कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने विशाल जनसभा में कहा देश को बचाना है, तो हमें कठोर संघर्ष करना होगा

कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने विशाल जनसभा में कहा देश को बचाना है, तो हमें कठोर संघर्ष करना होगा

दिल्ली/कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा – डॉ. मनमोहन सिंह जी, श्री राहुल गांधी जी, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यगण, देश के कोने-कोने से आए हमारे कार्यकर्तागण, भाईयों और बहनों, दूर-दूर से, देश भर के कोने-कोने से आप सब इतनी तादाद में आए हैं। आज की इस ‘भारत बचाओ रैली’ में, मैं आप सभी का स्वागत करती हूं।

आपहम सब, इसलिए यहां आए हैं कि काफी समय से देश की हालत बहुत गंभीर हो गयी हैहमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम अपने घरों से बाहर निकलें और इसके खि़लाफ आंदोलन करें। किसी भी व्यक्तिसमाज और देश की जिंदगी में कभी-कभी ऐसा वक़्त आता हैकि उसे इस पार या उस पार’ का फ़ैसला लेना पड़ता है। आज वही वक्त आ गया है। देश को बचाना हैतो हमें कठोर संघर्ष करना होगा।

आज हमारे युवा इस तरह की बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं, जैसा कि दशकों से नहीं हुआ। बच्चे काम की तलाश में भटक रहे हैं। लगी-लगाई नौकरियां भी उनके हाथ से जा रही हैं। उनके सामने अंधेरा ही अंधेरा है। तो मैं आप से पूछती हूं कि हम युवाओं के भविष्य के लिए कठोर संघर्ष करने के लिए तैयार हैं या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार हैं)

 

आज जब मैं, अपने अन्नदाता किसान भाइयों की दशा को देखती हूं, तो मुझे बहुत तकलीफ होती है। उनकी परेशानियां इतनी बढ़ गई हैं कि उनका जीना और ज्यादा मुश्किल हो गया है। उन्हें अपने खेतों के लिए सही समय पर बीज नहीं मिलता है। आसानी से खाद नहीं मिलती है। पानी-बिजली की सुविधाएं ठीक से नहीं मिलती हैं। इतनी सब कठिनाइयों के बावजूद फसल के उचित दाम भी नहीं मिलते हैं। तो भाईयों और बहनों, हमें बताइए कि अपने किसान भाई-बहनों के लिए संघर्ष करने को हम तैयार हैं या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार हैं)

हमारे कामगार भाई-बहन, दिन-रात मजदूरी में लगे रहते हैं, सर्दी-गर्मी-बरसात की परवाह किए बिना अपना काम करते हैं, फिर भी उन्हें दो समय की रोटी ठीक से नहीं मिल रही है। बताइए हम उनकी जिंदगी में बदलाव लाने के लिए, संघर्ष करने के लिए, तैयार हैं या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार हैं)

छोटे-बड़े कारोबारी बैंकों से कर्ज लेकर, जो काम-धंधा शुरू किए, वह मोदी-सरकार की गलत नीतियों के कारण तबाह हो गए हैं। काम-धंधा नहीं चलने की वज़ह से वह समय पर बैंकों का कर्ज नहीं दे पा रहे हैं। पूरे परिवार के साथ आत्म-हत्या करने की खबरें आ रही हैं। तो मुझे बताइए आप कि उनके लिए हम सब संघर्ष करने के लिए तैयार हैं या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार हैं)

मुझे इस बात का एहसास है कि मेरी प्यारी बहनों को अपने परिवार को पालने के लिए कितना सैक्रिफाइस करना पड़ता है, रात-दिन मेहनत करती हैं, अपना पेट काट कर परिवार पालती हैं। आज रोज-मर्रा की चीजों की कीमत सीमा से बाहर होने की वजह से उनकी नींद तक हराम हो गयी है। यही नहीं, उनके ऊपर जिस तरह की बर्बरता और जु़ल्म आज हो रहे हैं, उसे देखकर हमारा दिल टूट सा रहा है, हमारा सिर शर्म से झुक जाता है। मैं आपसे पूछती हूं कि अपनी माता-बहनों और बच्चियों की इस हालत के खिलाफ, हम संघर्ष करने के लिए तैयार हैं या नहीं? (जनता ने कहा, तैयार हैं)

आज तो ‘अंधेर नगरी-चौपट राजा’ जैसा माहौल है। पूरा देश पूछ रहा है कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ कहां है? अर्थ-व्यवस्था इस तरह क्यों तबाह हो गई? रोज़गार कहां चले गए हैं?

आप ही बताइए कि इस बात की जांच होनी चाहिए या नहीं कि जिस काले धन को बाहर लाने के लिए नोट-बंदी की थी, वह काला धन बाहर क्यों नहीं आया? वह कालाधन किसके पास है? इस बात की जांच होनी चाहिए या नहीं कि आधी रात को धूमधाम से जो जीएसटी लागू की थी, उसके बाद मोदी सरकार का खज़ाना खाली क्यों हो गया?

इस बात की जांच होनी चाहिए या नहीं कि आरबीआई की जेब काटकर, जो लाखों करोड़ रुपए मोदी-सरकार ने लिए, वे कहां गए?

आप ही बताइए कि इस बात की जांच होनी चाहिए या नहीं कि हमारी नव-रत्न कम्पनियां क्यों बेची जा रही हैं और किन्हें बेची जा रही हैं?

दूसरी तरफ जनता का पैसा बैंकों तक में सुरक्षित नहीं है। आम आदमी खुद का पैसा न घर में रख सकता है और न बैंक से निकाल सकता है। इसको मोदी-शाह कहते हैं, यही हैं अच्छे दिन?

आज का माहौल ऐसा हो गया है कि जब मर्ज़ी आए, कोई धारा लगा दो। कोई धारा हटा दो। प्रदेशों का दर्ज़ा बदल दो। जब मर्ज़ी आए राष्ट्रपति शासन हटा दो। बिना बहस के कोई भी विधेयक पारित कर दो।

ये संविधान-दिवस मनाने का दिखावा करते हैं, और हर रोज़ संविधान की धज्जियां उड़ाते हैं।

नया नागरिकता कानून बनाने की सनक भी, इन पर काफ़ी समय से सवार थी। मोदी-शाह को इस बात की कोई परवाह ही नहीं है, कि ये जो सीएबी (CAB) कानून अभी लाये हैं, वह भारत की आत्मा को तार-तार कर देगा, जैसा कि असम और नॉर्थ-ईस्ट प्रदेशों में हो रहा है। भारत की वह आत्मा, जिसके लिए हमारे महान् राष्ट्र निर्माताओं और बाबा साहब अंबेडकर ने कठिन संघर्ष किया था। लेकिन मैं दावे के साथ कह सकती हूं, कि हमारे देश का बुनियादी स्वभाव, ऐसे भेद-भाव वाले क़दमों की इजाज़त नहीं देता है। मैं विश्वास दिलाती हूं कि जिनसे भी अन्याय होगा, कांग्रेस उन सभी के साथ खड़ी रहेगी।

मोदी-शाह सरकार को न संसद की चिंता है, आप तो सब जानते हैं और रोज ही देखते हैं, संसद की चिंता नहीं है, न संवैधानिक संस्थाओं की परवाह है। उन्हें, मोदी शाह का सिर्फ एक ही लक्ष्य है, अपनी राजनीति की परवाह है। उनका एक ही संकीर्ण एजेंडा है, लोगों को लड़वाओ और असली मुद्दों को छुपाओ।

भाईयों और बहनों, नाइंसाफी सहना सबसे बड़ा अपराध है। इसलिए मोदी-शाह सरकार को अपनी आवाज बुलंद करके बताइए कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए हम कोई भी क़ुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। संविधान की रक्षा के लिएहम हर तरह के संघर्ष करने के लिए तैयार हैं।

जनता के हकों की रक्षा के लिएकांग्रेस ने, सिर्फ कांग्रेस ने हमेशा लड़ाई लड़ी है। आज भी कांग्रेस पार्टी पीछे हटने वाले नहीं हैं। अपनी अंतिम सांस तक हम देशलोकतंत्र और संविधान की रक्षा का अपना कर्तव्य निभाते रहेंगे।

The News India 24

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