कांग्रेस ने प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी को श्रद्वांजली दी
कांग्रेस ने प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू जी को श्रद्वांजली दी
राष्ट्रवाद तो हो पर संकूचित राष्ट्रवाद न हो : भूपेश बघेल
गोड़से को पूजने वाले आज संविधान की रक्षा का शपथ लेते है : पुरूषोत्तम अग्रवाल
रायपुर/27 मई 2019। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज नेहरू की 55वी पुण्यतिथि के अवसर पर राजीव भवन में वर्तमान भारत के जनक जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित की। भूपेश बघेल ने कहा आज का भारत नेहरू की देन। नेहरू जी पुण्यतिथि पर आज हम लोग यहाँ मौजूद है। जब हम पूर्वजो को याद करते है तो उनके सपनो को याद करते है। आज नेहरू जी को याद करने आए है उनके सपनो को याद करेंगे। नेहरू जी को बहुत से लोग जानते है पर उनको पढ़ने वाले कुछ लोग भी यहां बैठे है। उनकी एक प्रसिद्ध पुस्तक भारत एक खोज को जब हम पढ़ते है तो चकित हो जाते है, क्योकि उनकी किताब में इतिहास भूगोल कला सनंस्कृति की जानकारी भी मिलती है।
नेहरू जी पोंगा पंथ और दखियानुसी को आगे नही ले जाए। राष्ट्रवाद तो हो पर संकुचित राष्ट्रवाद न हो। जब भारत आजादी की लड़ाई साफ रहा था तब यूरोप में लड़ाई चल रही थी और नेहरू जी भारत की सृजन की कल्पना की सोच रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा की सावरकर ने जो हिन्दू सभा के नेता थे, उन्होंने विभाजन के बीजारोपण का कार्य किया था जिसे साकार जिन्ना ने किया। नेहरू जी ने लिखा था कट्टरता कैसी भी हो देश और समाज के लिए नुकसान दायक है। उनको जैसे ही जिम्मेदारी मिली देश के निर्माण की उन्होंने ऐम्स, परमाणु कार्यक्रम, अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उनकी दूरगामी सोच से हम भूखमरी बेरोजगारी दूर करने की योजना बनाये। जिसका एक मिसाल भिलाई स्टील प्लांट के रूप में हमारे प्रदेश में ही मौजूद है। प्रजा तंत्र में जनता का सबसे बाद हथियार सवाल पूछना है। नेहरू जी इसके समर्थक थे और आज प्रधानमंत्री से आप सवाल नही कर सकते। आज नेहरू के भारत को बदलने की कोशिश की जा रही है। आज हम लोग जहां खड़े है तो उसमे सबसे बड़ा योगदान नेहरू जी का है।
नेहरू जी पोंगा पंथ और दखियानुसी को आगे नही ले जाए। राष्ट्रवाद तो हो पर संकुचित राष्ट्रवाद न हो। जब भारत आजादी की लड़ाई साफ रहा था तब यूरोप में लड़ाई चल रही थी और नेहरू जी भारत की सृजन की कल्पना की सोच रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा की सावरकर ने जो हिन्दू सभा के नेता थे, उन्होंने विभाजन के बीजारोपण का कार्य किया था जिसे साकार जिन्ना ने किया। नेहरू जी ने लिखा था कट्टरता कैसी भी हो देश और समाज के लिए नुकसान दायक है। उनको जैसे ही जिम्मेदारी मिली देश के निर्माण की उन्होंने ऐम्स, परमाणु कार्यक्रम, अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की थी। उनकी दूरगामी सोच से हम भूखमरी बेरोजगारी दूर करने की योजना बनाये। जिसका एक मिसाल भिलाई स्टील प्लांट के रूप में हमारे प्रदेश में ही मौजूद है। प्रजा तंत्र में जनता का सबसे बाद हथियार सवाल पूछना है। नेहरू जी इसके समर्थक थे और आज प्रधानमंत्री से आप सवाल नही कर सकते। आज नेहरू के भारत को बदलने की कोशिश की जा रही है। आज हम लोग जहां खड़े है तो उसमे सबसे बड़ा योगदान नेहरू जी का है।
पंडित जवाहर लाल नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि के अवसर पर राजीव भवन में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है। जिसमें प्रसिद्ध आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल व्याख्यान देते हुए कहा कि मैंने पं. जवाहरलाल नेहरू जी को 9 साल की उम्र में पहली बार सुना था। मैंने बचपन में हमेशा नेहरू की आलोचना सुनी। मेरे पिता नेहरू की कठिन आलोचना करते थे। माता भी नेहरू के कठोर आलोचक थीं। गंगादास मठ के महंत जगन्नाथ भी नेहरू के आलोचक थे। नेहरू की आलोचना करने वाले लोग भी नेहरू की मौत पर बच्चों की तरह रो रहे थे, क्योंकि आलोचकों ने भी माना है कि नेहरू नहीं होते तो आज हम कहाँ होते। मुझे दुःख है कि गोडसे को पूजने वाले लोग आज भारत की संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं।
आज हम जिस भारत पर हम गर्व करते हैं उसे लेकर मैं एक बात कहता हूं, जिस इमारत की नींव मजबूत न हो वो इमारत कब तक खड़ी रहेगी। नेहरू ने भारत की नींव को मजबूत किया। नेहरू ने 1948 में एटॉमिक कमीशन बनाया, क्योंकि वो भविष्य की चिंता करते थे। वे भावी पीढ़ी के बारे सोचते थे। कांग्रेसजनों के मन में कुछ चीजें हैं, ये सच है कि नेहरू को लेकर कुप्रचार खूब हुए हैं। नेहरू को लेकर बात खूब प्रचारित की गई कि उन्होंने संस्कृति से मुसलमान, शिक्षा से अंग्रेज और संयोग से हिंदू हूँ कहा। यह बात पूरी तरह से झूठ है। नेहरू ने ऐसी बात कभी नहीं कही। यह बातें हिन्दू महासभा की ओर से प्रचारित की गई। नेहरू जिस भारत की कल्पना की, जिस भारत की निर्माण की वो भारत आधुनिक भारत की नींव थी। जिस समय नेहरू ने आईआईटी बनाई उसी समय नेहरू ने साहित्य अकादमी, ललित अकादमी भी बना है। वे अपने आलोचक का भी पूरा सम्मान करते थे। नेहरू की सोच एक समग्रता की सोच थी। जिसमें में भारत के हिस्से में सब कुछ था। वे जितना वैज्ञानिक सोच रखते थे उतना ही सांस्कृतिक सोच भी ऱखते थे।
अतिथि वक्ता एवं विचारक, लेखक पुरषोत्तम अग्रवाल ने कहा जो समाज अपने बनाने वालो को नही मानते तो उन्हें इंसान कहने में दुख होता है। एक प्रसंग की बात बताते हुए उन्होंने कहा की नेहरू नही होता तो आज हम कहा होते। आज गोडसे को देखभक्ति का प्रमाणपत्र देने वाले लोग को सोचना चाहिए।
आज जिस भारत पर हम गर्व करते है नेहरू उनकी नींव थे, वो चुनाव जीतने के लिए नोट बंदी के बारे में सोच भी नही सकते है। नेहरू पीढ़ियों के लिए सोचते है। ये सब एक विज़न के बिना संभव नही है। उदारीकरण भी नेहरू की दूरदर्शिता के कारण संभव हुआ।
उन्होंने कहा की नेहरू के बारे में झूठ को इतने बार बोला गया है की लोगो को आज यकीन होने लगा है। नेहरू कंज्यूमर नही सिटीजन बनाते थे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, अतिथि वक्ता विचारक एवं लेखक पुरूषोत्तम अग्रवाल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, उद्योग एवं आबकारी मंत्री कवासी लखमा, स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह, मंत्री अनिला भेड़िया, वरिष्ठ कांग्रेसी एवं विधायक धनेन्द्र साहू, पूर्व मंत्री एवं विधायक सत्यनारायण शर्मा, राज्यसभा सांसद छाया वर्मा, सांसद दीपक बैज, पूर्व सांसद करूणा शुक्ला, पूर्व सांसद अरविन्द नेताम, वरिष्ठ कांग्रेसी राजेन्द्र तिवारी, प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन, प्रदेश कांग्रेस महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी,, पूर्व विधायक एवं संचार विभाग सदस्य रमेश वर्ल्यानी, विधायक कुलदीप जुनेजा, विधायक अनिता योगेन्द्र शर्मा, विधायक मोहित केरकेटा, विधायक किस्मत लाल नंद, पूर्व विधायक गुरूमुख सिंह होरा, सुभाष शर्मा, सुर्यमणी मिश्रा, महामंत्री भोलाराम साहू, महामंत्री महेन्द्र छाबड़ा, प्रदेश कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता सुशील आनदं शुक्ला, संचार विभाग के सदस्य एवं प्रवक्ता सुरेन्द्र शर्मा, प्रवक्ता विकास तिवारी, प्रवक्ता कमलजीत पिन्टू, शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे, ग्रामीण अध्यक्ष नारायण कुर्रे, अरूण भद्रा, कल्पना पटेल, अरूण ताम्रकार, मदन तालेड़ा, इन्द्ररचंद धाड़ीवाल, दौलत रोहड़ा, हसन खान, संजय पाठक, प्रमोद चौबे, प्रदेश कांग्रेस सचिव निवेदिता चटर्जी, पीसीसी सचिव अमरजीत चावला, पीसीसी सचिव चौलेश्वर चंद्राकर, पीसीसी सचिव गुरप्रीत सिंह बाबरा, नरेन्द्र दुबे, गणेश सिंह ध्रुव, अम्बर शुक्ला, शेख निजामुद्दीन, कन्हैया अग्रवाल, गुलजेब अहमद, अमित श्रीवास्तव, कृष्णकांत पाठक, आशा चौहान, अपर्णा फ्रांसिस, चोवाराम साहू, संजीव अग्रवाल, उधोराम वर्मा, सतीश चौरसिया, राजू नायक, बाबूलाल तिवारी, मुन्ना मिश्रा, पुरूषोत्तम चंद्राकर, बैजनाथ चंद्राकर, तुलसी साहू, प्रेमशीला नायक, ललित सुरजन, दाउ लाल साहू, मो. आजम, निर्मल पाण्डेय, देवकुमार साहू, दीपक चौबे, मुरलीधर नेताम, महावीर देवांगन, सुदीप होर, दिवाकर दुबे, राजा वर्मा, विवेक वासनिक, उपस्थित थे।