जुलाई में मार्केट रिसर्च कंपनी नीलसन ने FMCG सेक्टर के लिए 2019 का अपना ग्रोथ अनुमान 11-12 पर्सेंट से घटाकर 9-10 पर्सेंट कर दिया था। कंपनी ने ग्रामीण क्षेत्रों की डिमांड सुस्त होने के कारण ऐसा किया। नीलसन ने कहा था कि सुस्ती का असर सभी फूड और नॉन-फूड कैटेगरी पर पड़ रहा है। इसका सबसे बुरा असर नमकीन, बिस्किट, मसाले, साबुन और पैकेट वाली चाय पर देखने को मिल रहा है।
पारले प्रॉडक्ट्स ग्रुप की इकाई पारले बिस्किट्स को कारोबारी साल 2018-19 में शुद्ध मुनाफा 15.2 फीसदी बढ़ा है। पारले बिस्किट्स का मुनाफा बढ़ने की खबर इसलिए अहम है क्योंकि नुकसान की आशंका को देखते हुए बिस्किट मैन्युफैक्चरर्स ने सरकार जीएसटी कट की मांग की थी। बिजनस प्लैटफॉर्म टॉफ्लर के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में पारले बिस्किट्स का शुद्ध मुनाफा 410 करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2017-18 में 355 करोड़ रुपये था। इस दौरान कंपनी को आमदनी में 6.4 फीसदी का इजाफा हुआ और वह बढ़कर 9,030 करोड़ रुपये हो गई। 2017-18 में यह आंकड़ा 8,780 करोड़ रुपये था।
पारले जी के मुनाफे पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के नैशनल इन्फर्मेशन ऐंड टेक्नॉलजी इन्चार्ज अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, कुछ दिनों पहले ‘एललाइटेंड इकनॉमिस्ट’ हमें बता रहे थे कि लोग 5 रुपये का पारले जी बिस्किट पैक नहीं खरीद पा रहे हैं? खैर कंपनी का मुनाफा 15.2 फीसदी बढ़ा है और आमदनी भी 6.4 फीसदी बढ़कर 09,030 करोड़ रुपये हो गई है।
पारले-जी, मोनैको और मैरी बिस्किट बनाने वाली पारले की सेल्स 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है। 10 प्लांट ऑपरेट करने वाली इस कंपनी में एक लाख एंप्लॉयी काम करते हैं। पारले के पास 125 थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं। कंपनी की सेल्स का आधा से ज्यादा हिस्सा ग्रामीण बाजारों से आता है।