उन्होंने कहा कि अपनी हार पर मंथन कर रही कांग्रेस ने अब निकाय चुनावों के लिए फिर से कर्जमाफी और बिजली बिल आधा को ही मुद्दा बनाने का इरादा जताया है। कर्जमाफी के नाम पर प्रदेश के किसानों को जिस प्रकार कांग्रेस की राज्य सरकार ने छला है, उसका दुष्परिणाम उसने भोग लिया है।
बिजली बिल आधा करने की बात कहने वाली सरकार पूरे प्रदेश को बिजली संकट की ओर धकेल चुकी है। प्रदेश अंधकार की चपेट में है और इससे घरेलू-व्यावसायिक व कृषि कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सुन्दरानी ने कहा कि कांग्रेस के नेता सरकार चलाने में हर मोर्चे पर बुरी तरह विफल सिध्द हो रहे हैं।
उनके पास अब कोई और मुद्दा रहा नहीं है, इसलिए अपने उन्हीं झूठे वादों को फिर से परोसकर कांग्रेस प्रदेश के निकायों को फतह करने का सपना देख रही है। शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता जैसे वादों से मुकरकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अपने जिस राजनीतिक चरित्र का प्रदर्शन किया है, उसकी कीमत कांग्रेस को अब हर मोर्चे पर चुकानी पड़ेगी।
वहीं भाजपा सरकार के शासनकाल में शुरू की गई जनकल्याणकारी योजनाओं को एक-एक करके मौजूदा सरकार जिस रफ्तार से बंद कर रही है उससे दूनी रफ्तार से कांग्रेस अपना जनाधार खोती जाएगी।