रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूलों में बच्चों को अब संविधान की प्रस्तावना, मूल अधिकारों, मूल कर्त्तव्यों और राज्य की नीति निर्देशक तत्वों की भी जानकारी दी जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ के अवसर पर पहली बार आयोजित छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सदन में यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों को जन जन तक पहुंचाने का एक अच्छा जरिया हमारे स्कूल हो सकते हैं। स्कूलों में प्रार्थना के बाद माह के प्रथम सोमवार को संविधान की प्रस्तावना, द्वितीय सोमवार को नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों, तृतीय सोमवार को को मूल कर्तव्यों और चतुर्थ सोमवार को नीति निर्देशक तत्वों का पठन किया जाना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों को उनके बारे में जानकारी हो सके, उनमें जागरूकता बढ़े और भविष्य में वे देश के जिम्मेदार नागरिक बनें।
मुख्यमंत्री ने सदन में अपने संबोधन में कहा कि आज हमें अपने महान संविधान के प्रति अपने विश्वास, उसकी रक्षा करने के अपने संकल्प और उसके मूल्यों को आत्मसात कर, देश में लोकतंत्र को जिंदा रखने की वचनबद्धता को पुरजोर तरीके से दोहराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि संविधान की भावना जन-जन तक पहुंचे। संविधान ने देशवासियों को समता का अधिकार, इंसानी गरिमा दी और भारत को दुनिया में एक अलग पहचान दी। हमारा संविधान देशवासियों के लिए महज कागज का टुकड़ा नहीं बल्कि हमारी लोकतांत्रिक आस्थाओं का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा संविधान देश की अपनी तासीर, उसके मौलिक चिंतन, उसकी समतावादी आकांक्षाओं का प्रतिबिम्ब ही नहीं है, बल्कि इस बात का भी प्रतीक है कि इस देश का हर इंसान अपने संवैधानिक अधिकारों के लिए देश की सबसे बड़ी चौखट तक लड़ाई लड़ सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से और महिलाएं एनीमिया से पीड़ित है। उन्हें कुपोषण और एनीमिया से मुक्ति दिलाने की हमारी जिम्मेदारी है। राज्य सरकार ने कुपोषण के खिलाफ जंग छेड़ी है। राज्य सरकार ने बस्तर के आदिवासियों की जमीन लौटा कर उनके कानूनी अधिकारों की रक्षा की। बहुत जल्द पत्रकारों की सुरक्षा का कानून लाया जा रहा है, ताकि पत्रकारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हक मिल सके। राज्य सरकार ने चिकित्सा सुविधा दूरस्थ अंचलों में लोगों के घर की डेहरी तक पहुंचाने का प्रयास किया है।
मुख्यमंत्री ने देश के संविधान निर्माताओं को नमन करते हुए संविधान की प्रस्तावना को सदन में दोहराया। उन्होंने प्रस्तावना का उल्लेख करते हुए कहा कि हम भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा इसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।
मुख्यमंत्री ने संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद, संविधान निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद और पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी को याद करते हुए उन्हें नमन किया। उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ल, घनश्याम सिंह गुप्ता, डॉ हरिसिंह गौर, किशोरी मोहन त्रिपाठी, राम प्रसाद पोटाई, बैरिस्टर छेदीलाल, रघुवर जी, गणपतराव दानी, बी.ए. मंडलोई, राजकुमारी अमृत कौर, बृजलाल बियाणी, सेठ गोविंद दास, हरि विष्णु कामथ, फ्रैंक एंथोनी, काजी सैयद करीमुद्दीन जैसे विद्वान संविधान सभा के सदस्यों को याद करते हुए उन्हें नमन किया।
मुख्यमंत्री ने सदन में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के कथन का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि – संविधान चाहे कितना भी अच्छा हो अगर उसे अमल में लाने वाले खराब हुए तो संविधान भी खराब सिद्ध होगा। हमें अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना होगा। हर हाल में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लेना होगा।
मुख्यमंत्री ने संविधान दिवस पर विशेष सत्र के आयोजन के लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि संविधान दिवस की 70 वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा आयोजित कर अध्यक्ष महोदय ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति जनप्रतिनिधियों की आस्था को अभिव्यक्त किया है।