जिसने चोरी की जनता के अरमानों से, जिसने मुंह छिपाया सबके अहसानों से अपनी जाति का सबूत मांगता ये कैसा जोगी, जो ताउम्र चला झूठे सामानों से – आर.पी. सिंह

जिसने चोरी की जनता के अरमानों से, जिसने मुंह छिपाया सबके अहसानों से  अपनी जाति का सबूत मांगता ये कैसा जोगी, जो ताउम्र चला झूठे सामानों से – आर.पी. सिंह

 

रायपुर/28 अगस्त 2019। जोगी जी पर उल्टा चोर कोतवाल से सबूत मांगे की कहावत चरितार्थ करने का आरोप लगाते हुये प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आर.पी.सिंह ने कहा है कि जोगी जी आपकी जाति कौन सी है यह तो आपको अपने परिजनों, रिश्तेदारो और बर्जुगो से पुछना चाहिए और साथ ही साथ दुनिया को बताना चाहिए कि आपकी जाति क्या है? लेकिन एक आप है कि दुनिया से पूछ रहे हैं, सरकार से पूछ रहे हैं, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से पूछ रहे हैं कि मेरी जाति क्या है? आपको छानबीन समिति को बताना चाहिए था कि आपकी जाति क्या है, आप आदिवासी कैसे हैं? आप वहां तो बता नहीं सके, तर्कों के सामने हथियार डाल दिए आपने। समिति छोड़िए, कम से कम एक प्रेस कान्फ्रेंस कर तमाम तथ्यो और सबूतो के साथ जनता की अदालत में ही साबित कर देते कि आप आदिवासी हैं। जनता जनार्दन तो सच का साथ देती है, आपके पास तर्क होते तो जनता मान लेती कि आप आदिवासी हैं। पर तर्क होेंगे तब ना, आप तो जनता से ही पूछते रहे कि बताओ मेरी जाति क्या है। ब्राह्मण हूं, क्षत्रिय हूं, वैश्य हूं या शूद्र। जब इंसान के पास तर्क खत्म हो जाते हैं तब ऐसे ही कुतर्कों का सहारा वह लेता है, जैसा आपने लिया। सुनते हैं कि आप परम ज्ञानी हैं।

सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से

फिर आप यह भी समझ नहीं पाए कि- सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्त आर.पी.सिंह ने कहा है कि जोगी जी आपने दस्तावेज बनवाए। ऐसे अफसरों से प्रमाण पत्र लिए जो साबित ही नहीं कर सकते थे कि आप आदिवासी हैं। फिर भी आप प्रमाण पत्र इकट्ठा करते रहे। गलत प्रमाण पत्रों और तर्कों के सहारे तारीख पे तारीख् लेते रहे और झूठे आदिवासी बने रहें। पढ़ लीजिए एक बार छानबीन समिति की रिपोर्ट। समिति ने यही तो कहा है कि जितने सबूत आपने दिए उससे ज्यादा सबूत आपके फर्जी आदिवासी होने के मिल गए। पूरी फाइल बन गई है आपके फर्जी कागजातों की। आपके पिता, आपके भाई, आपकी बहन और आपके तमाम रिश्तेदारो में से कोई भी आदिवासी नहीं है, यह कैसा झोल है जोगी जी? आप दुनिया के इकलौते ऐसे शख्श होंगे जो अपनी सुविधा के हिसाब से कभी आदिवासी बन जाते है, तो कभी और कुछ। मतलब पांचों ऊंगलियां घी में, और सिर कड़ाही में। लेकिन अब झूठ बड़ा हो गया है और आपका सिर उसी कड़ाही में फंस गया है। झूठ के पैर नहीं होते। वह ज्यादा दिन नहीं चल पाता। आप जितने दिन अपने पापों की गठरी लेकर चल सके, उतने दिन चल लिए, यह किन लोगों की बदौलत हुआ यह पूरा छत्तीसगढ़ जानता है। अब जब आपकी पोल खुल गई है तो आप बौखलाकर उल्टा सवाल कर रहे हैं कि सरकार बताए कि आपकी जाति क्या है? आप की जाति आप के लिये शोध का विषय हो सकता है लेकिन प्रदेश की जनता के लिये नहीं। क्या आप इतने मासूम हैं जोगी जी कि आपको पता नहीं कि आपकी जाति क्या है? और आप कितने मासूम हैं, यह छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश जानता है।

 

The News India 24

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