बोधघाट परियोजना सहित कई महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं के सर्वेक्षण की मुख्यमंत्री ने दी सैद्धांतिक सहमति
बैठक में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बोधघाट परियोजना के सर्वेक्षण एवं अन्य कार्यों के बारे में विभागीय अधिकारियों से विस्तार से जानकारी ली। बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव सचिव श्री अविनाश चंपावत ने बताया कि बोधघाट परियोजना का डीपीआर तैयार किए जाने की कार्यवाही की जा रही है। जल संसाधन विभाग द्वारा इस परियोजना के टेक्नो फाइनेंशियल प्रपोजल को सहमति हेतु वित्त विभाग को भेजा गया है। इस परियोजना का डीपीआर 8 माह के भीतर तैयार कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बोधघाट बहुद्देशीय परियोजना इंद्रावती नदी पर प्रस्तावित है। यह दंतेवाड़ा जिले के विकासखंड गीदम के ग्राम बारसूर से लगभग 8 किलोमीटर और जगदलपुर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर की दूरी पर है। इस परियोजना की कुल लागत 21 हजार करोड़ रुपए है। इससे 2 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई तथा 500 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है। योजना से बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले लाभान्वित होंगे। सचिव श्री चंपावत ने बताया कि इस परियोजना का प्रारंभिक साध्यता प्रतिवेदन केंद्रीय जल आयोग को सैद्धांतिक सहमति हेतु प्रस्तुत किया जा चुका है, जिस पर आगामी माह तक सहमति प्राप्त होना संभावित है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने बैठक में जल संसाधन विभाग की 7479.08 करोड़ की लागत वाली प्रस्तावित परियोजना पैरी महानदी इंटरलिंकिंग बारूका गरियाबंद, 624 करोड़ की लागत वाली शेखरपुर बांध परियोजना जशपुर, 793 करोड़ की डांडपानी बांध परियोजना जशपुर, 729 करोड़ की लागत वाली खारंग अहिरन लिंक परियोजना बिलासपुर-रतनपुर सहित अन्य सिंचाई परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने जल संसाधन मंत्री श्री रविंद्र चैबे के आग्रह पर जल संसाधन विभाग की प्रस्तावित उक्त सिंचाई परियोजनाओं विशेषकर बोधघाट परियोजना के कार्य को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए।
बैठक में जानकारी दी गई कि विभाग द्वारा बीते खरीफ सीजन में 12 लाख 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हेतु जलापूर्ति की गई, जो वर्ष 2018-19 की तुलना में 1 लाख 62 हजार हेक्टेयर अधिक है। वर्तमान में 57000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में रबी फसलों की सिंचाई हेतु जल आपूर्ति की जा रही है, जो बीते वर्ष के रबी सीजन से लगभग दोगुना है। राज्य में पुरानी सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार एवं उन्नयन से 24 हजार 142 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा का पुनस्र्थापन हुआ है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में विभाग को 746.20 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो वर्ष 2018-19 की तुलना में 70.50 लाख अधिक है।
बैठक में जल संसाधन विभाग के सचिव ने बताया कि बीते 15 अप्रैल से राज्य के 5000 ग्रामीण निस्तारी तालाबों को, सिंचाई जलाशयों से जलापूर्ति कर भरा जा रहा है। उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के कारण सिंचाई परियोजनाओं के लगभग 900 अनुबंधित कार्य बीते एक माह से बंद हो गए थे। इन सभी कार्यों में से लगभग 400 कार्यों को शुरू कराया जा रहा है। इससे 50 से 60 हजार लोगों को गांव में ही रोजगार मिल सकेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। बैठक में जल संसाधन विभाग के विश्राम गृह एवं अन्य अनुपयोगी परंतु व्यवसायिक उपयोग के लायक भूमि का चिन्हित कर उनके बेहतर प्रबंधन के संबंध में भी विस्तार से चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने विभागीय अधिकारियों को इनके व्यवसायिक उपयोग का प्लान भी तैयार करने के निर्देश दिए।