शेर की तरह किया था दुश्मनों से मुकाबला बसंत नेताम….
धमतरी/ 10.10.2019। धमतरी जिला के आदिवासी विकास खण्ड नगरी के उप तहसील कुकरेल के ग्राम सलोनी के युवा पुलिस आरक्षक बसंत नेताम तेरह साल तक जिन्दगी और मौत की लड़ाई लड़ते हुए आखिर शहीद होकर पँचत्व में विलीन हो गया।
गौरतलब है कि बसंत नेताम 1992 में नक्सली पुलिस में भर्ती होकर दँतेवाड़ा जिला के थाना गोलापल्ली में पदस्थ थे । गश्त के दौरान पोलिस पार्टी इंचार्ज एपीसी रामगोपाल के साथ वापस तैनाती आ रहे थे जहाँ पर पहले से तारला मुड़ा नालापल्ली तिराहा में दर्जनों नक्शली घात लगाकर बैठे थे। जहाँ पर से पुलिस टीम गुजर रही थी तब नक्शलियों ने अँधाधुँध गोलियाँ बरसा दी। जिसमें बसंत नेताम आरक्षक क्रमाँक 209 को तीन गोलियाँ लगी थी। दो गोली आँत और किडनी को चीर कर निकल गयी, वहीं एक गोली पेट को चीरते हुए सीने में अटक गया । बताया गया था कि यह सब होने बावजूद भी बसंत नेताम गोली लगे भाग को पटके से बाँधा और मुस्तैदी के साथ लड़ते हुए दो तीन नक्सलियो को गोली से भून डाला। घटना के पश्चात तीन घंटे तक साथियों से कहता रहा कि मैं नहीं मरुँगा। इधर स्थल में तत्कालिन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह का हेलीकाप्टर पहुँचा और बसंत नेताम को राजधानी के मेकाहारा अस्पताल में प्राथमिक उपचार कराने के बाद रामकृष्ण हस्पिटल में इलाज के लिए रखा गया। एक माह तक कोमा में रहने के बाद होश आया। गोली लगने से उसका आँत और किडनी क्षतिग्रस्त हो चुका था ब्लड नहीं बनता था इसलिए हर छः-सात महिने में ब्लड चेंज करवाना पड़ता था। इसी के चलते एक सप्ताह पहले धमतरी के सरकारी तथा मसीही के बाद श्री नारायणा हास्पिटल रायपुर रिफर किया गया था जहाँ पर शरीर में सँक्रमण पीलिया तथा लीवर और किडनी निष्क्रिय हो जाने के कारण 8 अक्टूबर को दम तोड़ दिया।
बसंत नेताम के बारे में उनके मित्र टानू नागेश, चेतन नेताम तथा हजारी लाल ध्रुव बताते हैं कि वह बचपन से ही देश की सेवा करना चाहता था और शेर की तरह हौसला रखता था ।
शहीद बसंत नेताम की मौत की खबर सुनते ही जिला के पुलिस कप्तान श्री बाला जी राव ने अर्जुनी थाना के टी आई कोमल नेताम ए एस आई आर के साहू सोमन सिन्हा तथा काँस्टेबल देवव्रत ध्रुव को बसंत नेताम के घर भेजकर 50 हजार रुपये की नगद राशि का सहयोग उप सरपँच वामन साहू पत्रकार झानू नागेश व वार्ड पँच हेमलाल ध्रुव के समक्ष दिया।
आरक्षक बसंत नेताम अपने परिवार मे पत्नि जानकी नेताम पुत्र डिकेश नेताम 24 वर्ष एम ए का छात्र कुमारी ज्योती नेताम 20 वर्ष बी ए की छात्रा एवं कुमारी मनीषा नेताम 14 वर्ष आठवी की छात्रा को छोड़कर चले गये। उनके बेटा को तत्काल सरकारी नौकरी की दरकार है। ज्ञातव्य है कि शहीद बसंत नेताम को तत्कालिन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह 19 अगस्त 2007 को सलोनी के किसान सम्मेलन कार्यक्रम में बहादुरी का सम्मान करते हुए बजरंग बली की मूर्ति भेंट किया था।