चुने हुए पार्षद निगमों में महापौर और नगर पंचायत और परिषदों में अध्यक्षों का चुनाव करेंगे: पुनः प्रमोद दुबे महापौर बन सकते है
रायपुर। छत्तीसगढ़ में 15 साल से जमी भाजपा की सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद पहली बार कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की देखरेख में शहरी सरकार का गठन होने जा रहा है। 24 दिसंबर 2019 को शहरी सरकार के लिए हुए नगरीय चुनाव की मतगणना संपन्न हो गयी और परिणाम भी सामने आ गया है। इस बार राज्य सरकार ने महापौर और अध्यक्ष पद के लिए चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराये जाने का निर्णय लिया है। ऐसे में अब चुने हुए पार्षद निगमों में महापौर और नगर पंचायत और परिषदों में अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। महापौर या फिर अध्यक्ष पद का वही उम्मीदवार हो सकेगा जो पार्षद का चुनाव जीतकर आया होगा। सबसे बड़ सवाल प्रदेश की राजधानी रायपुर नगर निगम के महापौर पद को लेकर है। यहां वर्तमान में प्रमोद दुबे महापौर रहे। कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 2019 में हुए लोकसभा के चुनाव में भी रायपुर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया था पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। महापौर रहते हुए उन्होंने फिर पार्षद पद पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें वार्ड क्रमांक-57 पं. भगवतीचरण शुक्ल वार्ड से उम्मीदवार बनाया। यहां वह 3491 मत पाकर अपने निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार वाडिया को 1942 वोटों से हराया। इस वार्ड में कुल छह उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें निर्दलीय राजकुमार वाडिया का 1449, जनता कांग्र्रेस के राहिल रऊफी को 288, भाजपा के सचिन मेघानी को 1202, निर्दलीय उम्मीदवार गोर्वधन नायक को 9 और मुकेश महोबिया को 23 मत मिले। इस पार्षद पद का परिणाम आ जाने के बाद महापौर पद के लिए जोड़तोड़ शुरू हो गया है। कांग्रेस में महापौर पद के लिए ज्ञानेश शर्मा, एजाज ढेबर, अजीत कुकरेजा के नाम की भी चर्चा चल रही है। अघोषित तौर पर प्रमोद दुबे ही उम्मीदवार माने जा रहे हैं क्योंकि वह वर्तमान में अभी महापौर हैं। अगर पार्टी समीकरण और अन्य कारणों से प्रमोद दुबे को महापौर का उम्मीदवार न बनाया गया तो वह पहले महापौर होंगे जो दूसरे महापौर के अधीन पार्षद बनकर उसी नगर निगम में काम करेंगे जहां वह पिछले पांच साल तक महापौर रहे।