प्रदेश प्रभारी की बातों को नकारते हुए वर्तमान की कांग्रेस सरकार?
रायपुर। कार्यकर्ता चाहे किसी भी जाति का हो चाहे वह हिंदू हो मुस्लिम हो या क्रिश्चियन हो एक पार्टी के लिए हमेशा वह उस पार्टी का कार्यकर्ता होता है लेकिन दुख की बात तो यह है कि जब इन्हीं पुराने कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने की बारी आती है तो इनको महत्व ना देकर पैसे वालों को महत्व दिया जाता है।
अपना उल्लू सीधा कराना तो मंत्रियों को बखूबी आता है इस वक़्त उन्हें ये नजर नही आता कि वह कौन से जाति के कार्यकर्ताओं से अपना काम निकलवा रहे है लेकिन जहाँ बात आती है किसी को पद देने की तब तुरन्त दिमाक में ख्याल आया जाता है धर्म का अगर ऐसा नही है तो फिर क्यों अब तक हिन्दू और मुश्लिम बड़े बड़े पदों में बैठ के अपनी कुर्सी गरम कर रहे है लेकिन आखिर ऐसा क्या कारण है कि अभी तक कोई भी ईसाई किसी भी बडी कुर्सी पर नही बैठ पाया क्या उसके में काबिलियत नही है या फिर सरकार भी इनके बुद्धिमत्ता से ख़ौफ़ खाती है
यही कारण है कि सबसे ज्यादा ईसाई समुदाय के लोगों को ही हर चुनाव से वंचित रखा जाता है जिसके चलते ईसाई धर्म के लोगों में काफी रोष का माहौल है। कांग्रेस के राज में भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने सरकार बनने पर यह दावा किया था कि चाहे कोई भी चुनाव हो पहली प्राथमिकता पुराने कार्यकर्ताओं को ही दी जाएगी लेकिन यहां पर तो कुछ और ही देखने को मिल रहा है। स्वयं के प्रदेश प्रभारी की बातों को नकारते हुए वर्तमान की कांग्रेस सरकार खुद को ही सर्वोपरि समझ चुकी है यही कारण है कि जिसके पास नोट उसके पास वोट कुछ इसी तारतम्य में कार्य करते नजर आ रही है कांग्रेस की भूपेश सरकार।