शाहीन बाग केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सार्वजनिक रोड प्रदर्शन के लिए नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में टकराव के बाद शाहीन बाग में प्रदर्शन जारी है और कालिंदी कुंज सड़क पिछले 70 दिनों से बंद है। इस मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सड़क प्रदर्शन के लिए नहीं है। अदालत ने टिप्पणी की कि अभी माहौल इस केस की सुनवाई के लिए ठीक नहीं है।
शाहीन बाग केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों से कहा कि हमने उनकी दी रिपोर्ट देखी है। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि आप पुलिस को डिमोरलाइज नहीं कर सकते हैं, इस समय हमारे पुलिस बल के कॉन्स्टेबल की मौत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी हम इस मामले में विचार नहीं करना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि इस मामले की सुनवाई के लिए वातावरण ठीक नहीं है. मामले को टालते हैं।
SG तुषार मेहता ने इसका विरोध किया. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 13 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है ये बेहद गंभीर विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि “सार्वजनिक जगह” प्रदर्शन की जगह नहीं होती है।
पुलिस अपना काम करे
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुलिस अपना काम करे, कभी कभी परिस्थिति ऐसी आ जाती है कि आउट ऑफ द बॉक्स जा कर काम करना पड़ता है। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा, “जिस पल एक भड़काऊ टिप्पणी की गई, पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी, दिल्ली ही नहीं, इस मामले के लिए कोई भी राज्य हो. पुलिस को कानून के अनुसार काम करना चाहिए। ये दिक्कत पुलिस की प्रोफेशनलजिम में कमी की है। अदालत ने कहा कि 13 जिंदगी कम नहीं है।
प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा की मांग
इस बीच वरिष्ठ वकील वजाहत हबीबुल्लाह और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर के साथ बहादुर अब्बास नकवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की है। इस याचिका में शाहीन बाग में डटे प्रदर्शनकारियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की गई है।