चावल लेने की स्वीकृति में बोनस नहीं देने की शर्त लगाकर मोदी सरकार ने फिर किसान विरोधी चरित्र दिखाया
रायपुर/20 दिसंबर 2019। सेन्ट्रल पूल के चावल खरीदी मामले में एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी का किसान विरोधी चरित्र उजागर हुआ है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राज्य सरकार के द्वारा बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद राज्य के कोटे में बढ़ोत्तरी नहीं की गयी। मुख्यमंत्री ने 32 लाख टन चावल लेने का अनुरोध किया था मोदी सरकार ने 24 लाख टन चावल लेना ही स्वीकार किया है। उसमें भी यह शर्त रख दी है कि मोदी सरकार यह 24 लाख टन चावल छत्तीसगढ़ सरकार से तभी लेगी जब वह किसानों को धान पर समर्थन मूल्य के अलावा किसी भी प्रकार के बोनस का भुगतान नहीं करेगी। मोदी सरकार द्वारा भेजा गया यह पत्र इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि भाजपा किसी भी हालत में किसानों का फायदा नहीं होने देना चाहती। जब राज्य सरकार समर्थन मूल्य के अतिरिक्त दिये जाने वाले राशि का भुगतान अपने संसाधनों से करना चाहती है तो इसमें अडंगेबाजी क्यों? छत्तीसगढ़ के किसानों को 1815 रू. के बजाय यदि धान की कीमत 2500 रू. मिल जायेगी तो इसमें भाजपा को किस बात का ऐतराज है? केन्द्र सरकार का पत्र इस बात का जीताजागता सबूत है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रदेश भर में किसानों की आय दुगुनी करने की बातें सिर्फ झूठे वायदे थे। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों और कृषि तथा लागत आयोग द्वारा धान की पैदावार पर लगने वाले कुल खर्च का योग निकाला जाये तो भाजपा के घोषणा पत्र में किये गये वायदा के अनुसार भी धान की कीमत 2400 रू. प्रतिक्विंटल होती है। कांग्रेस की राज्य सरकार अपने संसाधनों से अपने प्रदेश में किसानों को 2500 रू. दे रही है। मोदी और भाजपा सरकार को तो इसे और प्रोत्साहित करना चाहिये लेकिन पूंजीपति और चंद बड़े औद्योगिक घरानों के ईशारों पर चलने वाले लोग किसानों का भला क्यों होने देना चाहेंगे?
सांसद सुनील सोनी द्वारा सेन्ट्रल पूल के कोटे को मोदी सरकार की दयानतदारी बताये जाने पर प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा सांसद सुनील सोनी जान लें, इन्हीं किसानों के वोट और दयानतदारी के दम पर वे सांसद बने है और मोदी प्रधानमंत्री। मोदी सरकार यदि राज्य से सेन्ट्रल पूल के कोटे का चावल ले रही है तो यह कोई अहसान नहीं कर रही है। संघीय ढांचे में यह राज्य का अधिकार और केन्द्र का दायित्व है। छत्तीसगढ़ की मार्टी पर बने एफसीआई के गोडाऊन में राज्य का चावल नहीं रखने दिया जा रहा है। केन्द्र, राज्य के किसानों के हितों का अनदेखा करती रही। भाजपा के सांसदों की बोलती बंद रही। आज सोनी किसानों पर अहसान जता रहे है।