बिलासपुर / बिलासपुर से ताजा खबर आ रही है कि यहां बीते दो दिनों से एक “श्रीवास्तव” जी नामक ने डेरा डाला हुआ है । ये “साहब” कानून के जानकार है और उनका दावा है कि बिलासपुर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई जज उनके अच्छे मित्रो में शामिल है । बताया जाता है कि डकैत डीजी मुकेश गुप्ता के निर्देश पर “श्रीवास्तव” जी ने बिलासपुर में विशेष रूप से अपनी आमद दर्ज की है । उनका मकसद “येन केन प्रकारेण” कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता को गिरफ्तारी से बचाना है । हालांकि अपने कई मामलों की पैरवी के लिए भी “श्रीवास्तव” जी का यहां गांहे-बगाहें आना जाना लगा रहता है । आरोपी मुकेश गुप्ता ने इस बार यहां “श्रीवास्तव” जी की “मेहमान नवाजी” का अच्छा खासा बंदोबस्त किया है । इस आरोपी का दावा है कि बिलासपुर हाईकोर्ट के कुछ जज “श्रीवास्तव” जी के अधीन “प्रेक्टिस” कर चुके है। यही नहीं कुछ जज तो उन्हें अपना “गुरु” भी मानते है । इस “कुख्यात “आरोपी का दावा है कि “श्रीवास्तव” जी के “जोड़-तोड़” से सबसे पहले चार सौ बीसी के सह आरोपियों को “अग्रिम जमानत” मिलेगी । उसके बाद , उन्ही “आधारो” पर बतौर मुख्य आरोपी उसे भी “अग्रिम जमानत” हासिल हो जाएगी । बिलासपुर में मौजूद कुख्यात आरोपी मुकेश गुप्ता भले ही “छत्तीसगढ़ पुलिस” को “नजर” ना आ रहा हो , लेकिन बीते तीन दिनों से स्थानीय कोयला कारोबारियों और शराब माफियाओं के साथ उसकी रात “गुलजार” हो रही है । एक ख़ास “रसायनिक क्रिया” के बाद इस कुख्यात आरोपी ने दावा किया है कि हाईकोर्ट के कुछ जजों की नियुक्ति उसी के मार्फत हुई है । इसलिए उसके खिलाफ कोई भी फैसला संभव नहीं है । बताया जाता है कि इस दौरान महफ़िल में मौजूद लोगों को उसका यह दावा बिल्कुल भी गले नहीं उतरा । हालांकि इस कुख्यात आरोपी के किसी भी दावों की तस्दीक “न्यूज टुडे छत्तीसगढ़” भी नहीं करता हम मानते है कि माननीय हाईकोर्ट “निष्पक्ष” रूप से कार्य करता है । विद्वान् “न्यायाधीश” तमाम क़ानूनी पहलुओं और सबूतों के आधार पर पीड़ितों को राहत प्रदान करते है । हमारा यह भी मानना है कि मुकेश गुप्ता जैसे कुख्यात आरोपी और उसका गिरोह अपना “प्रभाव” बनाये रखने के लिए “न्यायालय” की गरिमा हनन की अक्सर नाकामयाब कोशिश करते रहते है। बहरहाल आरोपी मुकेश गुप्ता की “अग्रिम जमानत” को लेकर लोगों की निगाहे बिलासपुर हाईकोर्ट पर लगी हुई है । 19 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है । बताया जाता है कि “केस डायरी” में दर्ज तथ्यों को कमजोर करने के लिए आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है ।
जानकारों के मुताबिक 19 अगस्त को यह तय हो जायेगा कि आरोपी मुकेश गुप्ता को “जेल” की हवा खानी पड़ेगी या फिर उसे “बेल” हासिल हो जाएगी। इस कुख्यात आरोपी ने अपनी पैरवी के लिए दिल्ली के एक जाने माने “वकील” को नियुक्त किया है । “वकील साहब” बचाव पक्ष की ओर से क्या दलीलें पेश करते है , यह देखना गौरतलब होगा । दरअसल भिलाई के सुपेला थाने में आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ चार सौ बीसी समेत अन्य गंभीर धाराओं के तहत अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है । इस प्रकरण में साफतौर पर प्रमाणित पाया गया है कि इस कुख्यात आरोपी ने बगैर रकम चुकाए, “साडा” की जमीन अपने मालिकाना हक़ में दर्ज करा ली थी ।जबकि “साडा” के भंग होने के बाद उस भू-खंड की रकम खाते में जमा की गई थी । साफ़ है कि “साडा” के तत्कालीन सीईओ मुकेश गुप्ता ने अपने पद और प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए “शासन” के साथ धोखाधड़ी की थी। हालांकि मुकेश गुप्ता अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों का “दोषारोपण” अपने अधिनस्त कर्मियों के सिर मढ़ कर पाक-साफ निकलने की रणनीति पर कार्य कर रहा है । उसने इस मामले की कमजोर विवेचना के लिए दुर्ग पुलिस पर दबाव बनाया हुआ था। बावजूद इसके धोखाधड़ी के इस मामले के सभी सबूत “केस डायरी” में संलग्न है । यह भी बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने अलावा कई और व्यक्तियों को अनुचित रूप से भू-खंड आबंटित किये थे। इसमें उसके “करीबी” लोग भी शामिल है । एक जानकारी के मुताबिक आरोपी मुकेश गुप्ता ने अपने गैरकानूनी कार्यों के चलते “सरकार” को करोडो का चूना लगाया है। यह मामला प्रथम दृष्टया “लोकहित” से जुड़ा प्रतीत होता है । दरअसल इस कुख्यात आरोपी ने गैरकानूनी कार्य कर जहां खुद को फायदा पहुँचाया था , वही अपने “करीबी” कई व्यक्तियों को भी अनुचित ढंग से भू-खंड आबंटित किये थे। इस मामले की विस्तृत विवेचना की जरूरत बताई जा रही है । भिलाई के कई स्थानीय नागरिकों के मुताबिक उन्होंने भी भू-खंड प्राप्ति के लिए नियमानुसार आवेदन किया था। लेकिन आरोपी मुकेश गुप्ता ने उनके आवेदनों को दरकिनार कर कई “अपात्रों” को भू-खंड आबंटित कर दिए थे। लिहाजा वे अपनी “बारी” का इंतजार करते रहे । वही दूसरी ओर “साडा ” के भंग हो जाने के बाद उनके प्रकरणों पर ना तो विचार किया गया और ना ही गलत आबंटन के मामले की जांच हुई ।
आरोपी मुकेश गुप्ता की “अग्रिम जमानत” की सुनवाई के दौरान “दुर्ग पुलिस” और “महाधिवक्ता” कार्यालय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि खुद को छत्तीसगढ़ “सरकार” और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से “पीड़ित ” साबित करने के लिए आरोपी मुकेश गुप्ता उसके खिलाफ लगातार दर्ज हो रहे मामलों को रणनीतिक तौर पर “अदालत” के समक्ष रखेगा। “भारतीय पुलिस” सेवा में रहते समय-समय पर उसे प्राप्त “मेडल” और “उपलब्धियों” की फेहरिस्त भी “अदालत” के समक्ष रखने की उसने तैयारी की है। ताकि अपने तमाम “अपराधों” पर पर्दा डालते हुए वो यह साबित करने में कामयाब हो जाए कि उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार “बदले” की कार्रवाई के तहत झूठे प्रकरण दर्ज कर रही है। जबकि हकीकत , इससे ठीक उलट है। आरोपी मुकेश गुप्ता के तमाम गुनाहों का काला चिट्ठा पुलिस “फाइलों” से लेकर सरकारी “आलमारियों” में “कैद” है। यह देखना गौरतलब होगा कि इस कुख्यात आरोपी की “अग्रिम जमानत” का तथ्यपरख विरोध “सरकारी पक्ष” कितने दमखम के साथ करता है ? दरअसल “महाधिवक्ता” कार्यालय की “कमजोर” कार्यप्रणाली के चलते छत्तीसगढ़ सरकार को “अदालत” में लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। बिलासपुर हाईकोर्ट हो या फिर दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट , दोनों ही जगह से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल “सरकार” को “झटके पे झटके” लग रहे है।