यूपी के झांझी-गरद और झारखण्ड के डमकच ने मचाया धूम……..गुजरात के वसावा में दिखी छत्तीसगढ़ के पंथी की झलक
महाराष्ट्र के लिंगो और मध्यप्रदेश के सैला नृत्य में झूम उठे दर्शक
रायपुर, 28 दिसम्बर 2019/ राजधानी रायपुर के साइंस काॅलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों द्वारा विवाह एवं अन्य संस्कार, पारंपरिक त्यौहार एवं अनुष्ठान, फसल कटाई व कृषि तथा अन्य पारंपरिक विधाओं पर नृत्य प्रस्तुत किया। महोत्सव के प्रथम सत्र में सवेरे नौ बजे से उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, मध्यप्रदेश, तेलंगाना और राजस्थान के आदिवासी नृत्य दलों ने आकर्षक संगीत मय नृत्य प्रस्तुत किया। समारोह स्थल में नृत्य दलों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम में तालियों की गुंज सुनाई देती रही।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में उत्तर प्रदेश के कलाकारों ने वहां के पारंपरिक पोशाक में झुमरी तलईया के बोल पर आकर्षक लोक नृत्य झांझी प्रस्तुत किया। यह नृत्य नयी फसल आने के बाद अच्छी फसल होने के खुशी में किया जाता है। जनजाति कलाकारों ने गरद नृत्य भी प्रस्तुत किया। गरद नृत्य उत्तर प्रदेश में गोंड जाति द्वारा किया जाता है। यह नृत्य वीरता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। पुरूष कलाकारों द्वारा महिलाओं को अपने शौर्य के माध्यम से आकर्षित करने के लिए किया जाता है।
झारखण्ड के कलाकारों ने विवाह के उपलक्ष्य में किए जाने वाला डमकच नृत्य प्रस्तुत किया। बिहार के उरांव जाति के कलाकारों ने करमा नृत्य प्रस्तुत किया। करमा नृत्य फसल कटाई के समय किया जाता है। उरांव जाति के लोग अच्छी फसल और सामाजिक उत्थान के लिए करमा नृत्य करते हैं। करमा नृत्य करने वाली लड़कियां उपवास करती है और एक जगह करमा स्तंभ बनाकर सब मिलकर नृत्य करते हैं।
गुजरात के कलाकारों द्वारा वसावा नृत्य प्रस्तुत किया गया। वसावा होली नृत्य है, इस नृत्य को गुजरात के वसावा जाति लोग करते हैं। कलाकार धोती पहनकर पैरों में घुंघरू बांधकर पूरी रात नृत्य करते हैं। वसावा नृत्य में छत्तीसगढ़ की पंथी नृत्य का झलक दिखाई दिया। महाराष्ट्र के जनजातीय कलाकारों द्वारा विवाह संस्कार पर आधारित लिंगो नृत्य प्रस्तुत किया। गढ़चिरौली जिले में लिंगो और झिंगो देवी की आराधना के लिए यह नृत्य किया जाता हैै। त्रिपुरा के कलाकारों ने फसल कटाई के समय किए जाने वाले ममिता नृत्य प्रस्तुत किया। मध्यप्रदेश के जनजातीय कलाकार ने सैला गेंडी नृत्य प्रस्तुत किया। महिलाओं और पुरूषों ने सैला नृत्य प्रस्तुत किया। पुरूषों ने गेंडी नृत्य किया। तेलंगाना के कलाकारों ने कृषि आधारित लंबाड़ी नृत्य और राजस्थान के कलाकारों ने आकर्षक गवरी नृत्य प्रस्तुत किया।