भाजपा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार को शपथ ग्रहण में निमंत्रण नहीं, भाजपा की संवेदनहीनता उजागर : शहीदों के प्रति संवेदनहीनता भाजपा के लिये कोई नयी बात नहीं

भाजपा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार को शपथ ग्रहण में निमंत्रण नहीं, भाजपा की संवेदनहीनता उजागर : शहीदों के प्रति संवेदनहीनता भाजपा के लिये कोई नयी बात नहीं
भाजपा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार को शपथ ग्रहण में निमंत्रण नहीं, भाजपा की संवेदनहीनता उजागर : शहीदों के प्रति संवेदनहीनता भाजपा के लिये कोई नयी बात नहीं
 

रायपुर/31 मई 2019। भाजपा के दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार को मोदी के द्वारा शपथ ग्रहण में नहीं बुलाए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा है कि जिन राज्यो में अभी विधानसभा चुनाव होने बांकी है उन राज्यो में भाजपा कार्यकर्ताओ की मौत का राजनीतिक लाभ लेने उनके परिवारों को शपथ ग्रहण में बुलाकर संवेदना बटोरने का असफल प्रयास मोदी और शाह ने किया। बस्तर की जनता ने भाजपा को लोकसभा चुनावों में नकार दिया है। भीमा मंडावी के परिवार के प्रति मोदी-शाह की और भाजपा नेतृत्व की संवेदना नही रही तभी उनको शपथ ग्रहण में निमंत्रण भी नही दिया। पूरी तरह से यह फैसला तो केन्द्र की भाजपा सरकार ने लिया है कि शपथ ग्रहण में किसे बुलाना है और किसे नहीं बुलाना है। लेकिन यह तो तय है कि दिवंगत विधायक के परिवार के प्रति भाजपा नेतृत्व संवेदनहीन है। शहीद परिवारों के प्रति संवेदनहीनता भाजपा के लिये कोई नई बात भी नहीं है। जीरम घाटी में माओवादी हमले में शहीद हुये कांग्रेस नेताओं के परिजनों ने जीरम की साजिश की जांच के लिये तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से, केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलाने का आग्रह किया था। रमन सिंह तीन बरस में भी अपना वादा नहीं निभाया और जीरम के शहीदों के परिजनों को राजनाथ सिंह से नहीं मिलवाया। दिवंगत विधायक भीमा मंडावी के परिवार को शपथ ग्रहण में नही बुलाने के लिए भाजपा को माफी मांगना चाहिये। मोदी-अमित शाह के लिए भाजपा के नेता और कार्यकर्ता मात्र वोट बटोरने की मशीन है। इसके पहले भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देने के लिये निकाली गई यात्रा में भाजपा नेताओं की असंवेदनशीलता की झलक छत्तीसगढ़ की जनता ने देखी है, जब भाजपा के नेता श्रद्धांजलि यात्रा में हंसी-ठिठौली करते नजर आये थे। लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रचार-प्रसार के दौरान ही नक्सलियों ने भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी थी। लोकसभा चुनाव मतदान संपन्न होने के बाद भाजपा विधायक दल का दिवंगत भीमा मंडावी के परिवार से सहानुभूति जताने पहुंचना भी राजनीति से प्रेरित ही था। यह साबित हो गया कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने दंतेवाड़ा में होने वाले उपचुनाव को ध्यान में रखते हुये संवेदना बटोरने की नियत से ही भाजपा के नेता दंतेवाड़ा गए थे। अब लोकसभा चुनाव परिणामों में भारी सफलता मिलने के बाद भाजपा दिवंगत भीमा मंडावी के परिवार को भूल गई। मोदी-शाह ने दिवंगत भाजपा विधायक के परिवार को शपथ ग्रहण में आमंत्रित न कर अपने पुराने चरित्र को ही उजागर किया है। पूर्व में सत्ता मिलते ही जैसे मोदी-शाह ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को किनारे कर निरंतर उनका अपमान किया है, उसी को अब दोहरा रहे हैं। भाजपा में जीत का श्रेय मोदी-शाह लेते हैं, तो हार के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया जाता है जैसा 2018 में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के बाद रमन सिंह जी और धरमलाल कौशिक जी जैसे नेताओं ने किया भी है। भाजपा की वरिष्ठ दोनों नेताओं मोदी और शाह की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और घमंड चरम पर है।

The News India 24

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *