्तीसगढ़ के गांवा वाले कभी भूलेंगे नहीं। गांव वालों की राशि हड़पने वाली भाजपा सरकार को कभी गांव के मतदाता माफ नहीं करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा की सरकार ने गांव में रहने वाले निरक्षर लोगों को चुनाव लड़ने से वंचित रखने की साजिश रची और पंचायत जनप्रतिनिधियों के लिए शिक्षा की योग्यता रखी जबकि सांसद और विधायक बनने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है। सुदूर अंचलों में यहां शिक्षा का प्रचार-प्रसार नहीं हुआ, वहां योग्यता रखने वाले गांव के विकास की समझ रखने वाले योग्य उम्मीदवारों को शैक्षणिक योग्यता की इस अनिवार्यता के कारण पंच, सरपंच, जनपद सदस्य बनने से वंचित होना पड़ा। कांग्रेस की सरकार ने इस अनिवार्यता को पूरी तरीके से समाप्त कर दिया है।