रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को किया संबोधित…. 23 नवंबर का दिन महाराष्ट्र और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा
श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि 23 नवंबर का दिन महाराष्ट्र और देश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक काले अध्याय के तौर पर दर्ज होगा, जब संविधान को पांव तले रौंद दिया गया। अवसरवादी अजित पवार को जेल की सलाखों का ड़र दिखा कर सत्ता की हवस में अंधी भाजपा ने प्रजातंत्र की सुपारी ले हत्या कर डाली। भाजपा व अजित पवार ने मिलकर दुर्योधन व शकुनि की तरह महाराष्ट्र के जनादेश का चीरहरण कर दिया है। यह महाराष्ट्र की जनता से विश्वासघात नहीं तो क्या है? भाजपा का वायदा तो था, फडणवीस जी का वायदा तो था 72,000 करोड़ के इरिगेशन घोटाले में अजित दादा को आर्थर रोड जेल भेजने का, पर चुनाव के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बना, मंत्रालय भेज दिया। ये केवल मोदी है तो ही मुमकिन हो सकता है।
स्वंतत्र भारत के इतिहास में ये भी पहला अवसर है कि जब रात के अंधेरे में संविधान के पन्ने फाड़ कर और सार्वजनिक जीवन की मर्यादाएं तोड़ कर किसी मुख्यमंत्री को अंधेरी रात के सवेरे में चोरी-छुपे शपथ दिलाने का काम किया गया और महाराष्ट्र के राज्यपाल ने संविधान के रक्षक का नहीं, अमित शाह जी के हिटमैन का काम किया है।
विधायकों की निष्ठा की मंडी में बोली लगवाना अब भारतीय जनता पार्टी का चाल, चेहरा और चरित्र बन गया है। कर्नाटक, उत्तरांचल, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, गोवा, हरियाणा और अब जनादेश को दरकिनार कर बाबा साहब के प्रदेश महाराष्ट्र में संविधान रौंदने के काम को अंजाम देने वाला और कोई नहीं, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह हैं। मैं आपके माध्यम से देश की जनता की ओर से भाजपा, प्रधानमंत्री जी और अमित शाह जी के समक्ष 10 सवाल रखना चाहता हूं-
पहला- मोदी जी, अमित शाह जी, भारतीय जनता पार्टी के द्वारा सरकार बनाने का दावा कब और किसने पेश किया?
दूसरा- सरकार बनाने के दावे पर भारतीय जनता पार्टी और एनसीपी के कितने विधायकों के हस्ताक्षर थे?
तीसरा– महाराष्ट्र के राज्यपाल ने उन हस्ताक्षरों को रात के 1 घंटे में कब और कैसे वेरीफाई किया?
चौथा- राज्यपाल महोदय ने केन्द्र सरकार को राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा कितने बजे की?
पांचवा- केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठल कल रात कितने बजे हुई और उसमें कौन-कौन मंत्री थे, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कितने बजे राष्ट्रपति को राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र से हटाने की अनुशंसा की?
छठा- केन्द्रीय मंत्रिमंडल की ये सिफारिश कि महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाया जाए, राष्ट्रपति जी को कितने बजे भेजी गई?
सातवां- राष्ट्रपति महोदय ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल की महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा को कितने बजे स्वीकार किया?
आठवां- राज्यपाल ने शपथ के लिए श्री फडणवीस व श्री अजित पवार को किस पत्र द्वारा, कितने बजे आमंत्रित किया?
नौवां- शपथ हुई कितने बजे? एक प्राईवेट न्यूज एजेंसी को छोड़कर दूरदर्शन सहित किसी भी मीडिया के साथी को अन्य राजनीतिक दलों को महाराष्ट्र के प्रशासनिक अधिकारियों को, महाराष्ट्र के प्रबुद्ध नागरिकों को और महाराष्ट्र के मुख्य न्यायाधीश को उस शपथ ग्रहण समारोह में क्यों नहीं बुलाया गया, जो कि रवायत है?
दसवां- शपथ दिलाने के बावजूद भी गवर्नर ने अब तक यह क्यों नहीं बताया कि फडणवीस सरकार को बहुमत कब तक साबित करना है?
सवाल ये है कि लोकतंत्र का ये चीरहरण कब तक जारी रहेगा?
वायदा तो था देवेन्द्र फडणवीस जी का कि श्री अजित पवार आर्थर रोड जेल में चक्की पीसेंगे, पर क्या मालूम था कि मंत्रालय ही आर्थर रोड जेल की जगह ले लेगा। ये भी केवल मोदी शासन में संभव है।
एक प्रश्न पर कि इस घटना क्रम में कांग्रेस शरद पवार जी की क्या भूमिका देखती है, श्री सुरजेवाला ने कहा कि शरद पवार जी अपनी स्थिति आज एक पत्रकार वार्ता में स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट तौर से अपना पक्ष जनता के समक्ष रखा है। उनके इस स्पष्टीकरण के बाद कोई और शक-शुभा या टिप्पणी का प्रश्न ही नहीं रह जाता।
एक अन्य प्रश्न पर कि जिस नियम के तहत राष्ट्रपति ने इस गवर्नर रूल को रीवोक किया है, क्या लगता है कि संवैधानिकता का पालन हुआ है, श्री सुरजेवाला ने कहा कि दुर्भाग्य से महाराष्ट्र के गवर्नर अमित शाह जी द्वारा नाजायज सरकार बनाने के हिटमैन अधिक और संविधान के रक्षक कम साबित हुए हैं। सवाल बड़ा सीधा है, जो आपने किया है। लगभग दो बजे रात को फडणवीस जी सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं। उस दावे का आधार क्या है, क्योंकि भाजपा तो पहले ही कह चुकी, फडणवीस जी भी कह चुके कि उनके पास बहुमत नहीं है, तो रात को दो बजे उस दावे का आधार अजित पवार जी हैं, पर अजित पवार जी तो एक व्यक्ति हैं, इसके लिए 36 और विधायकों की आवश्यकता थी और उससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विभाजन की आवश्यकता थी, ये दो अनिवार्य शर्तें हैं, एंटीडिफेक्शन कानून की। उन दोनों में से कोई पूरी नहीं हुई। न 36 विधायक गवर्नर के पास गए, न 36 विधायकों के दस्तखत वैरीफाई हुए, न उनके नाम आज, तक शाम तक भी हम में से किसी व्यक्ति को समेत आपके मालूम हुए। तो ऐसे में गवर्नर इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँचे कि देवेन्द्र फडणवीस जी और भाजपा के पास बहुमत है।
दूसरा, उन्होंने किस आधार पर ये अनुशंसा की, गृह मंत्रालय अमित शाह जी भारत सरकार को कि राष्ट्रपति शासन वापस ले लिया जाए और अगर राष्ट्रपति शासन वापस भी ले लिया जाए तो उसकी एक प्रक्रिया है, मंत्रीमंडल की बैठक होगी, उसके बाद वो अनुशंसा करेंगे, फिर वो राष्ट्रपति जी को जाएगा, फिर राष्ट्रपति जी अनुशंसा करेंगे, फिर वो राज्यपाल के पास वापस आएगा, फिर राष्ट्रपति शासन वापस लिया जाएगा, उसके बाद एक चिट्ठी जाएगी, उन लोगों को जिनके पास बहुमत है, उसके बाद सब विपक्षी दलों को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को, मीडिया कर्मियों को, प्रशासनिक अधिकारियों को, प्रबुद्ध नागरिकों को निमंत्रण जाएगा, पर जब ये सबकुछ हुआ ही तीन घंटे में तो तीन घंटे में बम्बई से दिल्ली, दिल्ली से बम्बई ये सारा सफर, रात के अंधेरे में चोरी छुपे तय कैसे हुआ, ये दर्शाता है कि कानून और संविधान दोनों की सुपारी लेकर भाजपा द्वारा लोकतंत्र की हत्या की गई है।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्या आप अपने सभी विधायकों को भोपाल भेज रहे हैं, श्री सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सब विधायक एक जुट हैं, और भारतीय जनता पार्टी अपनी खरीद-फरोख्त की मंडी में उनकी निष्ठा को नहीं खरीद पाएगी। हमारे विधायक स्वतंत्र तरीके से कहां इकट्ठे रहकर अगली रणनीति का गठन करना चाहेंगे, आखिरी बार जब मैंने चैक किया तो देश में इसकी आजादी थी।
एक अन्य प्रश्न पर कि आपने जो आर्गुमेंट्स दिए, जो प्रोसीजर्स बताए, ये अपनी जगह वैलिड हैं, लेकिन अंत में यह सब तय तो न्यायपालिका के दरवाजे पर ही होगा, उसके अलावा विकल्प क्या है, श्री सुरेजवाला ने कहा कि ये दो जगह तय हो सकता है। आपकी बात वाजिब है और जैसा एक और आदरणीय मित्र ने कहा अभी कि इसका निर्णय विधानसभा के पटल पर भी होगा और अदालत की मर्यादाओं के अंदर भी होगा और जैसा आपने सवाल भी पूछा था, मैंने ये कहा है कि हम सारी ऑप्शन्स एक्सप्लोर कर रहे हैं।