छत्तीसगढ़ में राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के साथ भाजपा सरकार ने की थी धोखाधड़ी…..कृषि भूमि के नाम पर धोखा दे, बड़े झाड़ के जंगल को नियम विरुद्ध किया रजिस्ट्री
रायपुर। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में निवासरत संरक्षित जनजाति कमार व भुजिया आदिवासियों के साथ पूर्व की भाजपा सरकार ने की बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी कर गलत तरीके से रजिस्ट्री की थी। बड़े झाड़ के जंगलों को कूटरचना कर कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री करवा दी गई। आदिवासियों को वर्षों गुजर जाने पर भी ना भूमि का कब्जा मिला ना रजिस्ट्री की कापी, 202 रजिस्ट्रियों में से 170 रजिस्ट्रियो में ना तो नक़्सा खसरा, बी 1 है ना ही फोटो, ना निरीक्षण रिपोर्ट है, 24 रजिस्ट्रियो में स्टाम्प पेपर भी नहीं लगाया गया है। जिन आदिवासियों से जमीन क्रय की गई उन्हें भी पूरा पैसा प्राप्त नही हुआ तात्कालिक भूमि की कीमत से 5 गुना ज्यादा पैसा ले शासकीय पैसे का दुरुपयोग कर इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है जो सरकार के संरक्षण बगैर सम्भव नही है। इस बात का खुलासा रविवार को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव विनोद तिवारी ने रायपुर प्रेसक्लब में मीडिया के सामने किया। उन्होंने बताया कि सूचना अधिकार के तहत उन्होंने 22 माह में 177 रजिस्ट्रियों की कुल 3846 पेज की जानकारी हासिल की। 26 रजिस्ट्रीयों को उपपंजीयक कार्यालय से अप्राप्त बताया गया है। श्री तिवारी ने बताया कि गरियाबंद जिले में कमार एवं भुजिया जनजाति के लोग निवासरत हैं। इस जनजाति के लोगों की संख्या बहुत कम है। ये एक संरक्षित जनजाति के लोग है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा इन्हें गोद लिया गया है ताकि इनका समुचित विकास हो, इनके लिये बहुत सी योजनाएं संचालित की जाती हैं। इसी कड़ी में कमार भुजिया जनजाति के लोगों को सरकार द्वारा अपने पैसे से जमीन क्रय कर मुफ़्त में जमीन पंजीयन करा देने का प्रावधान है। इस योजना के तहत सर्व प्रथम कमार भुजिया जनजाति के लोगों को उनके गाँव के समीप उनके पसंद की कृषि योग्य भूमि दिखाई जाती है, उसके उपरांत पटवारी द्वारा सीमांकन कर नक्शा बनाया जाता है, सम्बंधित अधिकारी कर्मचारियों द्वारा भूमि का निरीक्षण किया जाता है। रजिस्ट्री में इस बात का भी उल्लेख किया जाता है की भूमि कृषि योग्य है एवं उक्त भूमि पर बड़े झाड़ का जंगल अथवा झाड़ नहीं है। उसके बाद भूमि की उपयोगिता प्रमाण पत्र बना रजिस्ट्री करवाने का प्रावधान है।
सूचना अधिकार से प्राप्त की जानकारी
सूचना अधिकार से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेजो आधार पर 202 रजिस्ट्री में से मात्र 32 रजिस्ट्रीयो में नक्शा, खसरा, बी-1, और फोटो लगी है बाकी 170 रजिस्ट्री में ना तो बी 1 है, ना नक़्सा, ना खसरा, ना फोटो, जो विधि विरुद्ध है। बिना नक़्सा, खसरा, बी 1 के रजिस्ट्री हो ही नहीं सकती। 24 रजिस्ट्रीयां सादे पेपर में की गई है, स्टाम्प पेपर नहीं लगाया गया है। उपरोक्त बातो से ही अन्दाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह अधिकारी, जनप्रतिनिधि, जमीन दलालों द्वारा षडयंत्रपूर्वक नियम कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए खुला भ्रष्टाचार किया गया है। श्री तिवारी ने कहा कि जल्द-ही जिलाधीश, गरियाबंद को मामले से सम्बंधित समस्त दस्तावेज, पीड़ितों की वीडियो रिकार्डिंग सौंप, षडयंत्रपूर्वक कूटरचना कर फर्ज़ी तरीके से किये विधि-विरुद्ध, नियम-विरुद्ध कृत्य की कमेटी बना जांच करने हेतु दस्तावेज सौपे जायेंगे।