4 फरवरी हर साल विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है….डॉ. अनिमेष का ये लेख कैंसर डरे नहीं उसे जानिए….

4 फरवरी हर साल विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है….डॉ. अनिमेष का ये लेख कैंसर डरे नहीं उसे जानिए….

रायपुर/ 04 फरवरी 2020। 4 फरवरी हर साल विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य जनसामान्य में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाना और कैंसर की रोकथाम, जांच और इलाज में नई खोजो को बढ़ावा देना होता है. साथ ही कैंसर को लेकर लोगो मे फैले मिथको को दूर करना भी इस दिन का लक्ष्य है. आज हम इसी बीमारी के बारे में कुछ चर्चा करते है।

 

सबसे पहले जानते है कैंसर क्या है और कैसे होता है- कैंसर शरीर मे किसी भी कोशिका का अनियंत्रित बिभाजन होता है, जो अपने असामान्य विभाजन से बाकी कोशिकाओं का पोषण भी खींच लेता है और इस प्रकार विभिन्न परेशानिया पैदा करता है

 

कैंसर के कारण- सामान्य कारणों में तम्बाकू,प्रदूषण, रेडियेसन ( पराबैगनी किरणे और अन्य) के साथ साथ मोटापा, अनियमित खानपान और जीवनशैली कैंसर को बढ़ावा देते है, वही कुछ इन्फेक्शन जैसे ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, हेपटाइटिस बी और सी, HIV, और H पाइलोरी भी कैंसर का कारण पाए गए है.

लक्षण और पहचान – कैंसर अगर शुरुआती अवस्था मे पहचान लिया जाए तो उसका उचित इलाज उपलब्ध है. इसके सामान्य लक्षणों में वजन में असामान्य कमी, किसी घाव का न भरना, असामान्य रक्त स्त्राव, किसी मस्से का आकर बढ़ना या शरीर मे कोई गांठ का होना शामिल है जिसकी जांच करवानी चाहिए.बार बार पीलिया होना,सांस लेने में दिक्कत होना ,लगातार बुखार आना या पाचन की समस्या भी प्राथमिक लक्षण हो सकते है। इसके अलावा डॉक्टरों द्वारा बड़ी आंत, बच्चेदानी और स्तन कैंसर के लिए समय समय मे कुछ जांचे करवाने की सलाह दी जाती है.

बचाव कैसे करे- इन्फेक्शन से होने वाले कुछ कैंसर की संभावना को आप उनका सही इलाज से कम कर सकते है. एच पी वी वैक्सीन 9 से 25 साल की महिलाओं को लगवाने से उनको बच्चेदानी और स्तन कैंसर की संभावना काफी कम हो जाती है. इसके अलावा स्वस्थ जीवनशैली भी कैंसर की संभावना कम करती है.

कैंसर बीमारी छूत की बीमारी नही है, यह एक व्यक्ति से दूसरे में नही फैलती, परंतु कुछ कैंसर अनुवांशिकता से जुड़े होते है. कैंसर से पीड़ित व्यक्ति और उसका परिवार न केवल आर्थिक रूप से अपितु मानसिक और सामाजिक रूप से भी टूट जाता है, जहाँ उन्हें आर्थिक सहायता के लिए बहुत की शासकीय और अशासकीय योजनाए और संस्थाएं मौजूद है, उनके मानसिक और सामाजिक मजबूती हमारे हाथ मे है। हमे ऐसी गंभीर बीमारीयो से पीड़ित मरीज़ों के लिए एक संवेदनशील समाज का निर्माण करना चाहिए, जो ऐसी विषम परिस्थितियों में पीड़ित का साथ दे.

The News India 24

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