विवादित सी.ए.ए.-एन.आर.सी. कानून वापस लिया जाये : पी.आर. खुंटे

विवादित सी.ए.ए.-एन.आर.सी. कानून वापस लिया जाये : पी.आर. खुंटे

रायपुर/28 जनवरी 2020। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद पी.आर. खुंटे ने कहा कि सी.ए.ए.-एन.आर.सी. आर.एस.एस की गुप्त एजेंडों का एक हिस्सा है। जिसे लागू करने भाजपा आतुर है। आरएसएस की मुख्य एजेंडा है कि देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और अकलियत के खिलाफ करना इन वर्गो के होने से कांग्रेस मजबूत होता है, क्योंकि यह वर्ग परपंरागत तरीका से कांग्रेस की विचार धारा के साथ जुड़ी रही है। भाजपा नहीं चाहती कि देश में कांग्रेस पार्टी मजबूत हो। कांग्रेस धर्म निरपेक्ष लोकतांत्रिक पार्टी है। सभी धर्मो को बराबर की सम्मान देती है। भाजपा विभाजनकारी विचारधारा की पार्टी है। इसीलिये प्रधानमंत्री मोदी, केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, फासीवादी विचारधारा के निर्माण में जुटे है। संसार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत भाजपा के संविधान विरोधी कार्य के चलते खतरा में पड़ गया है। भाजपा आरएसएस की विचारधारा एक है। आरएसएस चाहती है कि भारत एक साम्प्रदायिक राष्ट्र बने। यही कारण है कि आरएसएस व भाजपा के शीर्ष नेता संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की बात करते है। लोकसभा में भारी बहुमत का दुरूपयोग कर रही है।
प्रधानमंत्री मोदी एवं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह भारत को हिन्दुराष्ट्र बनाने सी.ए.ए.-एन.आर.सी. जैसी कानून लाया गया है। यह कानून देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अकलियत के खिलाफ है। आजादी के 70 साल बाद इस प्रकार अलगाव वादी कानून बनाने की क्यों आवश्यकता पड़ी? क्योंकि इस कानून के लागू होने पर देश के 130 करोड़ भारतीय नागरिक प्रभावित होने वाला है। एन.आर.सी. को लेकर प्रधानमंत्री मोदी कुछ बोलते है तो गृहमंत्री अमित शाह कुछ और बोलते है। भाजपा के प्रवक्ता कुछ अलग राग अलाप करते है। इस विवादित कानून को लेकर देश में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गयी है।
भाजपा आरएसएस का कहना है कि यह कानून नागरिकता देने का है लेने का नहीं। जब नागरिकता देने का कानून है तो भारत में 130 करोड़ लोग पहले से भारतीय नागरिक है तो यह कानून किसके ऊपर लागू किया जायेगा। चुनाव आयोग के मुताबिक देश में 75 करोड़ लोंगो की वोटर आईडी कार्ड है तो क्या सरकार जन प्रतिनिधि कानून में भी बदलाव करेगी? दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत देश को धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजन पैदा करके भाजपा अपना वोट बैंक को मजबूत करने में लगा हुआ है। लेकिन पासा उल्टा पड़ गया। अब निगलते बन रहा है और नही उगलते। गृहमंत्री अमित शाह की हठधर्मिता यह है कि यह कानून वापस नहीं होगा। आंदोलन करने वाले आंदोलन करते रहे।
मोदी ने चुनाव के समय कहा था दो करोड़ नौकरी प्रतिवर्ष दिया जायेगा। नौकरी देने के बजाय जीएसटी के चलते 10 करोड़ नौकरियां गवांकर बेरोजगार हो चुके लोग भूखे मरने के कगार पर खड़े है। 15 लाख रूपये हर गरीब के खाते में डालने का वादा, विदेशों से अरबों रूपयें का कालाधन वापस लाने का वादा, किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा पूरा होने के बजाय हजारों किसान कर्ज में डूब कर आत्महत्या करने विवश हो गया। गौरक्षा के नाम पर माबलीचिंग के बहाने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अकलियत को सताया जा रहा है। रोहित बेमूला कांड, उना गुजरात में घोड़ी पर चढ़ने, मुंछ रखने, जूता पहनने, एससी-एसटी एक्ट में बदलाव करके मोदी सरकार ने अनुसूचित जाति, जनजातियों के संवैधानिक सुरक्षा कवच को हटाने का षड़यंत्र रचा। अनुसूचित जनजातियों को जल, जंगल, जमीन से बेदखल किया गया। उन्हें नक्सली कहकर फर्जी एंकाउंटर में मारे गये। हजारों निर्दोष आदिवासियों को फर्जी केस बनाकर जेल में डाल दिया गया। सैकड़ों अनुसूचित जाति, जनजाति महिलाओं का बलात्कार व हत्या कर उनकी संपत्ति लूट ली गयी। देश में दंगे करवाये गये। भारत में विदेशी कर्ज खरबों डालर तक पहुंच गया है। विदेशी कंपनियों को भारत में व्यापार करने बुलाया जा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी है। महंगाई, बेरोजगारी चरम सीमा पर है। देश के नागरिक कर्जदार बन रहा है। इन मुद्दो से ध्यान हटाने सीएए-एनआरसी जैसे दकियानूसी कानून लागू करने की बात की जा रही है। यही कारण आज पूरा देश आंदोलित है। विवादित सीएए एनआरसी कानून लोकतंत्र के लिये खतरा है। यह काला कानून जनहित में वापस लिया जाना चाहिये।
 

The News India 24

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