बैलाडीला खदान मामला, एम.ओ.यू. रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन

बैलाडीला खदान मामला, एम.ओ.यू. रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन

बैलाडीला खदान मामला एम.ओ.यू. रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अडानी के काम पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। देश में यह पहला मौका है जहां किसी सरकार ने उद्योगपति गौतम अडानी के काम पर प्रतिबंध लगा दिया है। बैलाडीला संकट पर बस्तर के प्रतिनिधिमंडल की रिपोर्ट और उनके साथ चल रही बैठक में सरकार ने प्रतिनिधिमंडल की मांगों को मान लिया है।
सीएम ने मानी ये मांगें: बस्तर से आए कांग्रेस के आदिवासी नेताओं के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा करने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने मांगों को मानते हुए निर्देश दिए. इसमें नंदराज पर्वत पर पेड़ों की कटाई पर तुरंत रोक, वर्ष 2014 के फर्जी ग्राम सभा के आरोप की जांच, क्षेत्र में संचालित खनन कार्यों पर रोक और राज्य सरकार की ओर से भारत सरकार को पत्र लिख कर जन भावनाओं की जानकारी देने का निर्णय लिया गया है. नंदराज पहाड़ी पर पेड़ों की कटाई की जांच को लेकर तीन सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया गया है.
इसमें जांच के बाद कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. सीएम ने मीडिया को इसकी जानकारी दी. मालूम हो कि कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल में बस्तर सांसद दीपक बैज और कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम, दंतेवाड़ा की पूर्व विधायक देवती कर्मा, पूर्व मंत्री अरविंद नेताम सहित अन्य शामिल थे।
संसद में उठाएंगे मामला
कांग्रेस के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे बस्तर सांसद दीपक बैज ने मीडिया से चर्चा में कहा कि आदिवासियों की लड़ाई में वे उनके साथ हैं. धरना दे रहे लोगों की मांग को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने से मुलाकात की. मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को मान लिया है. चूंकि मामला केन्द्र सरकार से जुड़ा है. इसलिए संसद में आगामी सत्र में वे इस मामले को उठाएंगे और नंदराज पर्वत पर खनन की रोक लगाने की मांग करेंगे. आदिवासियों ने कहा जारी रहेगा आंदोलन-दंतेवाड़ा जिला स्थित किरंदुल में पांच दिनों से चल रहा आदिवासियों का धरना प्रदर्शन मंगलवार को भी जारी रहा. कांग्रेस के आदिवासी नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व वन मंत्री मोहम्मद अकबर से मिला. मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधि मंडल की मांगों को मानकर नंदराज पहाड़ पर पेड़ों की कटाई तत्काल प्रभाव से रोकने सहित अन्य निर्देश दिए, लेकिन इसके बाद भी किरंदुल में धरने पर बैठे आदिवासियों ने अपना प्रदर्शन जारी रखने की बात कही है। आदिवासियों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही संयुक्त पंचायत संघर्ष सामिति का कहना है कि आंदोलन जारी रहेगा. समिति के सदस्य राजू भास्कर, नंदा व अन्य का कहना है कि जब तक खदान को निरस्त करने का लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा तब तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे. आदिवासियों का बड़ा समूह किरंदुल के एनएमडीसी चेकपोस्ट के सामने बीते 7 जून से धरना दे रहा है. इस धरना प्रदर्शन को तमाम राजनीतिक दल समर्थन दे रहे हैं. आदिवासी बैलाडीला के नंदग्राम (नंदराज) पहाड़ी पर खुदाई का विरोध कर रहे हैं।
65 से 70 फीसदी आयरन

डानी ग्रुप ने सितंबर 2018 को बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड यानी बीआईओएमपीएल नाम की कंपनी बनाई और दिसंबर 2018 को केन्द्र सरकार ने इस कंपनी को बैलाडीला में खनन के लिए विकासकर्ता सह प्रचालक यानी एमडीओ के रूप में 25 साल के लिए लीज दे दी गई है. बैलाडीला के डिपॉजिट 13 में 315.813 हेक्टेयर रकबे में लौह अयस्क खनन के लिए वन विभाग ने वर्ष 2015 में पर्यावरण क्लियरेंस दिया है. जिस पर एनएमडीसी और राज्य सरकार की सीएमडीसी को संयुक्त रूप से उत्खनन करना था. इसके लिए राज्य व केंद्र सरकार के बीच हुए करार के तहत संयुक्त उपक्रम एनसीएल का गठन किया गया था। लेकिन बाद में इसे निजी कंपनी अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को 25 साल के लिए लीज हस्तांतरित कर दिया गया. डिपॉजिट-13 के 315.813 हेक्टेयर रकबे में 250 मिलियन टन लौह अयस्क होने का पता सर्वे में लगा है. इस अयस्क में 65 से 70 फीसदी आयरन की मात्रा पायी जाती है।

The News India 24

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