मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे जीते जी मिथक बन गए थे
रायपुर। विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देने के साथ शुरू हुई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे जीते जी मिथक बन गए थे. किदवंती बन गये थे. भाषण, लेखनी से प्रभावित हुई बिना कोई नहीं रह सकता था. उनके जाने से प्रदेश और सदन को अपूरणीय क्षति हुई है|
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनकी विशिष्ट भाषण थी. राजकुमार कॉलेज में उन्होंने कहा था मैं सपनों का सौदागर हूं. वे सर्वहारा वर्ग के लिए लड़ते रहे. जब सूखा पढ़ा तो कोष खाली था, उस वक़्त उन्होंने राहत दी, पानी की व्यवस्था दी. बड़ा काम था. नवगठित तीन राज्यों में छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अच्छी रही. राज्य वित्तीय प्रबंधन अच्छा रहा है तो नींव मज़बूत रहा तो मकान अच्छा बना|
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2008 के 2013 के बीच सदन में आया था, तो उन्होंने कार में बैठते कहा कि भूपेश तुम सक्रिय रहते हो तो अच्छा रहता है. बहुत सारी बातें उभर आती हैं. हमेशा वो सेंट्रल पॉइंट में राजनीति के रहते थे. उनकी जिजीविषा है कि मरवाही में जन्म लेकर दिल्ली तक सक्रिय रहे. उन्होंने मेडिकल साइंस को उन्होंने फैल कर दिया. मेडिकल साइंस कहती थी 10 साल जीवित रहेंगे. मरवाही-पेंड्रा-गौरेला ज़िला बनने पर वो काफी खुश थे. उन्होंने कहा कि मैंने कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाया|
इसके पहले स्पीकर डॉ. चरणदास महंत ने अजीत जोगी के उनके योगदान को याद किया. इस अवसर पर बलिहार सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजा नरेश सिंह, नक्सली घटना को शहीदों औरभारत चीन सीमा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई|
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. आईपीएस और आईएएस के रूप में सफल हुए. शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया. अविभाजित मध्यप्रदेश में कलेक्टर के रूप में कई जिलों में उन्होंने काम किया. छत्तीसगढ़ में भी कलेक्टर के रूप में उन्होंने काम किया. कलेक्टर के रूप में काम करते हुए राजनीति के क्षेत्र से उनका जो लगाव उसे सब जानते हैं. राज्यसभा के सांसद के रूप में निर्वाचित हुए|
कौशिक ने कहा कि लोकसभा रायगढ़ से निर्वाचित होकर आए. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता के रूप में काम करते हुए भी हमने उन्हें देखा है. पेंड्रा जैसे छोटे से कस्बे से निकलकर हिंदुस्तान की राजनीति में अपनी पहचान बनाना यह आसान काम नहीं था. हिंदुस्तान की राजनीति में ऐसा कोई राजनेता नहीं होगा जिनकी अजीत जोगी से व्यक्तिगत संबंध नहीं रही हो. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व हमारे सामने हैं. हिंदुस्तान के राजनेताओं में अजीत जोगी की विशिष्ट पहचान थी.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ. तब वे मुख्यमंत्री बने. राजकुमार कॉलेज के 3 दिन के विधानसभा में पहली बार जो बजट पारित हुआ 7000 करोड़ का था. अकाल की स्थिति में भी लोगों को रोजगार देने के लिए उनकी प्रतिबद्धता रही. जीवन में संघर्ष उनके साथ हमेशा बना रहा. यह कहा जा सकता है कि जीवन कम पड़ गया लेकिन संघर्ष खत्म नहीं हुआ. वहीं बलिहार सिंह को याद करते हुए कहा कि उनकी सरलता और सहजता हमने करीब से देखी है, संतोषी जीव थे.