भाजपा का नगरीय निकायों को लेकर आंदोलन पूरी तरह से विफल : कांग्रेस
रायपुर/16 अक्टूबर 2019। भारतीय जनता पार्टी द्वारा नगरीय निकाय चुनाव को लेकर लोकतंत्र और खरीद-फरोख्त रोकने की सम्भावना बताते हुए आंदोलन पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि चुनाव प्रक्रिया में बदलाव क़ानून सम्मत है और इससे किसी लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं होता।
नगरीय निकायों में विसंगतिपूर्ण स्थिति लगातार सामने आती थी, जो नगरीय निकाय के अध्यक्ष है, महापौर है वे किसी और दल के होते है और पार्षदों में किसी और दल का बहुमत होता था तो सामान्य सभा में बजट पारित कराने में और दिन प्रतिदिन की कार्यो में लगातार विरोधाभास की स्थिति होती थी। हंगामें की स्थिति बनती थी और जनता की सुविधा और अधिकारों को खतरा उत्पन्न होता था। इसे दूर करने के लिये एक समन्वयवादी व्यवस्था बनाने के लिये और एक तर्कसंगत व्यवस्था बनाने के लिये कि यदि पार्षद अपने मुखिया को चुनेंगे तो इससे नगरीय निकायों की व्यवस्था बेहतर होगी। यही व्यवस्था हमारे देश की संविधान में है। हमारे लोकतंत्र में है। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का चयन भी व्यवस्था के तहत होता है और इसी व्यवस्था को लागू करना कैसे गलत है भारतीय जनता पार्टी बतायें?
अंतागढ़ में तो लोकतंत्र की हत्या भाजपा ने की थी। अंतागढ़ उपचुनाव में पैसों से लेकर सत्ता तक का दुरुपयोग करने वाली भाजपा अब लोकतंत्र की दुहाई दे रही है। अंतागढ़ में भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल विपक्षी उम्मीदवारों को खरीदा था बल्कि जीरम जैसी घटनाएं करा देने की धमकी भी उम्मीदवारों को दी थी ।
प्रदेश कांग्रेस महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने इसके लिए छत्तीसगढ़ के मतदाताओं को हृदय से धन्यवाद दिया है जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बुरी तरीके से हराया और भाजपा को अब लोकतंत्र और खरीद-फरोख्त रोकने की जरूरत की याद तो आ रही है ।
उसी भाजपा को आज लोकतंत्र को खतरा नजर आ रहा है खरीद-फरोख्त की संभावनाएं नजर आ रही हैं जबकि अभी चुनाव भी नहीं हुआ है। दरअसल भाजपा में कोई पार्षद पद का उम्मीदवार बनने को तैयार ही नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार की जनहितकारी कार्यों के कारण पूरे प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में वातावरण बना है।
भारतीय जनता पार्टी को लोकतंत्र की याद आने का स्वागत करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा की सरकार में नगरीय निकाय के अध्यक्षों के साइनिंग पावर वापस ले लिए गए थे जिन की बहाली कांग्रेस की सरकार ने की है। नगरीय निकाय अध्यक्षों के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों में कटौती की गई थी और डीएमएफ जैसा फंड भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पूरी तरीके से प्रशासनिक अधिकारियों को सौंप दिया था जबकि कांग्रेस सरकार बनने के बाद में प्रभारी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने का काम किया गया है।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा का आज का आंदोलन पूरी तरीके से विफल रहा और भाजपा में जबरदस्त बिखराव है। भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता निकाय चुनाव को लेकर मुद्दा बनाते हुए आंदोलन के निर्णय से सहमत नहीं है। सच्चाई तो यही है कि वर्तमान में भाजपा मुद्दों के अकाल से जूझ रही है और आज का आंदोलन भाजपा के इसी राजनैतिक दिवालियापन का परिणाम है। प्रदेश भाजपा का नेतृत्व अपनी विश्वसनीयता और सकारात्मकता पूरी तरह से खो बैठा है।
भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बहुत खराब है। भाजपा मुद्दों की संकट से जुझ रही है। भाजपा नेतृत्व संकट से जुझ रही है और इसे देखते हुये भारतीय जनता पार्टी ने इस प्रकार का फर्जी आंदोलन खड़ा करने की कोशिश की है। भाजपा को इतनी ही चिंता होती तो नगरीय निकाय के अध्यक्षों और महापौरों के साइनिंग पावर भारतीय जनता पार्टी ने नहीं छिनी होती। भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र की इतनी ही चिंता होती तो नगरीय निकायों के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों में भाजपा ने कटौती नहीं की होती। भारतीय जनता पार्टी ने डीएमएफ पूरी तरीके से प्रशासनिक अधिकारियों को सौप दिया था आज कांग्रेस की सरकार बनने के बाद लोकतंत्र बहाल हुआ है। आज जनप्रतिनिधियों इसमें भागीदारी है। इस बात को भारतीय जनता पार्टी को नहीं भूलना चाहिये। पूरे देश में प्रधानमंत्री और प्रदेश में मुख्यमंत्री का चयन इसी प्रणाली से तो होता है जिसमें नगरीय निकाय के चुनाव हो जा रहे है। भारतीय जनता पार्टी इसे लोकतंत्र को खतरा बता रही है यही इस बात को स्पष्ट करता है कि भाजपा का देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास ही नही है।
लोकतंत्र में सुधार की गुंजाईश हमेशा रहती है। यदि निर्वाचन प्रक्रिया में कोई बदलाव हो रहा है तो कानून सम्मत है। इससे किसी की लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन नहीं होता। शहरों में कांग्रेस को जबर्दस्त समर्थन प्राप्त है। जिस तरीके से गुमास्ता नवीनीकरण से छूट मिली है। छोटे प्लाटो की रजिस्ट्री को छूट दी गयी है। पट्टे दिये गये है। नगरीय निकायों में कांग्रेस को जबर्दस्त समर्थन प्राप्त है। विधानसभा चुनाव में भी रायुपर, बिलासपुर, दुर्ग, कोरबा, अंबिकापुर, जगदलपुर सारे नगरीय निकायों के क्षेत्रों में विधायक जीत कर आये है। नगरीय निकायों के चुनाव में कांग्रेस को ही सफलता मिलेगी।
पिछले नगरीय निकायों में भी भारतीय जनता पार्टी ने कोर्ट जाकर चुनाव रूकवाने की भरपूर कोशिश की थी। क्योंकि भाजपा चुनाव में अपने हार की संभावना से भयभीत थी। कांग्रेस ने देश के जाने माने वकीलों को खड़ा करके सर्वोच्च न्यायालय से भाजपा के आदेश पर स्टे विकेट किया था। इस बार भी हम कानूनी लड़ाई के लिये भी तैयार है। हम राजनैतिक लड़ाई नहीं लड़ेंगे भाजपा से कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे और नगरीय निकाय चुनावों में जीत हासिल करेंगे और कांग्रेस की ही जीत होगी।