कोरोना का सरकारी योजनाओं पर असर- निर्मला सीतारमण
नई दिल्ली। कोरोना संकट के चलते देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर के बीच मोदी सरकार ने शुक्रवार को अहम फैसला लिया। केंद्र मौजूदा वित्त वर्ष (2020-21) में कोई भी नई सरकारी योजना की शुरुआत नहीं करेगा।वित्त मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों को नई योजनाओं को इस वित्त वर्ष के आखिर तक शुरू नहीं करने के लिए कहा है। हालांकि, सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजनाओं पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई है। वित्त मंत्रालय के आदेश के अनुसार, कोई भी सरकारी योजनाओं को इस साल स्वीकृति नहीं दी जाएगी। पहले से ही स्वीकृत नई योजनाओं को 31 मार्च, 2021 या फिर अगले आदेशों तक स्थगित किया जाता है।कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू हुए लॉकडाउन से पूरी इकॉनमी को तगड़ा झटका लगा है। कई क्षेत्रों में लंबे समय तक काम बंद रहा, जिसके चलते हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ। अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और कोरोना की मार झेल रहे मजदूरों, गरीबों व अन्य लोगों के लिए सरकार ने पिछले दिनों 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया था। देश की कुल जीडीपी के दस फीसदी वाले पैकेज में कई वर्गों के लिए महत्वपूर्ण ऐलान किए गए थे।वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने कहा था कि कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। आर्थिक गतिविधियां बाधित होने से भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 में नकारात्मक रहेगी। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है और मुद्रास्फीति के अनुमान बेहद अनिश्चित हैं। दास ने कहा था कि मांग में कमी और आपूर्ति में व्यवधान के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। 2020-21 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में कुछ सुधार की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘2020-21 में जीडीपी वृद्धि के नकारात्मक रहने का अनुमान है, हालांकि 2020-21 की दूसरी छमाही में कुछ तेजी आएगी।’