‘लोकवाणी‘ मुख्यमंत्री रेडियो वार्ता के माध्यम से प्रदेशवासियों से हुए रू-ब-रू………..आम जनता के सवालों के दिए जवाब
आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से है छत्तीसगढ़
की विशिष्ट पहचान: श्री भूपेश बघेल
वनोपजों के कारोबार से जुडे़ंगी 50 हजार महिलाएं
नई औद्योगिक नीति ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की मूल भावना पर आधारित
रायपुर, 08 दिसम्बर 2019/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज मासिक रेडियो वार्ता ‘लोकवाणी’ की 5वीं कड़ी की शुरूआत ‘जय जोहार’ के सहज अभिवादन के साथ की। उन्होंने लोकवाणी के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों, वनांचल तथा आदिवासी अंचलों की जनता से सीधे संवाद पर अपनी प्रसन्नता भी जाहिर की। श्री बघेल ने रेडियो वार्ता के दौरान अमर शहीद वीर नारायण सिंह को याद करते हुए कहा कि उनका बलिदान दिवस 10 दिसम्बर को है। इसी प्रकार 18 दिसम्बर को गुरू बाबा घासीदास की जयंती और 25 दिसम्बर को प्रभु यीशु का जन्म दिवस क्रिसमस है। मुख्यमंत्री ने अमर शहीद वीर नारायण सिंह, गुरू बाबा घासीदास और प्रभु यीशु को नमन करते हुए उनसे प्रदेश की खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना की।
श्री बघेल ने ‘लोकवाणी’ में आदिवासियों की गौरवशाली संस्कृति और परम्परा, वनोपज पर आधारित उनकी आजीविका, राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा आदि विषयों पर प्रदेशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए। श्री बघेल ने रेडियो वार्ता में श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।
आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से है छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने लोकवाणी में चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग एक तिहाई आबादी अनुसूचित जनजातियों की है। इन्होंनेे अपनी सोच, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति तथा अपने योगदान से छत्तीसगढ़ को एक विशेष पहचान दी है। अनुसूचित जनजाति के लोग अपनी जिन्दगी में रमे होते हैं। अपनी आकांक्षाएं मुखर करने में भी संकोच करते हैं। इसलिए आज के लोकवाणी का विषय ‘आदिवासी विकास-हमारी आस’ अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री बघेल ने नारायणपुर के श्री फरश कुमार तथा श्री रामजी धु्रव के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश में तेन्दूपत्ता संग्रहण मजदूरी को 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया है, ताकि संग्राहकों की आमदनी में तुरंत और सीधी बढोत्तरी हो जाए। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि वर्ष 2019 में 15 लाख मानक बोरा से अधिक तेन्दूपत्ता संग्रहण हुआ, जिसके एवज में 602 करोड़ रूपए मजदूरी का भुगतान किया गया। यह राशि पिछले वर्ष की तुलना में 226 करोड़ रूपए अधिक है।
वनोपजों के कारोबार से जुडे़ंगी 50 हजार महिलाएं
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में इसके साथ ही हमने लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी का दायरा भी बढ़ा दिया है। पहले सिर्फ 7 वनोपजों की खरीदी करते थे, जबकि अब हमारी सरकार द्वारा 15 वनोपजों की खरीदी की जा रही है। इसके अलावा तीन लघु वनोपजों, रंगीनी लाख पर 20 रूपए किलो, कुल्लू गोंद पर 20 रूपए किलो तथा कुसमी लाख पर 22 रूपए किलो अतिरिक्त बोनस देने का इंतजाम भी किया गया है। यह जानकार आश्चर्य होगा कि प्रदेश में वनोपज का कारोबार लगभग 18 सौ करोड़ रूपए का होता है, जिसमें हमारे आदिवासी समाज को समुचित भागीदारी नहीं मिली थी। अब हमारी सरकार ने ऐसे नये रास्ते तलाशे हैं, जिससे आप सभी लोगों की आय बढ़ सकेगी। हम आदिवासी समाज में मातृ-शक्ति को और सशक्त बनाना चाहते हैं, इस दिशा में एक नया कदम उठाते हुए यह निर्णय लिया है कि वनोपजों के कारोबार से महिला समूहों की 50 हजार से अधिक सदस्याओं को जोड़ा जाएगा। परंपरागत वैद्यकीय ज्ञान भी छत्तीसगढ़ के वनांचलों की विशेषता है। इस कौशल को लम्बे अरसे में न तो मान्यता मिली और न सुविधा, जबकि जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों को लेकर कोई संदेह नही है। हमने परंपरागत वैद्यों के कौशल और ज्ञान को सहेजने तथा इसे उपयोग में लाने के लिए 1200 परंपरागत वैद्यों का एक सम्मेलन आयोजित किया। अब इस दिशा में कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है।
अबूझमाड़ में पहंुचेगी विकास की रौशनी
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी रेडियोवार्ता में कहा कि राज्य सरकार ने पहली बार अबूझमाड़ का राजस्व सर्वे करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार प्राथमिकता से यहां सड़क, बिजली, पानी, अस्पताल और शिक्षा जैसी सारी सुविधाएं पहुंचाएगी। इस समय नारायणपुर-ओरछा, नारायणपुर-धौड़ाई-कन्हार गांव-बारसूर, नारायणपुर-सोनपुर-कोंगे जैसी अनेक सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिनकी लंबाई लगभग 250 किलोमीटर तथा लागत लगभग 300 करोड़ रूपए है। इसके अलावा भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण 150 करोड़ रूपए की लागत से किया जा रहा है, जिसमें ओरछा-गुदाड़ी-कोडोली-गारपा-आकाबेड़ा-किहकाड़ आदि स्थानोें पर पहंुचाना आसान हो जाएगा और करीब 20 करोड़ रूपए की लागत से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, कन्या छात्रावास, शाला भवन के कार्य चल रहे है।
बस्तर की जीवनदायिनी इन्द्रावती को बचाने प्राधिकरण का गठन
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में ‘नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ महाभियान की चर्चा करते हुए कहा कि नरवा योजना में नालों के साथ हर तरह के जलाशयों को हमें बचाना है। नदी, नाले, झील, तालाब, कुएं और ऐसी हर संरचना जिससे बारिश का पानी बहने से रूके, भू-जल की रिचार्जिंग हो, नए जल स्त्रोत मिलें, ऐसे सारे उपाय किए जा रहे हैं। बस्तर की जीवनदायिनी नदी इन्द्रावती को बचाने के लिए प्राधिकरण का गठन किया गया है। नदी तट कटाव में कमी लाने के लिए इन्द्रावती, खारून और अरपा नदियों के 462 हेक्टेयर क्षेत्र में छह लाख पौधों का रोपण किया जा रहा है। बालका नदी पर करीब पौने 3 करोड़ रूपए की लागत से रावन सिंधी एनीकट बनाने के लिए कार्य योजना बनाई गई है।
आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के बड़े फैसले
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की बागडोर सम्हालते ही सबसे बड़ा फैसला लोहण्डीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन वापस करने का था। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी से गैर-आदिवासी को भूमि क्रय करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। पूर्व में इस प्रकार के जो अंतरण हुए हैं, उनमें भी न्याय दिलाने की पहल की गई है और आदिवासी भूमिस्वामी को पुनः अधिकार दिए गए हैं। अधिसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का पूर्णतः संरक्षण किया जा रहा है। पेसा कानून के अंतर्गत ग्राम सभा की महती भूमिका है। ग्राम सभा की अनुमति के बाद ही सभी शासकीय, अशासकीय भू-अर्जनों की कार्यवाही की जा रही है। शासकीय योजनाओं में सामाजिक अंकेक्षण के माध्यम से ब्यौरा ग्राम सभा में रखा जाता है। सामुदायिक वन आधिकार दिया जाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। कोण्डागांव जिले के 9 गांवों में 9 हजार 220 एकड़ जमीन के पट्टे, धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के जबर्रागांव में लगभग साढ़े 12 हजार एकड़ भूमि के सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिए गए। वन अधिकारी कानून के अंतर्गत व्यक्तिगत दावों पर पुनर्विचार किया जा रहा है। दूर-दूर फैले गांवों का नए सिरे से परिसीमन कराकर उन्हें पंचायतों का दर्जा दिया गया है। पंचायत प्रतिनिधियों के निर्वाचन में 5वीं और 8वीं कक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी है।
जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया
श्री बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानूनों को प्रभावी बनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करते हुए पिता की जाति के आधार पर नवजात को जाति प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। जिन निर्दोष लोगों को झूठे मामलों, मुकदमों में फसाया गया था उन्हें न्याय दिलाने के लिए जस्टिस पटनायक अयोग काम कर रहा है। सारकेगुड़ा में न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्राप्त हो गया है, जिसके आधार पर दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। बस्तर, सरगुजा आदिवासी प्राधिकरण में विधायकों को प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है।
राज्य सरकार महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे महान नेताओं के पद चिन्हों पर चलते हुए आदिवासी समाज को सबसे पहले और सबसे तेजी से विकास की सुविधाएं देने की पहल कर रही है।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 27, 28 और 29 दिसंबर को
मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में कहा कि आदिवासी लोक कलाओं की देश दुनिया में पहचान स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन रायपुर में 27, 28 और 29 दिसंबर को किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति और परम्पराएं हमारी माँ के सामान है। आदिवासी समाज के प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव पर हमें गर्व है। धरती के संसाधनों हवा, पानी, पर्यावरण को बचाने आदिवासी समाज के योगदान पर हमें गर्व है। नृत्य दलों के गठन के लिए ब्लॉक, जिला और संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं में आदिवासी समाज का उत्साह और जुड़ाव देखने को मिला। राष्ट्रीय आयोजन में भी इसी तरह युवाओं का कौशल और उत्साह देखने को मिलेगा।
लोककला परिषद की आदिवासी कला और संस्कृति के उत्थान में होगी अहम भूमिका
श्री बघेल ने बताया कि आदिवासी लोककला परिषद, लोककला और संस्कृति के उत्थान में अहम भूमिका अदा करेगी। यह लोक कलाकारों की अधिकार संपन्न संस्था होगी। जिसके पास अपना बजट होगा, अपनी समझ, अपनी योजनाएं और कार्यक्रम होंगे। यह नौकरशाही से अलग सक्रिय कलाकारों और विशेषज्ञों द्वारा संचालित होगी। ये सरकारी नहीं बल्कि असरकारी तरीके से काम करने में सक्षम होगी।
नई औद्योगिक नीति ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की मूल भावना पर आधारित
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में कहा कि राज्य सरकार की नई औाद्योगिक नीति ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की मूल भावना पर आधारित है। इस नीति के माध्यम से आदिवासी अंचलों के विकास में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। उद्योग नीति में पिछड़े क्षेत्रों या विकासखंडों को सबसे अधिक रियायत और संसाधन देने का फैसला किया गया है। नए उद्योगों में स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से रोजगार देने का प्राधान है। अकुशल श्रेणी में 100 प्रतिशत, कुशल श्रेणी में कम से कम 70 प्रतिशत और प्रशासकीय और प्रबंधकीय श्रेणी में कम से कम 40 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिलेगा। खेती, उद्यानिकी, हस्तशिल्प आदि को उच्च प्राथमिकता दी गई है। खाद्य और वनोपज प्रसंस्करण की अधिक से अधिक इकाईयां लगे इस पर हमारा जोर होगा। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि 2024 तक अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के कम से कम 300 उद्यमी उद्योग लगाएं। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में 3500 से अधिक नये उद्योग लगाने का लक्ष्य है।
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में पूछे गए प्रश्न के जावाब में कहा कि नगरनार प्लांट का संचालन एन.एम.डी.सी. के माध्यम से हो इससे राज्य सरकार सिद्धांतः सहमत है। श्री बघेल ने कहा कि हमारे महान नेता पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पंचवर्षीय योजनाओं और अनेक सार्वजनिक उपक्रमों की सौगात दी, जिनमें भिलाई स्टील प्लांट भी है। एन.एम.डी.सी., एन.टी.पी.सी. और एस.ई.सी.एल. जैसे अनेक उपक्रमों का स्थानीय जनता, स्थानीय विकास प्रदेश और देश के विकास में अद्भुत योगदान रहा है।
बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर संभाग के लिए होगा कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि वनांचलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता से रोजगार देने के लिए राज्य सरकार ने अनेक बड़े कदम उठाएं है। बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर संभाग के लिए कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया है। बस्तर, सरगुजा संभाग की तरह कोरबा जिले में जिला संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की पूर्ति स्थानीय लोगों से करने की समय-सीमा बढ़ा दी गई है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को स्थानीय स्तर पर नौकरी देने के लिए नियमों को शिथिल किया गया है। प्री-मैटिक छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों, आश्रमों के बच्चों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह की गई है। प्रदेश में 16 नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शुरू किए गए है। मैट्रिकोत्तर छात्रावास के विद्यार्थियों की छात्र भोजन सहाय राशि 500 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 700 रूपए प्रतिमाह की गई है। हॉट बाजारों में चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। सुपोषित छत्तीसगढ अभियान, ‘मेहरार चो मान‘ जैसे कार्यक्रम लोक अभियान बनकर आदिवासी अंचलों में लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं।
किसानों को धान की कीमत 2500 रूपए प्रति क्विंटल मिलेगी
श्री बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि प्रदेश में धान की खरीदी एक दिसम्बर से प्रारंभ हो चुकी है। राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी है कि किसानों की जेब में 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से पूरी राशि जाए। किसानों को धान का मूल्य 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से मिलेगा। केन्द्र के नियमों के तहत फिलहाल केन्द्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है।