पियक्कड़ शिक्षक के भरोसे बच्चों का भविष्य, पालकों ने शिकायत की, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई…
भानुप्रतापपुर. स्कूल में बच्चे भविष्य गढ़ने जाते हैं. वे शिक्षक को गुरू मानते हैं, लेकिन गुरू ही सही नहीं होगा तो वो बच्चों को क्या शिक्षा देंगे, उसका क्या भविष्य बनाएंगे. दरअसल, भानुप्रतापपुर विकासखंड के मुंगवाल पंचायत के डोंगरी पारा प्राथमिक स्कूल से ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसे देखकर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को आसानी से समझ सकते हैं. इस स्कूल के प्रधान पाठक शराब के नशे में प्रतिदिन स्कूल पहुंचते हैं. दूसरे दिन की तरह शुक्रवार को भी शराब पीकर स्कूल पहुंचे. और वे क्या बोल रहे हैं, उसे कुछ होश नहीं था. उसी हालत में बाहर कुर्सी पर बैठे थे. और अंदर बच्चे तमाशा देख रहे थे. यह सारा नजारा किसी ने अपने कैमरे में कैद कर लिया.
बता दें कि ये स्कूल भानुप्रतापपुर से मात्र 13 किमी की दूरी पर है. लेकिन इसका ये हाल है तो अंदरूनी इलाकों की बात करना बेमानी ही होगी. सोच सकते हैं उसका क्या हाल होगा.
सालाना 9 लाख वेतन
ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षा विभाग और जिला कलेक्टर से पिछले 2 साल से शराबी शिक्षक को हटाने की मांग कर रहे हैं. पालक अपने बच्चों को स्कूल भेजने ही बंद कर दिए हैं. अब हालत यह है कि पहली में 5, तो दूसरी में 2, तीसरी में 8, चौथी में 1 बच्चे हैं. सिर्फ मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूल आ रहे हैं. और सरकार से प्रतिवर्ष 9 लाख रुपये वेतन पाने वाले प्रधान पाठक साहब सरकार और जिला प्रशासन को धोखा दे रहा है.
नोटिस से क्या होगा
शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण कर रहे हैं. स्कूलों में कई कमियां उजागर हुई. लेकिन लापरवाह शिक्षकों को कार्रवाई के नाम पर सिर्फ नोटिस दिया गया. ये हाल मैदानी इलाके के स्कूलों का है, तो वनांचल क्षेत्रों में क्या होता होगा ये सोच नहीं सकते. सवाल है कि लापरवाह शिक्षकों को आखिर कब तक बर्दाश्त किया जाए.