भाजपा छ.ग. लोक सेवा आयोग पर लगा रही है झूठे आरोप:कांग्रेस
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि मुद्दों के अभाव में भटक रही भाजपा को कांग्रेस सरकार की सफलताएं हजम नहीं हो रही हैं और वह अब छ.ग. लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर भी झूठे, तथ्यहीन और अनर्गल आरोप लगा रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि उसके कार्यकाल के 15 वर्षों में प्रदेश के प्रतिभाशाली युवाओं के साथ क्या-क्या हुआ, इस बात को लोग अभी भूले नहीं हैं।रमन सिंह के 15 साल के कुशासन में 6 साल तो पीएससी की परीक्षा आयोजित हीं नहीं की गयी थी, केवल 9 बार ही भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी। परीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने में 2-3 साल लग जाया करते थे। अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग के प्रतिभागियों के साथ भेदभाव होता रहा। भाजपा के 15 साल के कुशासन में वर्षा डोंगरे जैसे अनेकों प्रकरण सर्वविदित है। पीएससी 2003 में 147 अधिकारियों का चयन हुआ था, 13 साल के संघर्ष के बाद सुनवाई करते हुये बिलासपुर हाईकोर्ट ने माना था कि रमन सरकार में चयन के दौरान भारी पैमाने पर गड़बड़ियां की गई और हाई कोर्ट के निर्देश पर दोबारा मेरिट सूची बनाना पड़ा। व्यापम के गुनाहगार कांग्रेस पर तथ्यहीन और आधारहीन आरोप न लगाये। जबकि इस बार कोरोना संकट के बावजूद छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने पिछले 10 माह में 2480 पदों के चयन की कार्यवाही की है। इसी अवधि में अन्य राज्यों की तुलना में यह एक बड़ी उपलब्धि है। लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक परीक्षा में अनुपस्थित अभ्यर्थी के साक्षात्कार के लिए चयन संबंधी आरोप भी झूठे और निराधार हैं। शिकायतकर्ता वीरेंद्र कुमार पटेल द्वारा की गई शिकायत की जांच के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि आयोग द्वारा जारी परीक्षा परिणाम में किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं थी। किसी भी अनुपस्थित अभ्यर्थी का चयन साक्षात्कार के लिए नहीं किया गया है। इसी तरह किसी भी परीक्षार्थी को सीट बदलने की अनुमति नहीं दिए जाने की बात भी प्रमाणित हो चुकी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक दुबे ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी राज्य में काम करने वाली संस्थाओं तथा अधिकारियों को हतोत्साहित करने और मनोबल तोड़ने के लिए ऐसी राजनीति कर रही है। भाजपा के लोग कभी अधिकारियों को धमका कर तो कभी झूठे आरोप लगाकर उनकी कार्यक्षमता को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। असंतोष फैलाने और भावनाओं को भड़काने की राजनीति करने वालों से रचनात्मक राजनीति की उम्मीद भी नहीं की जा सकती।