छत्तीसगढ़ में हैं तितलियों की 159 प्रजातियां
रायपुर, 28 जनवरी 2020/छत्तीसगढ़ में तितलियों की 159 प्रजातियां पाई जाती हैं। तितलियों की चेक लिस्ट प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘बायोनोट्स’ में पिछले दिनों प्रकाशित हुई है, जिसमें पिछली सूची में दर्ज 137 प्रजातियों के अतिरिक्त 22 और अन्य जुड़कर, कुल 159 तितली प्रजाति सूचीबद्ध हैं। यह रिव्यू-चेक लिस्ट छत्तीसगढ़ के युवा प्रकृति विज्ञानी, सस्टेनेबल डेवलपमेंट के अध्येता श्री अनुपम सिंह सिसौदिया ने 6 साल के सर्वेक्षण और शोध अध्ययन के बाद तैयार की है।
अरण्य भवन, नवा रायपुर में आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर के वन विज्ञानी और अधिकारियों की उपस्थिति में आज इस प्रकाशन का लोकार्पण प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी द्वारा किया गया। शोध पत्रिका ‘बायोनोट्स’ के संदर्भ दुनिया के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विभिन्न स्रोतों में उपलब्ध होते हैं, जिनमें ‘द नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लाइब्रेरी एंड आर्काइव, लंदन’, ‘नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, अरफर्ट, जर्मनी’ तथा ‘इंडियन नेशनल साइंटिफिक डाक्यूमेंटेशन सेंटर, नेशनल साइंस लाइब्रेरी, नई दिल्ली’ प्रमुख हैं।
श्री अनुपम सिंह सिसौदिया के इस शोध पत्र में छत्तीसगढ़ में तितलियों पर अब तक हुए अध्ययन में आवश्यक संशोधन और परिवर्धन की तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत की है। इस संदर्भ में उनके द्वारा 159 प्रजातियों की इस अद्यतन सूची के लिए पिछले 135 साल में इस क्षेत्र में हुए काम को खंगाला गया है। राज्य बनने के बाद सन 2006, 2007 के कुछ फुटकर प्रकाशन हुए, फिर 2014 में छत्तीसगढ़ में तितलियों की सूची पहली बार जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप प्रकाश में आई, जिसमें 137 प्रजातियां सूचीबद्ध थीं। अनुपम ने अपने सर्वेक्षण-अध्ययन से छत्तीसगढ़ की तितली सूची में अब 22 नाम और जुड़ गए हैं, जो भविष्य के शोध-अध्येताओं के लिए यह अध्ययन आधार बनेगा।
यह सूची संख्या में ही नहीं अन्य दृष्टियों से भी उल्लेखनीय है। इस सर्वेक्षण से इस अंचल की जैविक और पर्यावरणीय विशिष्टता पर भी नये तथ्य उद्घाटित होने की संभावना प्रबल हुई है। श्री अनुपम ने बताया कि यह संयोग है कि देश का तीसरा सबसे बड़ा, वनाच्छादित प्रदेश छत्तीसगढ़, जैव विविधता के वैज्ञानिक अध्ययन की अपार संभावनाओं वाला राज्य है, जो मेरा गृह राज्य भी है। अतः इस अध्ययन के लिए मैंने छत्तीसगढ़ का चयन किया। मेरे इस अध्ययन का उद्देश्य, विकास के इस दौर में जैव-विविधता के परिवेश संरक्षण के लिए तथ्य और आंकड़ें युक्त वैज्ञानिक आधार तैयार करना है, जिसका एक महत्वपूर्ण कारक तितलियों का अध्ययन है।
उल्लेखनीय है कि तितलियां अपनी उपस्थिति के साथ-साथ ऐसी वनस्पतियों की सूचक-संकेतक हैं, जिनमें वे रहती हैं या जिनसे भोजन ग्रहण करती हैं। साथ ही तितलियां, अन्य जीव-जन्तुओं के भोजन-श्रृंखला की महत्वपूर्ण कड़ी भी है। संरक्षण योजना तैयार करने का पहला और महत्वपूर्ण चरण, जिसके संरक्षण से संबंधित जानकारियां एकत्रित करना है। यह अध्ययन, इसी आवश्यकता की पूर्ति का साधन बनेगा।