अंतागढ़ टेपकांड मामले में मंतूराम पवार एक और खुलासा
अंतागढ़ टेपकांड मामले में मंतूराम पवार एक और विस्फोट करते नजर आ रहे हैं । मंतूराम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक और बड़ा खुलासा करते हुए बयान दिया कि मेरे अलावा दूसरे प्रत्याशियों को भी उपचुनाव से नाम वापस लेने पैसों के ऑफर दिए गए थे, इसकी लालच में ही सबने मैदान छोड़ा था, लेकिन ऑफर देने वालों ने उनके साथ धोखा दिया । मंतूराम के साथ नामांकन वापस लेने वाले उम्मीदवार भी मौजूद हैं ।
मंतूराम पवार ने मीडिया के सामने कहा कि मैं अकेला नहीं हूं, ये 6 प्रत्याशी भी मेरे साथ हैं। भीमसिंह उसेंडी, भोजराज देवनाथ,महादेव, शंकर लाल, निर्मल एक प्रत्याशी की मौत हो गई है । मुझे लालच दिया गया था, जान की धमकी देकर डराया गया, परिवार की सोच कर दबाव में नाम वापस लिया था । इन प्रत्याशियों को भी एक एक करोड़ देने का दावा किया था। इन्हें 25- 50 हजार रुपए मिले हैं। इन प्रत्याशियों ने रमन सिंह, अमन सिंह, राजेश मूणत पुनीत गुप्ता, ओपी गुप्ता के खिलाफ धमतरी थाने में शिकायत की है। अगर मेरे और मेरे परिवार पर कुछ होता है तो इसके लिए ये सभी जिम्मेदार होंगे आज मुझे जान का खतरा है।
रमन सिंह के निर्देश के बाद बाजे गाजे के साथ बीजेपी में प्रवेश किया 2003, 2008 और 2015 में जोगी के साथ मिलकर रमन सिंह ने सरकार बनाई है। मंतूराम के मुताबिक 29 तारीख को उन्होंने नाम वापस लिया था। इसके पीछे उन्होंने दो मजबूरी बताई। उनके मुताबिक उनके और परिवार को जान का खतरा है। दूसरी वजह पैसे का लालच देना बताया गया। उनके मुताबिक उनके और परिवार को मारने की धमकी दी गई जिसके चलते उन्होंने नाम वापस लिया है।
दिल्ली में मिले थे रमन सिंह से
मंतूराम पवार ने कहा कि अंतागढ़ उपचुनाव के बाद 3 नवम्बर 2015 को मुझे दिल्ली बुलाया गया था। दिल्ली में डॉ. रमन सिंह, पुनीत गुप्ता, फिरोज सिद्दकी से मुलाकात हुई थी। रमन सिंह ने कहा था- पुनीत गुप्ता यहां है, राजेश मूणत से मिलकर सब सेट कर देंगे, तुम चिंता मत करो सब बेहतर होगा, लेकिन बीजेपी में उन्हें न तो पद मिला और न ही प्रतिष्ठा मिला।
रमन सिंह ने मंतूराम को खरीदा
मंतूराम पवार ने आरोप लगाया कि बीजेपी के लोग ही कहते थे कि पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह ने मंतूराम को खरीदा है, मुझे दादागिरी कर के पार्टी से बाहर निकाला गया, रमन सिंह दोषी थे, मुझे बीजेपी से बाहर किया गया, मुझे बेचने वाला अजीत जोगी और खरीदने वाला रमन सिंह थे। रमन सिंह हमेशा कहते थे कि मैं तो 7 करोड़ दे चुका हूं, तुम्हे नहीं मिला तो गया कहां।