राजीवगांधी गांधी किसान न्याय योजना -कांग्रेस और भूपेश बघेल की वायदा निभाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक –सुशील आनंद शुक्ला
भारत रत्न स्व राजीवगांधी गांधी की पुण्यतिथि के दिन 21 मई को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना शुरू करने जा रही है ।राजीव गांधी किसान न्याय योजना ,इस योजना के माध्यम से किसानों को उनके उत्पादन के हिसाब से प्रोत्साहन राशि देने जा रही है।कांग्रेस का वायदा सिर्फ धान उत्पादक किसानों से था लेकिन इस योजना में राज्य के सभी प्रकार की फसलों को उत्पादित करने वाले किसानों को शामिल किया गया है।खरीफ में इस योजना के अंतर्गत धान मक्का सोयाबीन मूंगफली तिल अरहर मूंग उड़द कुल्थी रामतिल कोदो कुटकी तथा रवि में गन्ना को लिया गया है ।योजना में 2019 में खरीफ फसलों धान और मक्का की फसल लेने वाले किसान जिन्होंने सहकारी समितियों के माध्यम से अपनी उपज को बेचा है उन्हें अधिकतम दस हजार रु प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 1834834 (लगभग 18.35 लाख )पंजीकृत किसानों को 5700 करोड़ रु चार किस्तों में दिया जायेगा।प्रथम चरण में लगभग 1499.94 करोड़ रु का भुगतान किया जाएगा।इस योजना के अंतर्गत गन्ना उत्पादक किसानों को पेराई वर्ष 18 -19 में 24414 किसानों को 50 रु प्रति कुंटल प्रोत्साहन राशि की दर से 10.27 करोड़ रु का भुगतान होगा । पेराई वर्ष 19 -20 में प्रोत्साहन राशि 93.75 रु प्रति कुंटल की दर से भुगतान किया जाएगा इसका लाभ 34637 किसानो को होगा इनको कुल73.55 करोड़ रु का भुगतान किया जाएगा।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना कांग्रेस और मुख्यमंत्री भूपेशबघेल की चुनावी वायदे को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कांग्रेस ने 2018 के विधान सभा चुनाव में अपने जन घोषणा पत्र में राज्य के धान उत्पादक किसानों से वायदा किया था कि उसकी सरकार बनने पर धान की सरकारी खरीदी 2500 रु प्रति कुंटल में की जाएगी । सरकार बनने के तुरन्त बाद 9000 करोड़ रु की कर्ज माफी के वायदे को पूरा करने के साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धान की खरीदी 2500 रु में सुनिश्चित करने जुट गए ।कांग्रेस सरकार ने इस वर्ष धान की खरीदी में केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य 1750 रु के अतिरिक्त किसानों को लगभग 750 रु प्रति कुंटल जादा भुगतान किया । यह चुनावी वर्ष था केंद्र और राज्य दोनो ही जगह भाजपा की सरकारे थी अतः इस वर्ष केंद्र ने छत्तीसगढ़ सरकार को धान पर बोनस देने की छूट दे रखी इस छूट के कारण कांग्रेस की नई सरकार को किसानों को धान की बढ़ी कीमत देने में कोई परेशानी नही हुई ।लेकिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के कारण परिस्थितियां बदल चुकी थी दूसरे वर्ष केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार को धान पर बोनस या अतिरिक्त भुगतान की छूट देने से न सिर्फ मना कर दिया यह भी चेतावनी दी गयी कि यदि राज्य सरकार केंद्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर धान की खरीदी करेगी तो वह राज्य से लेने वाली सेंट्रल पुल के कोटे का चावल नही लेगी ।मोदी सरकार का यह फर्मान भूपेश सरकार के सामने बड़ी चुनौती थी यदि केंद्र के आदेश को धता बता कर 2500 में धान की खरीदी की जाती है तो इतने बड़े पैमाने पर लगभग 82लाख टन धान और उससे बनने वाले लगभग 55 लाख टन चावल के भंडारण और उसका खपत राज्य के सामने बड़ी चुनौती थी ।मुख्यमंत्री भूपेशबघेल ने घोषणा किया कि धान की खरीदी केंद्र के द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर ही किया जाएगा लेकिन किसानों को निराश होने की जरूरत नही समर्थन मूल्य और 2500 रु के बीच की जो अंतर राशि है उसका भुगतान किसी अन्य ढंग से किया जाएगा ।किसानों को अंतर राशि का भुगतान कैसे किया जाएगा इसके लिए एक मंत्रिमण्डलीय समिति का गठन किया गया ।समिति के अध्ययन और अनुसंशा पर तथा मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप धान के अलावा अन्य फसल उत्पादित करने वालो किसानों को भी प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया गया ।इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे राज्य में धान के साथ वैकल्पिक जिंसों की खेती के प्रति किसानों का रुझान बढ़ेगा।मोदी सरकार सन 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने जुबानी लक्ष्य रखा है इसे पूरा करने अभी तक कोई कार्य योजना नही दिखी। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री भूपेशबघेल ने तो सन 2018 से ही छत्तीसगढ़ के किसानों की आय लगभग दुगनी कर दिया ।
किसी सरकार और राजनैतिक दल के द्वारा अपने चुनावी वायदे को पूरा करने का जुनून मुख्यमंत्री भूपेशबघेल ने दिखया उनके पास तार्किक ठोस बहाना था केंद्र समर्थन मूल्य से जादा धान की कीमत नही देने दे रहा इसलिए हम मजबूरी में धान की कीमत 2500 नही दे पा रहे विपक्षी भाजपा भी इस तर्क के सामने बचाव की ही मुद्रा में रहती लेकिन किसान पुत्र भूपेशबघेल को किसानों के साथ यह वायदा खिलाफी मंजूर नही थी उन्होंने न सिर्फ पूरी शिद्दत से अपने चुनावी वायदे को निभाने के लिए प्रयत्न किए अंततः राजीव गांधी किसान न्याय योजना के रूप में उसे पूरा भी किया।