उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट इस्तीफा दे : मोहन मरकाम
- उ.प्र. के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट की सरकार ने दरिंदगी और हैवानियत की सारी हदें पार कर दी
- एसआईटी गठित तक करने के लिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री के फोन का इंतजार था : दुखद शर्मनाक और निकम्मेपन की इंतिहा
- एक अनुसूचित जाति की बालिका के साथ अजय बिष्ट ने न्याय नहीं किया
रायपुर/01 अक्टूबर 2020। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि हैवानियत के 15 दिन बाद यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी का फोन आया और मैंने एसआईटी का गठन कर दिया। क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट को प्रधानमंत्री के फोन का इंतजार था? उस बेटी को भाजपा की सरकार ढंग का इलाज तक नहीं दे पाई। क्या अजय बिष्ट उसके लिये भी प्रधानमंत्री के फोन का इंतजार कर रहे थे? उत्तर प्रदेश की अजय बिष्ट सरकार पर इंसानियत के कत्ल का इल्ज़ाम है। उत्तर प्रदेश की अजय बिष्ट सरकार दरिन्दगी, हैवानियत, चीत्कार से शमशान भी फूट-फूट कर रोया होगा।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि बृज क्षेत्र, धर्म क्षेत्र में हाथरस में अंतिम संस्कार के धर्म से परिवार को दूर रख भाजपा की मुख्यमंत्री अजय बिष्ट की सरकार ने अक्षम्य अपराध किया है। एक अनुसूचित जाति की बालिका दरिंदगी के साथ-साथ भाजपा की अजय बिष्ट सरकार की उपेक्षा का शिकार हुयी है। कल दिन भर हाथरस की बेटी के परिवार के साथ सफदरजंग अस्पताल में सभी मृत शरीर की मांग करते रहे लेकिन मृत शरीर नहीं दिया गया और प्रशासन ने अजय बिष्ट सरकार के इशारे पर जबरन परिवार की गैर मौजदूगी में जिस तरह अंतिम संस्कार किया उसने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी है। दरअसल हाथरस की अनुसूचित जाति की बालिका के साथ हुयी दरिंदगी के आरोपियों को बचाने के लिये पोर्स्टमार्टम रिपोर्ट में गड़बड़ियों की सूचनायें भी मिल रही है। क्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट में की गयी गड़बड़ियों को छिपाने के लिये मृतका के शव को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट के निर्देशों पर जलाया गया?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि अब उत्तर प्रदेश की भाजपा की सरकार के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट के इस्तीफे के बिना बेटी को न्याय नहीं मिल सकता। बिना परिवार की सहमति के शव को जबरन जला दिया, तथ्यों को दबा दिया गया, परिवार से अंतिम संस्कार का अधिकार तक छीन लिया, ये कैसी क्रूर सरकार है?? हाथरस की बेटी के पिता को जबरदस्ती ले जाया गया। सीएम से विडियों कांफ्रेंसिंग कराने के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन द्वारा दबाव डाला। मृतका के पिता और परिवार जांच की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं। अभी पूरे परिवार को नजरबंद रखा है। किसी से बात करने तक की मनाही है। क्या धमकाकर उन्हें चुप कराना चाहती है सरकार? अन्याय पर अन्याय हो रहा है। हाथरस की कलंकित घटना में अत्याचार की इंतिहा हो गयी है। हाथरस जैसी वीभत्स घटना बलरामपुर में घटी। लड़की का बलात्कार कर पैर और कमर तोड़ दी गई। आजमगढ़, बागपत, बुलंद शहर में बच्चियों से दरिंदगी हुई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि यूपी में फैले जंगलराज की हद नहीं है।ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय बिष्ट की जवाबदेही का वक्त है। जनता को जवाब चाहिए। हाथरस में मासूम लड़की के साथ जो हैवानियत हुई, वो हमारे समाज पर कलंक है। हाथरस की निर्भया की मृत्यु नहीं हुई है, उसे मारा गया है- एक निष्ठुर सरकार द्वारा, उसके प्रशासन द्वारा, उत्तरप्रदेश सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये के द्वारा। हाथरस की बेटी को दरिंदगी और हैवानियत का शिकार होने के लिये और फिर मौत के घाट उतरने के लिये मजबूर किया गया। मार्केटिंग और भाषणों से कानून व्यवस्था नहीं चलती और सरकार भी नहीं चलती है।