ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं महिलाएं…..तेल प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना से महिलाएं उत्साहित
उद्योग के क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ रही भागेदारी
रायपुर, 28 फरवरी 2020/ छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है तथा यहां लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन कृषि है। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में कृषि आधारित व्यवसायों की अपार संभावनाओं को मूर्त रूप प्रदान करने तथा महिलाओं को उद्यमिता से जोड़ने के लिए विकासखण्ड वाड्रफनगर के बसंतपुर में ममता खाद्य तेल प्रसंस्करण सहकारी समिति की स्थापना की गई है। कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से स्थापित तेल प्रसंस्करण केन्द्र का संचालन एन.आर.एल.एम. के स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा किया जा रहा है।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के बड़े भौगोलिक क्षेत्र में सरसों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। क्षेत्र में सरसों से तैयार होने वाले उत्पादों के व्यवसाय की संभावनाओं को मूर्त रूप प्रदान करते हुए महिलाओं द्वारा स्थापित सरसों तेल प्रसंस्करण का उद्योग महिला सशक्तिकरण व ग्रामीण आत्मनिर्भरता के लिये महत्वपूर्ण कदम है। बसंतपुर एवं आसपास के गांवों के स्व सहायता समूह की महिलाओं ने आपस में मिलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने का प्रयास किया है। महिलाएं तेल प्रसंस्करण उद्योग के स्थापना से बहुत अधिक उत्साहित हैं। महिलाओं का कहना है कि हम सभी घर से बाहर निकली हैं तथा तेल उत्पादन के साथ ही मार्केटिंग तथा प्रचार-प्रसार का कार्य भी कर रही हैं।
स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वर्तमान में हम प्रतिदिन लगभग 110 लीटर शुद्ध कच्ची घानी सरसों तेल का उत्पादन कर रही हैं, जिसे जिले के छात्रावासों, आंगनबाड़ियों तथा स्कूलों में विक्रय किया जा रहा है। भविष्य में और भी वृहद स्तर पर व्यवसाय के विस्तार की योजना है। उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप मे सरसों बीज स्थानीय हॉट बाजारों तथा कृषकों से खरीदा जाता है। तत्पश्चात् प्रसंस्करण केन्द्र में सरसों का तेल तैयार कर शेष सह उत्पाद के रूप में प्राप्त खली का भी विक्रय किया जाता है। खली का उपयोग पशुओं के लिए चारे के रूप में किया जाता है, जिसकी भी बड़ी मांग है। महिलाओं ने बताया कि सरसों तेल विक्रय से उन्हें अच्छी आय प्राप्त हो रही है। वर्तमान में तेल एक लीटर एवं 5 लीटर की पैकिंग में उपलब्ध है, जिसे आकृति कच्ची घानी प्रीमियम सरसों तेल नाम दिया गया है। महिलाएं बताती हैं कि छात्रावासों, आंगनबाड़ियों एवं स्कूलों में तेल के उपयोग पश्चात् हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। यह हमारे लिए गर्व की बात है तथा आगे भी समर्पित भाव से अपने उद्योग के प्रगति के लिए कार्य करते रहेंगे।
समूह की सदस्य श्रीमती कंचन पोर्ते ने बताया कि उद्योग के स्थापना के समय हमें तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया था जिसका वर्तमान में हमें बहुत लाभ हो रहा है। उन्होंने बताया कि छोटी मोटी तकनीकी समस्या के निवारण के लिए हम तकनीकी विशेषज्ञों के साथ वीडियो कॉल के माध्यम से चर्चा कर समस्या का निराकरण करते हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती सीता यादव बताती हैं कि जब उद्योग की स्थापना का प्रस्ताव आया तो हम सभी महिलाओं ने एक स्वर में हामी भरी थी। जिला प्रशासन के सकारात्मक प्रयासों से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है। शासन ने हमें मौका दिया जिसे हम सभी महिलाएं मिलकर सही साबित करेंगी। स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि उद्योग के संचालन से हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है तथा हमें विश्वास है कि हम महिलाओं के सामूहिक प्रयास से यह उद्योग निश्चित रूप से सफलता की नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेगा।