पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान पर कांग्रेस का पलटवार

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बयान पर कांग्रेस का पलटवार

वीसीए में 13 पैसे की वृद्धि नियामक आयोग के द्वारा की गयी,
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण वीसीए में बढ़ोत्तरी
रायपुर/25 जुलाई 2019। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने डॉ. रमन सिंह के बयान पर पलटवार करते हुये कहा कि जैसा कि उन्होने आरोप लगाया है बिजली से आम लोगों को दूर करने की नीयत से सरकार काम कर रही है, यह बिल्कुल निराधार है। भूपेश बघेल की सरकार में 1 अप्रैल 2019 से बिजली बिल हाफ करके लगभग 55 लाख उपभोक्ताओं को राहत दी है। साथ ही साथ प्रतिवर्ष मार्च माह में टेरिफ के निर्धारण में भी 10 प्रतिशत टेरिफ में कमी की गयी है, जिससे आम उपभोक्ता को बहुत राहत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का कहना है कि भूपेश सरकार के काम करने की नीयत पर सवाल किया है कि सरकार बिजली से उपभोक्ताओं को दूर कर रही है जो गलत है। क्योंकि जनवरी 2019 से 30 जुन 2019 तक लगभगत 95912 विद्युत उपभोक्ताओं की रिकार्ड बढ़ोत्तरी हुयी है। भाजपा का यह आरोप पूरी तरह से असत्य एवं भ्रामक है। जनता को बिजली से दूर किया जा रहा है। जहां तक किसानों को बिजली देने की बात है यह बात सभी अच्छी तरह से जानते है कि इस वर्ष जुन-जुलाई महिने में औसत से कम वर्षा हुई है, जिससे किसानों के बुआई कार्य में पानी की अत्यधिक आवश्यकता पड़ी जिसकी पूर्ति इनके द्वारा खेतों में लगे सिंचाई पंपो से की गयी। जिसमें 900 मेगावाट प्रतिदिन खपत आई है।
प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने दावा किया है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के इतिहास में पहली बार 22 जुलाई को अधिकतम 4760 मेगावाट बिजली की मांग का रिकार्ड बना, क्योंकि वर्षा नहीं होने के कारण गर्मी एवं उमस के कारण बिजली की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई जिसकी पूर्ति आम जनता को प्रदेश में बिना किसी रूकावट के सतत् रूप से आपूर्ति भूपेश बघेल सरकार द्वारा की गयी। इन तथ्यों को भाजपा नेताओं द्वारा अनदेखी कर मात्र समाचारों में बने रहने के लिये गलत एवं भ्रामक बयानबाजी की जाती है।
13 पैसा वीसीए चार्ज में वृद्धि इसलिये की गई क्योंकि हर दो माह में ईंधन जिसमें विशेषकर कोयला चलने वाले विद्युत उत्पादन संयंत्रों से व्यय भार में वृद्धि हुई है, जिसके कारण विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62(1) के अंतर्गत विद्युत उत्पादन एवं आपूर्ति हेतु टेरिफ के निर्धारण की शक्ति ‘‘छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग’’ को प्राप्त है। यह संस्था पूर्णतः स्वतंत्र एवं सरकारी नियंत्रण से परे संवैधानिक संस्था है। आयोग द्वारा अधिसूचित ‘‘टेरिफ’’ एक वर्ष की अवधि के लिये अथवा अन्य कोई भी विस्तारित अवधि के लिये निर्धारित होता है, परंतु इस अवधि में एक दो माह के अंतराल ईंधन के रूप में उत्पादन कंपनी को होने वाले व्यय भार की प्रतिपूर्ति ‘‘टेरिफ’’ में अतिरिक्त मान्य की गयी है। ईंधन पर होने वाले व्यय भार की वसूली हेतु आयोग को नियम बनाने की शक्ति अधिनियम की धारा 62(6) में दी गयी है। इस नियम के अंतर्गत प्रत्येक दो माह में छत्तीसगढ़ उत्पादन कंपनी द्वारा एसीसीएल/कोल इंडिया को टेरिफ से अधिक व्यय भार एवं एमवायटी/एनएसपीसीएल (एनटीपीसी) द्वारा मांग की गयी अंतर की राशि को वीसीए के रूप में वसूली की व्यवस्था टेरिफ रेगूलेशन में निहित है।

घरेलू उपभोक्ताओं से यह वसूली सीलिंग के आधार पर होती है। प्रतिमाह 200 यूनिट से कम खपत वाले घरेलू कनेक्शन को फिक्सड चार्ज + एनर्जी चार्ज के 5 प्रतिशत अथवा वीसीए निर्धारण जो भी जिसमें न्यूनतम हो की राशि वसूली योग्य है। वीसीए गणना की पद्धति की गणना एवं सूत्र छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग के रेगूलेशन अंतर्गत पारदर्शी पद्धति पर आधारित है। यह रेगूलेशन 15.09.2015 से लागू है। पिछली भाजपा की सरकार के समय सन् 2016-17 में 800 करोड़ रू. वीसीए के रूप में वसूल किया गया था। परंतु वीसीए कमी होने के कारण 2017-18 में 500 करोड़ रू. की राशि उपभोक्ताओं के बिल में समायोजित कर वापस की गयी। पहले बीजेपी की सरकार द्वारा 5 रू. 60 पैसे प्रति यूनिट से बिजली दे रही थी, अभी 2 रू. 75 पैसे प्रति यूनिट बिजली देने पर इस पर बयानबाजी करने वालों को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिये।

The News India 24

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