बिलासपुर/20 नवंबर 2019। नक्सली हमले में मारे गए दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या की जांच एनआईए ही करेगी। इस मामले में शासन की अपील को बिलासपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू के बेंच ने खारिज कर दिया। इससे पहले जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ ने राज्य शासन व राज्य पुलिस को हत्याकांड से संबंधित दस्तावेज एनआईए को सौंपने का आदेश दिया था। जिसके खिलाफ अपील में सरकार ने कहा था कि राज्य पुलिस को ही इस मामले की जांच करने दी जाए।
यह था विवाद
- 13 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले में फैसला अपने पास रख लिया था। इस दौरान एनआईए के वकील किशोर भादुड़ी ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने ऑब्जेक्शन किया। उनका कहना था कि काफी जांच पहले ही राज्य पुलिस कर चुकी है। ऐसे में यह केस राज्य के पास ही रहना चाहिए। इस पर न्यायालय ने पूछा कि तो क्या आप अपराधी का नाम आप बता सकते हैं? इस पर महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि अपराधी का नाम अब तक पता नहीं चला है। तब कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसे आप यह कैसे कह सकते हैं कि जांच काफी भीतर तक हुई।
- जानकारों का कहना है कि यदि यह जांच एनआईए करती है तो मुमकिन है कि राज्य पुलिस की कमियां सामने आएं, यही वजह थी कि सरकार इस कोशिश में थी कि जांच राज्य पुलिस के पास ही रहे। इसलिए राज्य सरकार का प्रयास था कि पुलिस के पास ही जांच रहे। भीमा मंडावी ने 2018 विधानसभा चुनाव से दंतेवाड़ा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था।
9 अप्रैल को नक्सली हमले में हुई थी हत्या
2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नकुलनार के पास आईईडी ब्लास्ट में भीमा मंडावी और उनके ड्राइवर समेत तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। हाल ही में इस सीट पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली, भीमा की पत्नी ओजस्वी को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था।