जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान: कृषि और डेयरी टेक्नालॉजी पर हुआ व्याख्यान

जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान: कृषि और डेयरी टेक्नालॉजी पर हुआ व्याख्यान
रायपुर, 18 अक्टूबर 2019/जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी के चौथे दिन आज जीवन की चुनौतियांे के लिए वैज्ञानिक समाधान के तहत कृषि और डेयरी टेक्नालॉजी विषय पर व्याख्यान हुआ।
राजधानी रायपुर के शंकर नगर स्थित बी.टी.आई. मैदान में बच्चों के लिए 46 जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण प्रदर्शनी में डेयरी कॉलेज अंजोरा दुर्ग के वैज्ञानिक डॉ. सुधीर उपरीत ने डेयरी टेक्नालॉजी पर अपने व्याख्यान में कहा कि जीवन की चुनौतियों के समाधान में डेयरी टेक्नालॉजी को भी शामिल किया गया है। हम अपने दैनिक जीवन में दूध एवं दूध से बने उत्पाद का उपयोग करते है। आज दूध की प्राप्ति के साधन बढ़ गए है, पूर्व में दूध के उपलब्धता के साधन कम थे, परंतु अमूल के आने के बाद दूध के क्षेत्र में क्रांति आ गयी है। जिसका श्रेय डॉ. वर्गिस कुरियन को जाता है, जिन्हें दूध क्रांति का जन्मदाता माना जाता है।
आज भारत दूध उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में एक नंबर पर है। आज खुले दूध के साथ ही पैक दूध भी अनेक रूपों में प्राप्त हो रहा है, साथ ही दूध से बने उत्पाद जो केवल घर में प्राप्त होता था, आज बाजार में रेडिमेट प्राप्त हो रहा है, और भारत में बने उत्पाद पूरे विश्व में उपलब्ध हो रहा है। दूध से वर्तमान में 36 प्रकार के दूध उत्पाद बनाए जाते है। साथ ही उन्होंने बताया कि बाजार में प्राप्त दूध उत्पाद से संबंधित कुछ भ्रातियां है इसे दूर करने की आवश्यकता है। डॉ. सुधीर उपरीत ने डेयरी टेक्नालॉजी के विभिन्न क्षेत्र के बारे में तथा उसकी आवश्यकता के बारे में बताया और इस क्षेत्र में युवाओं के लिए क्या रोजगार है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में इसे हम इस प्रकार अपना भविष्य बना सकते हैं। डेयरी टेक्नालॉजी से संबंधित कॉलेज में बच्चे किस प्रकार प्रवेश ले सकते है इसकी जानकारी दी।
व्याख्यान के दूसरे वक्ता डॉ. संजय पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने अपने व्याख्यान में कृषि के महत्व को बताते हुए कहा कि हम अनाज के बदले किसी अन्य चीज को नहीं खा सकते। अनाज मनुष्य का मुख्य भोजन है और युवा पीढ़ी इस क्षेत्र में अपना अच्छा कैरियर बना सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक ज्ञान आवश्यक है, यह युवाओं को अच्छा उद्देश्य देता है, खेती में कई तकनीक आ गयी है। नए जमाने के किसान नयी तकनीक का उपयोग कर पैसा कमा रहे है। हर तरह के विज्ञान को मिलाकर कृषि बनती है कोई भी विज्ञान का जानकार इसमें जा सकता है। मानव ने अच्छे उपज वाले पौधों को चुनना शुरू कर दिया है चुनाव में अच्छे बीज होते है जिसका चयन कर हम उसे खेती में लाए, यह पुराने समय की बात थी इतनी बढ़ी जनसंख्या के पेट भरने का प्रश्न है। इसके अंतर्गत जो मॉडल साइंस आया है, उसमें मॉडल टेक्नालॉजी शामिल है। जींस एडिटिंग में बीजों में डी.एन.ए. के अणु कैसे जुड़े है और खराब को कैसे निकाले यह निर्धारित किया जाता है। कुपोषण का कारण जींक और आयरन का न मिल पाना है। पिछले तीन वर्षो में जींस एडिटिंग के द्वारा जिंक और आयरन की मात्रा अनाज में बढ़ा रहे ह,ै इनकी मात्रा बढ़ने पर अनाज टॉनिक बन जाएगा। जैव विविधता वाले देश में वैज्ञानिक कार्य करते हैं। नए तरीके के चावल आदि इकट्ठा करते हैं, जिसे भविष्य में समाधान के लिए उपयोग करते है। बायोटेक्नालॉजी से भूमि के अनुसार फसलों की पैदावार संभव है।

The News India 24

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