धान की फसलों में लगने वाले बीमारियों से बचाव के लिए किसानों को सलाह
रायपुर, 12 अक्टूबर 2020/ प्रदेश में खरीफ मौसम में अधिकांश क्षेत्रों में धान की फसलें ली जाती है। धान की फसल में इस समय माहू, फुदका, चितरी बंकी, पंती मोड़ आदि कीटों द्वारा नुकाशान पहुंचाया जाता है। लगातार बदलते मौसम और सही दवाई का प्रयोग न करने से धान की फसलों को ये हानिकारक कीट बहुत हानि पहुंचा सकते हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा बताई गई दवाईयों का उपयोग करके किसान आसान तरीके से धान की कीटों पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि धान की फसल में माहू, फदका जैसे रस चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए डीनोटेफ्यूरान 20 प्रतिशत एस जी का 80-100 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ जो कि बाजार में ओसीन, टोकन, सेनपाई, सिम्बोला आदि नामो से प्रचलित है, अथवा पायमट्रोजीन 50 फीसदी डब्ल्यू पी का 100 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ जो कि चेस, सिमडा अथवा इमिडाक्लोप्रिड 40 प्रतिशत से ज्यादा, इथीप्रोल 40 प्रतिशत डब्ल्यू जी जो कि बाजार में ग्लेमोर नाम से प्रचलित है, का 50-60 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। छिड़काव खुले मौसम में दोपहर 2 बजे के बाद करें एवं खेतों से अधिक पानी निकाल देें। पŸाीमोड़ एवं तनाछेदक के नियंत्रण हेतु फिफ्रोनिल 5 प्रतिशत एससी 300-350 मि.ली. प्रति एकड़ प्रचलित नाम भीम, रिजेन्ट, फिपरो अथवा कन्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एससी का 300-400 ग्राम प्रति एकड़ प्रचलित नाम कार्बो-50, करंट, क्रांति-50, कार्गो अथवा क्लोरेन्ड्रानिलिप्रोल 0.4 प्रतिशत जीआर (दानेदार) का 4 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें यह दवाई बाजार में फरटेरा नाम से प्रचलित है, अधिक जानकारी के लिए किसान भाई अपने कृषि विस्तार अधिकारी से जानकारी प्राप्त कर सकतें हैं।