देश का पहला ‘इंटरनेशनल वर्चुअल ट्राइबल फेस्टिवल’ छत्तीसगढ़ सरकार के संस्कृति विभाग एवं अल्टरनेटिव डिवलपमेंट आर्गेनाइजेशन की मेज़बानी
रायपुर। विश्व आदिवासी दिवस पर देश का पहला ‘इंटरनेशनल वर्चुअल ट्राइबल फेस्टिवल’ छत्तीसगढ़ सरकार के संस्कृति विभाग एवं अल्टरनेटिव डिवलपमेंट आर्गेनाइजेशन की मेज़बानी में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से वैश्विक विकास में आदिवासियों की भूमिका व वैकल्पिक विकास मॉडल पर केन्द्रित था। कार्यक्रम में विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने विकास के वर्तमान मॉडल और अंधाधुंध औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरण व आदिवासियों को हुए नुकसान पर चिंता जाहिर की और वैकल्पिक विकास मॉडल पर काम करने पर ज़ोर दिया।
कार्यक्रम की शुरूआत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस कार्यक्रम तथा विकास के वैकल्पिक मॉडल पर अपने विचार व्यक्त किया। साथ ही कार्यक्रम के आयोजन के लिये संस्कृति विभाग व संयोजन में मुख्य भूमिका निभाने वाले विभवकांत उपाध्याय को धन्यवाद दिया। साथ ही छत्तीसगढ़ की राज्यपाल ने भी इस आयोजन के लिये छत्तीसगढ़ सरकार व संस्कृति मंत्री की सराहना की। उन्होंने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि मूलतः जनजातियों का जीवन जल, जंगल और ज़मीन यानि पर्यावरण पर निर्भर है। निरंतर विकास की प्रक्रिया और औद्योगिकीकरण का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ा है लेकिन जनजातीय वर्ग को इसका अपेक्षित फायदा नहीं मिला। आदिवासियों के उत्थान के लिये विकास का वैकल्पिक मॉडल महत्वपूर्ण साबित होगा।
देश के पहले ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में विशेष रूप से प्राइम मिनिस्टर ऑफ अफ्रीकन डायस्पोरा डॉ. लुइ जॉर्जेस टिन, अफ्रीकन डायस्पोरा की विदेश मंत्री क्वीन डियांबी कबातुसुइला, नॉर्वे के सांसद हिमांशु गुलाटी, जांबिया के प्रिंस डॉ. सेवियर चिशिंबा, इंडिया सेंटर फाउंडेशन के चेयरमैन विभवकांत उपाध्याय शामिल हुए।
इंडिया सेंटर फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं वैकल्पिक विकास मॉडल के निर्माता विभवकांत उपाध्याय ने अपने उद्बोधन में कहा कि अगर हमें प्रकृति को सहेजना है तो प्रकृति के पास रहना होगा। पिछले 200 वर्षों से विकास के नाम पर शोषण बहुत हुआ है। वर्तमान विकास के पीछे की सच्चाई देखें तो कुल संसाधनों का 95 प्रतिशत सिर्फ 2 से 4 प्रतिशत लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। विकास के वर्तमान मॉडल से प्रकृति को बहुत नुकसान पहुँचा है, इसलिये वैश्विक संबंध स्थापित कर नया वैकल्पिक विकास मॉडल एक सराहनीय प्रयास है। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ का यह कदम ऐतिहासिक है, इस कार्यक्रम के जरिये वैकल्पिक विकास मॉडल की अवधारणा को सामने रखकर छत्तीसगढ़ सरकार ने पथप्रदर्शक का काम किया है। तत्पश्चात अफ्रीकन डायस्पोरा की विदेश मंत्री क्वीन डियांबी कबातुसुइला ने अपने संबोधन में विकास हेतु लाभ आधारित अर्थव्यवस्था की बजाय, संसाधन आधारित अर्थव्यवस्था पर ज़ोर दिया। उनके अनुसार आदिवासियों और प्राकृतिक संसाधनों को सहेजते हुए विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर ज़्यादा सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।
यूनाइटेड प्रोग्रेसिव पार्टी, ज़ाम्बिया के अध्यक्ष व पूर्व मेंबर ऑफ पार्लियामेंट प्रिंस डॉ. सेवियर चिशिंबा ने वैकल्पिक विकास मॉडल पर अपने विचार व्यक्त किया। उनके अनुसार विकास का मॉडल प्रकृति को सहेजने वाला होना चाहिये, यह कार्य विभिन्न देशों के आदिवासी सदियों से करते आए हैं।
नॉर्वे के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हिमांशु गुलाटी ने इस आयोजन तथा वैकल्पिक विकास मॉडल की अवधारणा के लिये छत्तीसगढ़ सरकार की सराहना की। साथ ही उन्होंने कहा कि वे अल्टरनेटिव डेवलपमेंट ऑर्गेनाज़ेशन के साथ वैकल्पिक विकास मॉडल पर काम करने के इच्छुक हैं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत के सामने इस विषय में प्रस्ताव रखते हुए, छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधियों को नॉर्वे आमंत्रित किया।
अंत में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि जल जंगल ज़मीन की रक्षा और आर्थिक विकास के लिये आदिवासियों को आगे आना होगा। वैकल्पिक विकास मॉडल में हमें आदिवासियों के तौर-तरीके अपनाकर आगे बढ़ना होगा, क्योंकि पर्यावरण के संरक्षण के साथ जीविकोपार्जन का तरीका हम उन्हीं से सीख सकते हैं। विकास के वैकल्पिक मॉडल के नीति निर्धारण में स्वास्थ्य, शिक्षा सामाजिक न्याय, कृषि, उद्योग, व्यापार सभी क्षेत्रों को शामिल जाना आवश्यक होगा। आदिवासियों के उत्थान के लिये उन्हें साथ में लेकर आगे बढ़ना पड़ेगा। साथ ही उन्होंने आयोजक मंडल और इस प्रथम इंटरनेशनल वर्चुअल ट्राइबल फेस्टिवल में आयोजन हेतु योगदान के लिये इंडिया सेंटर फाउंडेशन के चेयरमैन विभवकांत उपाध्याय को धन्यवाद दिया। फिर उन्होंने सभी प्रतिनिधियों को भारत व छत्तीसगढ़ आमंत्रित किया।
जिस वैकल्पिक विकास मॉडल की परिकल्पना इंडिया-जापान ने की थी उसको छत्तीसगढ़ सरकार धरातल पर लाने का काम करने जा रही है. यह अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है जिसमें जीडीपी आधारित विकास की बजाय आदिवासियों के हित के लिये वैकल्पिक विकास मॉडल की बात कही गई। वैश्विक स्तर पर इस मॉडल पर काम करने की पहल भारत विशेषकर छत्तीसगढ़ राज्य की तरफ से हुई है।