भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व विधायक शर्मा ने कहा कि इलाज की पर्याप्त और पुख़्ता व्यवस्था नहीं होने के कारण प्रदेश में बुधवार तक कुल संक्रमितों का आँकड़ा 52, 932 तक पहुँच गया है जिसमें कुल एक्टिव केस 28,518 हैं. बुधवार को हुईं 13 मौतों के साथ प्रदेश में कोरोना से मृतकों की संख्या 477 हो गई है. इस विस्फोटक स्तर तक कोरोना संक्रमण पहुँच जाने के बावज़ूद प्रदेश सरकार इसकी रोकथाम के लिए कोई एक नीति तक नहीं बना सकी है और उसने प्रदेश में सबको साथ और विश्वास में लेकर काम करने का कोई जज़्बा दिखाया है. शर्मा ने मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को भी चुनौती दी है कि वे विपक्ष के नेताओं के साथ इन कोविड सेंटर्स का निरीक्षण करें जहाँ भर्ती मरीज अव्यवस्थाओं के चलते भूखे-प्यासे, दवाओं के अभाव में और अपर्याप्त ऑक्सीजन के चलते तड़प रहे हैं और रोज धरना-प्रदर्सन व नारेबाजी कर अपनी व्यथा प्रदेश से साझा कर रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस नेताओं के दावों का ज़मीनी सच बताते हुए शर्मा ने कहा कि अब तो राजधानी में ही देर रात तक लोग रोते-चीखते और कराहते हुए एक से दूसरे अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उन्हें अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा है. अभी तो 53 हज़ार मामलों में सरकार के हाथ-पैर फूल गए हैं तो तब क्या हालत होगी जब जानकारों की आशंका के मुताबिक़ यह आँकड़ा 90 हजार को छू लेगा?
कोरोना को जब संक्रमण होता है तो उससे सबसे पहले और ज़्यादा प्रभावित फेफड़ा होता है, लेकिन किसी भी कोविड सेंटर में फेपड़ों की जाँच के लिए एक्स-रे मशीन की व्यवस्था नहीं की गई है. इसी तरह कोरोना से सर्वाधिक मौतें ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण हो रही हैं. प्रदेश के सभी कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं होने के कारण मरीज तड़प-तड़पकर मोत के मुँह में जा रहे हैं लेकिन प्रदेश सरकार की संवेदनाएँ तब भी मृतप्राय ही है. कोविड-19 से मुक़ाबले के लिए इम्युनिटी बढ़ाने पर ज़ोर तो दिया जा रहा है लेकिन कोविड अस्पतालों में बदइंतज़ामी का आलम यह है कि मरीजों को न समय पर चाय-नाश्ता मिल रहा है, न समय पर भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और न ही समय-समय पर काढ़ा दिया जा रहा है। साफ-सफाई की व्यवस्था भी इन अस्पतालों में पूरी तरह चरमराई हुई है और कोई भी इन तमाम अव्यवस्थाओं को दूर करने की ज़िम्मेदारी लेता नहीं दिख रहा है. शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने अपने कोविड सेंटर्स के लिए उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों से संपर्क कर सुविधाएँ जुटाने के प्रयास किया है, तो प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी सत्तावादी अहंकार से उबरकर केंद्र सरकार से बेहतर समन्वय बनाकर और राज्य सरकारों से सहयोग जुटाने का प्रयास करना चाहिए।