वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये सीएजी रिपोर्ट पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया………..भाजपा सरकार बजट को बढ़ा चढ़ाकर प्रदर्शित करती रही और साल दर साल 20000 करोड़ का व्यय न कर पाने का जनता को दें हिसाब
भाजपा सरकार में लोकऋण 2017-18 में 30377.45 करोड़ से बढ़कर 39030.01 करोड़ हो गया, 28 प्रतिशत की लोकऋण में वृद्धि
लंबित लेखा वाले सार्वजनिक उपक्रमों को बजटीय सहायता देने के औचित्य पर भाजपा जवाब दें
अनुपयोगी अनुपूरक अनुदान व्यय का 10 प्रतिशत कैसे पहुंचा : भाजपा सरकार ने वित्तीय अनुशासन की धज्जियां उड़ायी
रायपुर/29 नवंबर 2019। वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिये सीएजी रिपोर्ट पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा सरकार बजट को बढ़ा चढ़ाकर प्रदर्शित करती रही और साल दर साल 20000 करोड़ का व्यय न कर पाने का जनता को हिसाब दें। वर्ष 2017-18 में व्यय (भारित एवं मतदेय) के लिये 91011.85 करोड़ रू. एवं व्यय में कमी (वसूलियां) के लिये 2656.16 करोड़ रू. का सकल बजट प्रावधान किया गया था। इसके विरूद्ध वास्तविक सकल व्यय 69712.30 करोड़ रू. था तथा व्यय में कमी (वसूलियां) 2111.88 करोड़ रू. था, परिणामस्वरूप व्यय में 21299.55 करोड़ रू. (30.55 प्रतिशत) तथा व्यय में कमी में 544.28 करोड़ रू. की सकल बचत हुई।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा सरकार में लोकऋण 2017-18 में 30377.45 करोड़ से बढ़कर 39030.01 करोड़ हो गया, 28 प्रतिशत की लोकऋण में वृद्धि हुई।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि लंबित लेखा वाले सार्वजनिक उपक्रमों को बजटीय सहायता देने के औचित्य पर भाजपा जवाब दें। लंबित लेखों वाले सार्वजनिक उपक्रमों को बजटीय सहायता – राज्य शासन द्वारा 10 सार्वजनिक उपक्रमों को उस अवधि में जिसमें उनके लेखे 31 मार्च 2018 तक लंबित थे, 9463.02 करोड़ रू. की बजटीय सहायता (अनुदान एवं आर्थिक सहायता) प्रदान की तथा दायित्व (प्रतिभूति) स्वीकार किया। इन सार्वजनिक उपक्रमों ने कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का पूर्ण रूप से उल्लंघन करते हुये विगत 1 से 4 वर्षो के लखों को अंतिम रूप प्रदान नहीं किया गया।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अनुपयोगी अनुपूरक अनुदान व्यय का 10 प्रतिशत कैसे पहुंचा? भाजपा सरकार ने वित्तीय अनुशासन की धज्जियां उड़ायी। अनुपयोगी अनुपूरक अनुदान – वर्ष 2017-18 के दौरान 7640.24 करोड़ रू. का अनुपूरक अनुदान (कुल व्यय का 10 प्रतिशत) प्राप्त किया गया। कुल अनुपूरक अनुदान में से 4181.65 करोड़ रू. अनावश्यक सिद्ध हुआ यद्यपि वर्ष के अंत में मूल आबंटन के विरूद्ध बड़ी बचत शेष रही थी।