कैट ने जीएसएटी के नए प्रावधान पर कड़ा एतराज जताया…..केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर स्थगित करने की मांग की

कैट ने जीएसएटी के नए प्रावधान पर कड़ा एतराज जताया…..केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर स्थगित करने की मांग की

रायपुर। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जीएसएटी के नए प्रावधान पर कड़ा एतराज जताया है। कैट ने शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र भेजकर इस नियम को तुरंत स्थगित करने की मांग की है। साथ ही व्यापारियों से सलाह कर ही इसे लागू करने की बात कही है। कैट ने यह भी मांग की है कि जीएसटी और आयकर में ऑडिट की रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर को भी तीन महीने के लिए आगे बढ़ाया जाए।कैट के पदाधिकारियों ने बताया है कि केंद्र सरकार ने 22 दिसंबर को जीएसटी नियमों में धारा 86-बी को जोड़ी है। इसमें प्रत्येक व्यापारी जिसका मासिक टर्नओवर 50 लाख रुपए से ज्यादा है, उनको अनिवार्य रूप से 1 प्रतिशत जीएसटी जमा कराना होगा। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने केन्द्रीय वित्त मंत्री को भेजे पत्र में यह भी कहा है कि अब समय आ गया है, जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर अब तक जीएसटी कर प्रणाली की संपूर्ण समीक्षा की जाए। कर प्रणाली को सरलीकृत बनाया जाए और साथ ही किस तरह से कर का दायर बड़ाया जाए व केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में किस तरह की वृद्धि की जाए। कैट ने इस मुद्दे पर केन्द्रीय वित्त मंत्री से मिलने का समय मांगा है।अमर पारवानी ने कहा है कि नियम 86 बी देश भर के व्यापारियों के व्यापार पर विपरीत असर डालेगा। कोरोना के कारण व्यापार में आई अनेक प्रकार की परेशानियों से व्यापारी पहले ही त्रस्त हैं।

ऐसे में यह नया नियम व्यापारियों पर एक अतिरिक्त बोझ बनेगा। यह एक सर्व विदित तथ्य है कि पिछले एक वर्ष से व्यापारियों का पेमेंट चक्र बुरी तरह बिगड़ गया है। लम्बे समय तक व्यापारियों द्वारा बेचे गए माल का भुगतान और जीएसटी की रकम महीनों तक नहीं आ रही है। ऐसे में एक प्रतिशत का जीएसटी नकद जमा कराने का नियम व्यापारियों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालेगा,जो न्याय संगत नहीं है।कैट ने कहा है कि जीएसटी विभाग के पास फर्जी बिलों से जीएसटी लेकर राजस्व को चूना लगाने वाले लोगों के खलिाफ शिकायत हैं तो ऐसे लोगों पर कानून के मुताबिक बहुत सख्ती से निबटना चाहिए। कुछ कथित लोगों को की वजह से सभी व्यापारियों को एक ही लाठी से हांकना न तो तर्क संगत है और न ही न्याय संगत। लिहाजा इस नियम को फिलहाल स्थगित किया जाए।

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