20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज वाले गुब्बारे की हवा निकली: सुरेन्द्र वर्मा
133 करोड़ जनता को गुमराह करने वाले धारावाहिक का अंत हुआ !
कोई महत्वपूर्ण राहत नहीं सिर्फ कर्ज का कारोबार : जनता ठगी गयी !
मदद की आस लगाए जनता को राहत पैकेज के नाम पर 5 किश्तों में जुमलों और तुकबंदी की अव्यावहारिक कथा ही सुनायी गयी
जनहित, राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर मर्जर,विलयीकरण, निजीकरण से देश के संसाधन चहेते पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने की साजिश
साइकोलॉजिकल सपोर्ट और मेंटल हेल्थ प्रोग्राम “मनोदर्पण” की सर्वाधिक जरूरत मोदी सरकार को है
मोदी सरकार द्वारा लगभग सभी वित्तीय और व्यावसायिक कानूनों में संसद में चर्चा के बिना पूंजीपतियों के पक्ष में संशोधन संदेहास्पद!
जब पूंजीपतियों को लोन नहीं चुकाने पर डिफाल्टर होने से छूट दी है, अपराधिक प्रकरण के संदर्भ में भी संशोधन, तो यह नियम किसानों के लिए क्यों नही?
प्रवासी मजदूरों के लिए रोज 300 ट्रेन चलाने और 85% खर्च उठाने के झूठे दावे की कलाई इनके ही व्यय डिटेल्स से खुल गई! अंत के व्यय विवरण में कोई उल्लेख नहीं!
रायपुर/ 17 मई 2020। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आज की पत्रवार्ता पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि मोदी सरकार की नीति और नीयत का सच सामने आ गया! आपदा में फंसे मजबूर, संसाधन विहीन जनता को मोदी सरकार ने 20 लाख़ करोड़ का पैकेज बताकर केवल ठगने का काम ही किया है, प्रत्यक्ष मदद कुछ भी नहीं दी ! देश की जनता जानना चाहती है कि व्यवसायिक लोन को आपदा राहत कैसे कहा जा सकता है ? राहत और प्रत्यक्ष मदद की उम्मीद लगाए बैठी जनता को केवल कर्ज के कुचक्र में फसाने का प्रयास कर रही है मोदी सरकार! राज्य सरकारों को भी सहायता के नाम पर केवल कर्ज लेने की सीमा में छूट दी गई! राज्य सरकारों के हक का पैसा – जीएसटी में राज्यों का हिस्सा, माइनिंग फंड में राज्य के हक की राशि, मनरेगा जैसे मद की राशि भी आज तक केंद्र के द्वारा जारी नहीं की गई है! यही नहीं विपत्ति से हलाकान जनता का ध्यान भटकाकर पहले किसानों और उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए 1955 से लागू आवश्यक वस्तु अधिनियम में निहित “स्टॉक लिमिट” को खत्म करके बिचौलियों और जमाखोरों को संरक्षण देने का फैसला मोदी सरकार ने लिया! एमएसएमई की परिभाषा बदल कर कुछ बड़े उद्योगपतियों को भी लाभ देने का षडयंत्र रचा गया! और अब लोन नहीं पटाने पर उद्योगपतियों को दिवालिया नहीं किए जाने के उद्देश्य से कानून में बदलाव! कंपनी अधिनियम में भी परिवर्तन, अपराधिक सूची से बाहर निकालने का प्रावधान भी बनाया गया है! इस मामले में मोदी सरकार ने पूंजीपतियों के लोन माफ करने के अपने कौशल को ही फिर से दिखाया है! देश का किसान मोदी सरकार से यह जानना चाहता है कि लोन न पटाने पर जब पूंजीपतियों को दिवालिया होने से छूट दी गई जब कई प्रकार के आपराधिक प्रकरणों से उनको छूट दी जा रही है तो यह सुविधा मेहनतकश किसानों के लिए क्यों नहीं? क्यों किसानों की जमीन नीलाम करके उन्हें आत्महत्या पर मजबूर कर रही है मोदी सरकार?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कोरोना संकट की भयावहता से जूझ रहे देश की आम जनता को, किसानों को, पैदल जैसे तैसे घर पहुंच रहे मज़दूरों को, फूटकर व्यापारियों को बंद पड़े उद्योगों को राहत पहुंचाने में मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम रही है!
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार करोना आपदा के समय गरीबों की मददगार की नहीं साहूकार की भूमिका में है। निरीह जनता को उम्मीद थी राहत की, पर मोदी जी ने तो जनता के लिए केवल कर्ज का कुचक्र ही रचा है! एमएसएमई के लिए निर्मला सीतारमण जी के द्वारा जारी लोन की उपयोगिता भी तभी तो होगी ना, जब उनका व्यापार बढ़े, टर्न ओवर बढ़े! मोदी जी ने संसद में यूपीए सरकार का उपहास करते हुए कथन किया था कि मनरेगा कांग्रेस सरकार की असफलता का स्मारक है, आज यही मनरेगा और खाद्य सुरक्षा अधिनियम हिंदुस्तान की बहुसंख्यक आबादी के जीवन का आधार है!
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए 300 ट्रेनें रोज चलाने और 85% किराया केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने का झूठा दावा आज फिर से किया गया, जबकि वित्त मंत्री के प्रेसवार्ता के अंत में चारों दिन से संबंधित प्रस्तुत व्यय के विवरण में यह 85% खर्च दिखा ही नहीं! सच में खर्च किया होता तभी तो दिखाते
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि निजी क्षेत्रों में पीएफ की कटौती कामगारों को दिया जाने वाला राहत है या सजा? टीडीएस की राशि तो कर दाता का ही पैसा होता है उसमें कटौती आपदा राहत कैसे?
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि जो काम छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही कर रही हैं, मोदी सरकार को वही बातें आपदा राहत के नाम पर आज सूझ रही है! आपदा राहत के नाम पर मोदी सरकार उसी बात का आज ढोल पीट रही हैं! 100% एफडीआई लागू करने वाली मोदी सरकार अब लोगों में “लोकल से वोकल” का भ्रम फैला रहे हैं!
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि सच यह है कि बिना तैयारी के अव्यवहारीक जीएसटी थोपे जाने के कारण ना केवल स्थानीय व्यापार व्यवसाय, बल्कि निर्यात भी पूरी तरह से ठप हो गया है! लॉक डाउन के दौरान सारे विद्यालयों को टीवी रेडियो से पढ़ाने की बात तो कहीं वित्त मंत्री ने लेकिन देश के हजारों स्कूल कॉलेज जो विद्यार्थियों की फीस से चलते हैं जहां लॉकडाउन के दौरान शिक्षकों को वेतन मिलना मुश्किल हो रहा है उसके लिए कोई योजना नहीं दी!
करोना संकट के नाम पर सरकारी उपक्रमों के निजीकरण का विरोध करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार जनहित, राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखकर मर्जर, विलयीकरण, निजीकरण, पीपीपी और निजी निवेश के नाम पर चंद पूंजी पतियो के हाथों देश को बेच देने की साज़िश रची का काम कर रही है! करोना आपदा काल में पीड़ित और व्यथित जनता का ध्यान भटकाकर राहत के नाम पर सिर्फ़ और सिर्फ़ देश के संसाधनों को बेचने का काम मोदी सरकार के द्वारा किया जा रहा है!ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का भी निगमिकरण, डिफेन्स सेक्टर में एफडीआई की लिमिट 49% से बढाकर 74% किया जाना बेहद आपत्तिजनक है! यही हकीकत है इनके लोकल से वोकल तथा आत्मनिर्भरता के ढोंग का!एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में भी निजी, प्राइवेट, पब्लिक पार्टनरशिप दुखद और आपत्तिजनक है! आपदा राहत के नाम पर इंडस्ट्रियल लॉन्ग टर्म इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन की बात अव्यवहारिक है, काल्पनिक है, देश के संसाधनों को बेचने की साज़िश है!
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कुल मिलाकर आपदा राहत के नाम पर 5 एपिसोड में मोदी सरकार ने आम जनता के लिए “आत्मनिर्भर भारत”, “ जान है तो जहान है” के नारों के साथ 20 लाख करोड़ के कर्ज़ का जुमला ही दिया, ठीक उसी तरह जैसे पहली बार देश की सत्ता हासिल करने के लिए हर भारतवासी के खाते में 15 – 15 लाख रुपए पहुंचाने का वादा किया और चुनाव जीतने के बाद उस वादे को “चुनावी जुमला” बताकर हाथ झाड़ लिया! अब आपदा को अवसर में बदलते हुए, सारे आर्थिक और व्यवसायिक कानूनों में संशोधन और बदलाव चंद पूंजीपतियों के हक में कर दिया गया! पीपीपी मोड से लगभग सारे क्षेत्रों में प्राइवेट कंपनियों को बुलाकर देशहित को भी ताक पर रखा जा रहा है।