सारकेगुड़ा मसले को लेकर CRPF ने बीस नक्सलियों के मारे जाने के दावे पर तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने तब कहा था “यह 20 नक्सलियो की मौत नहीं, बल्कि 72 जवानों की शहादत का बदला है”…..तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री के इस बयान के ठीक उलट उस समय के पीसीसी चीफ़ नंद कुमार पटेल ने इस मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताया और जाँच की माँग रखी थी
रायपुर,1 दिसंबर 2019। जिस सारकेगुड़ा न्यायिक जाँच रिपोर्ट को लेकर सूबे की सियासत सरगर्म है, यह मामला तब और गर्म था जबकि सारकेगुड़ा में यह कांड हुआ। यह एक ऐसा मामला था जिसमें केंद्र में शासित कांग्रेस की प्रमुखता वाली यूपीए सरकार और राज्य की कांग्रेस कमेटी आमने सामने आ गए थे।
सारकेगुड़ा मसले को लेकर CRPF ने बीस नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था, इस दावे पर तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने तब कहा था
“यह 20 नक्सलियो की मौत नहीं है.. बल्कि 72 जवानों की शहादत का बदला है”
तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री चिदंबरम के इस बयान के ठीक उलट उस समय के पीसीसी चीफ़ नंद कुमार पटेल ने इस मुठभेड़ को फ़र्ज़ी बताया और जाँच की माँग रखी थी। इस मुठभेड़ को लेकर सबसे पहले सवाल तत्कालीन विधायक कवासी लखमा ने उठाए थे। राज्य कांग्रेस के तेवर बेहद सख़्त थे, और तत्कालीन अध्यक्ष नंद कुमार पटेल ना केवल विधानसभा के भीतर न्यायिक जाँच के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाया साथ ही कांग्रेस की ओर से जाँच दल भी बनाया जो कि प्रभावित गाँव पहुँचा और ग्रामीणों से बात कर उसने फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की थी।
पी चिदंबरम इस घटना को फ़र्ज़ी मुठभेड़ मानने को तैयार नहीं थे, लेकिन नंद कुमार पटेल अपने ही दल कांग्रेस की प्रमुखता वाले यूपीए सरकार और कांग्रेस के ही गृहमंत्री चिदंबरम के ख़िलाफ़ अड़ गए।