‘नेहरू को लेकर आज खूब कुप्रचार हो रहा, लेकिन वे भारतीय चेतना के सच्चे प्रतिनिधि थे’ – पुरुषोत्तम अग्रवाल
‘नेहरू को लेकर आज खूब कुप्रचार हो रहा, लेकिन वे भारतीय चेतना के सच्चे प्रतिनिधि थे’ – पुरुषोत्तम अग्रवाल
रायपुर/27 मई 2019। पंडित जवाहर लाल नेहरू की 55वीं पुण्यतिथि के अवसर पर राजीव भवन में व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया है। जिसमें प्रसिद्ध आलोचक पुरुषोत्तम अग्रवाल व्याख्यान देते हुए कहा कि मैंने जवाहरलाल को 9 साल की उम्र में पहली बार सुना था। मैंने बचपन में हमेशा नेहरू की आलोचना सुनी। मेरे पिता नेहरू की कठिन आलोचना करते थे। माता भी नेहरू के कठोर आलोचक थीं। गंगादास मठ के महंत जगन्नाथ भी नेहरू के आलोचक थे। नेहरू की आलोचना करने वाले लोग भी नेहरू की मौत पर बच्चों की तरह रो रहे थे, क्योंकि आलोचकों ने भी माना है कि नेहरू नहीं होते तो आज हम कहाँ होते। मुझे दुःख है कि गोडसे को पूजने वाले लोग आज भारत की संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं।
नेहरू को लेकर खूब हो रहा है कुप्रचार
आज हम जिस भारत पर हम गर्व करते हैं उसे लेकर मैं एक बात कहता हूं, जिस इमारत की नींव मजबूत न हो वो इमारत कब तक खड़ी रहेगी। नेहरू ने भारत की नींव को मजबूत किया। नेहरू ने 1948 में एटॉमिक कमीशन बनाया, क्योंकि वो भविष्य की चिंता करते थे। वे भावी पीढ़ी के बारे सोचते थे। कांग्रेसजनों के मन कुछ चीजें हैं, ये सच है कि नेहरू को लेकर कुप्रचार खूब हुए हैं। नेहरू को लेकर बात खूब प्रचारित की गई कि उन्होंने संस्कृति से मुसलमान, शिक्षा से अंग्रेज और संयोग से हिंदू हूँ कहा। यह बात पूरी तरह से झूठ है। नेहरू ने ऐसी बात कभी नहीं कही। यह बातें हिन्दू महासभा की ओर से प्रचारित की गई। नेहरू जिस भारत की कल्पना की, जिस भारत की निर्माण की वो भारत आधुनिक भारत की नींव थी। जिस समय नेहरू ने आईआईटी बनाई उसी समय नेहरू ने साहित्य अकादमी, ललित अकादमी भी बना है। वे अपने आलोचक का भी पूरा सम्मान करते थे। नेहरू की सोच एक समग्रता की सोच थी। जिसमें में भारत के हिस्से में सब कुछ था। वे जितना वैज्ञानिक सोच रखते थे उतना ही सांस्कृतिक सोच भी ऱखते थे।