प्रस्तुत बजट के बाद आय-व्यय पर सामान्य चर्चा के दौरान वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को जमकर घेरा………
रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट के बाद आय-व्यय पर सामान्य चर्चा के दौरान वरिष्ठ भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि यहा सर्वे भवन्तु सुखिनः से बजट भाषण की शुरुआत होती है। पर सुखी कौन है? किसान दर-दर की ठोकरें खा रहा है। युवा बेरोजगार नौकरी या प्रोत्साहन राशि का इंतजार कर रहा है। महिला स्व सहायता समूह ऋण माफी का इंतजार कर रही है। स्कूल की छात्राएं साइकिल की राह ताक रही हैं। बीमार व्यक्ति यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम का इंतजार कर रहा है। कहां गई सब स्कीमें? फिर भी आप कहते हैं सर्वे भवन्तु सुखिनः आखिर कौन प्रदेश में सुखी है? प्रदेश में अगर सुखी है तो शराब के सप्लायर और रेत माफिया सुखी हैं। कभी-कभी लगता है यह सरकार केवल शराब माफिया और रेत माफिया के लिए काम कर रही है। शराब को बंद करने की बात करने वाली सरकार के राज में आज घर-घर शराब पहुंच की सेवा हो गई है।
बृजमोहन ने गृह व लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू की ओर इशारा करते हुए कहा कि आपके विभाग की 50 प्रतिशत राशि भी रिलीज नहीं हुई है, स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव की ओर देखते हुए उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार आपके विभाग में 40% बजट पर अभी तक एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल नहीं मिला है। कृषि-सिंचाई मंत्री रविंद्र चौबे जी कि विभाग में 44% बजट में अभी तक एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल नहीं मिला है। ऐसे में यहा प्रस्तुत बजट जनता को गुमराह करने वाला बजट है ।1लाख करोड रुपए बजट में 60 हज़ार करोड़ सरकार खर्च नहीं पाए यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी- बड़ी बात कर रही है कि हमने 20 हज़ार करोड़ का कर्ज माफ कर दिया है। हम 25 सौ रुपये में धान खरीद रहे हैं। पर सवाल यह है कि उसके बाद भी कृषि विकास की दर में कमी क्यों आई हैं? जो कृषि विकास दर पूर्व के वर्षों में लगभग 4% थी वह अब लगभग 3.3% क्यों हो गई।
आप घोषणा पत्र में कहते हैं कि दाना दाना धान खरीदेंगे। फिर 15 क्विंटल की बाध्यता हो जाती है। फिर तीन टोकन की बात होती है। फिर टोकन लेकर भटकने की बाध्यता हो जाती है। फिर प्रतिदिन धान खरीदने की सीमा निर्धारित की जाती है, बोरे का कृत्रिम अभाव पैदा किया जाता है। धान खरीदी में सीलिंग लगाई जाती है, किसानों के घर छापा मारा जाता है। कोठार-खलिहानों से धान जप्त किए जाते हैं। पुलिस धान की जब्ती का केस बनाती हैं। कृषि रकबे में कटौती की जाती है। ऐसी हालत है राज्य की।
उन्होंने कहा कि 14 लाख से ज्यादा कृषि रकबे का रजिस्ट्रेशन हुआ है। इस हिसाब से 15 क्विंटल धान एक एकड़ में, तो सवा लाख क्विंटल धान होगा।सवा लाख क्विंटल में आप केवल 82 लाख क्विंटल खरीद रहे है। बृजमोहन ने कहा कि इस सरकार की कृषि नीति से किसानों का बड़ा नुकसान है। हमने प्रयास किया था कि छत्तीसगढ़ का किसान दलहन, तिलहन सोयाबीन पैदा करें,गौपालन करें। गौपालन योजना के लिए 6 लाख की सब्सिडी योजना हमने प्रारंभ की थी। जिसके तहत राज्य में 400 डेयरी खुली है। यह सरकार बताये की इन डेढ़ सालों में उन्होंने कितनी डेयरियां खोली है?
बोधघाट परियोजना से 2 लाख 62 हज़ार हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होगी ऐसा बताया गया है। जरा मुझे बताएं की बोध घाट की नहर कहां से आएगी? वहां पर 2 लाख 62 हज़ार हैक्टेयर है भी या नही? कितना जंगल है? क्या जंगल को काटकर सिंचाई कराएंगे? बस्तर में अभी हमारी जितनी भी सिंचाई योजना है उससे 10% ही सिंचाई होती है।बाकी की सिंचाई नही होती। अपनी सरकार के दौरान मैंने बस्तर में सिंचाई रकबा बढ़ाने का प्रयास किया तो बताया गया कि किसान डिमांड नहीं करते कि पानी चाहिए। क्योंकि वहां बरसात का पानी पर्याप्त मिल जाता है। यदि हम उस परियोजना को बनाएंगे तो कितना पैसा लगेगा? वह पैसा कहां से आएगा? फिर बोलते हैं कि वास्तविक सिंचाई 19 लाख हेक्टेयर है परंतु 13 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है और हम उसको 32 लाख हेक्टेयर करेंगे। 32लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करने के लिए 1 लाख करोड रुपए चाहिए। यह पैसा कहां से आएगा? पिछले डेढ़ साल से जितनी भी विकास योजनाएं हैं सभी ढप्प पड़ी हुई है।
पिछले बजट में अहिरंन-खारंग, गंगरेल-तांदुला,पैरी- महानदी को जोड़ने की बात की गई थी। पर वह इस बार के बजट से गायब है। सवाल है आप छत्तीसगढ़ को किधर ले जाना चाहते हैं ? हमने तय किया था कि भागीरथी गंगा योजना इसमें हर साल 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बढ़ाएंगे। हमने 2 साल तक बढ़ाया था। पिछले साल इस सरकार ने सिर्फ 30 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई बढ़ाई है। आप 32 लाख हैक्टेयर क्षेत्र सिंचाई बढ़ाने की बात कर रहे है पर यह कैसे कर पाएंगे समझ से परे। उन्होंने कहा कि 2019-20 के बजट में सौर ऊर्जा के सहयोग से सिंचाई हेतु 20 हज़ार पंपों की स्थापना के लिए 467 करोड़ का प्रावधान है।जरा सरकार सदन में बताएं 20 हज़ार में से 20 सोलर पंप भी लगे हैं? आपने कहा था कि गोबर गैस प्लांट की कंपोजिट इकाइयों के निर्माण संधारण एवं संचालन हेतु प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार कर प्रत्येक ग्राम से 10 युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा। उक्त कार्य के लिए कौशल योजना विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण मद से उपयोग किया जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत लगभग 2 लाख युवाओं को रोजगार प्राप्त होगा। पर इन 14 महीनों में दो युवाओं को भी इस योजना में रोजगार नही मिला है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड,शिक्षा का अधिकार,पोस्ट ग्रेजुएट तक निःशुल्क शिक्षा, की कोई व्यवस्था इस बजट में नही की गई है। कहा गया था कि ग्रामीण आवास अधिकार के तहत 5 सदस्यीय परिवार को घर व बाड़ी हेतु जमीन दी जाएगी पर आज तक एक को भी जमीन दी गई क्या? वृद्धों-विधवाओं को 1 हज़ार रुपये पेंशन,दिव्यांगों को 15 सौ रुपये देने का वादा था उसका क्या हुआ? इस वंचित वर्ग के लिए बजट में आपने कोई भी प्रावधान नहीं रखा है। 200 ब्लॉक में फ़ूड पार्क खोलने की बात आपने कही थी। 1लाख रिक्त पदों की भर्ती की बात आपने कही थी पर कोई रिक्त पद में भर्ती नहीं की जा रही है। चिकित्सकों की भर्ती, उत्कृष्ट खिलाड़ी को शासकीय नौकरी की बात कोरी साबित हो गई है।नई राजधानी में मुख्यमंत्री व मंत्रियों के लिए आवास बनाए जाने का भी उन्होंने विरोध किया। बृजमोहन ने कहा कि सरकार के पास पैसे नही है तो क्या जरूरत है नई राजधानी में आवास बनाने की। अभी रायपुर में मकान है लोग रह रहे है। जबरदस्ती सैकड़ों करोड़ खर्च करने का औचित्य नही है।
रायपुर शहर के मध्य बन रहे स्काईवॉक को लेकर बृजमोहन ने कहा कि दुर्भाग्यजनक बात है कि इसको लेकर सरकार कोई निर्णय नहीं कर पा रही है। मैं भी रायपुर शहर का विधायक हूं,इसके निर्णय के लिए बनाई गई कमेटी में मुझे नहीं रखा गया है। कुछ सदस्य इसे तोड़े जाने की बात कहते हैं परंतु सदन में मैं सुझाव देना चाहता हूं कि अगर सरकार स्काई वॉक को चलने के लिए नही बनाना चाहती तो उस पर छोटी-छोटी दुकानें बना दिया जाना चाहिए ताकि उपयोग हो सके।दिल्ली में स्ट्रीट मार्केट ,अंडर पास में भी दुकानें लगती है।साथ ही बृजमोहन ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तुत इस बजट का मैं विरोध करता हूं। यह बजट सिर्फ आंकड़ों का खेल है। जिसमें पूंजीगत व्यय बहुत कम और राजस्व व्यय ज्यादा है। इसे छत्तीसगढ़ का विकास नहीं होने वाला यह दिशाहीन बजट है।